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कोरोना : बेड रिजर्व करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट गई आप सरकार - बेड रिजर्व करने के मामले

कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए दिल्ली के 168 अस्पतालों में से 33 अस्पतालों में बेड लगाने का आदेश पारित किया गया था. जिसको चुनौती दी गई थी. बेड रिजर्व करने के मामले को लेकर आप सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

delhi gov moves sc against staying its decision to reserve icu beds
दिल्ली की आप सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका
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Published : Nov 7, 2020, 4:41 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने शनिवार को बेड रिजर्व करने के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है. दायर की गई याचिका में कहा गया कि दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए ICU बेड के 80% हिस्से को रिजर्व करने के राज्य सरकार के फैसले को रोकने के आदेश को चुनौती दी गई है.

दिल्ली के अस्पतालों में बेड लगाने को दिया गया था आदेश

बता दें, कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के चलते दिल्ली की आप सरकार ने दिल्ली में मौजूद 168 अस्पतालों में से 33 अस्पतालों में बेड लगाने का आदेश पारित किया था. वहीं, सितंबर में इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिस पर रोक लगा दी गई थी. दिल्ली सरकार ने अपनी याचिका में कहा कि कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और विशेषज्ञों की सिफारिशों के अनुसार मांगों को पूरा करने के लिए करीब 20,604 बेडों की आवश्यकता होगी. वहीं, उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में 4000 से अधिक बेडों की जरूरत पड़ेगी.

एनसीआर के लोग ले रहे सुविधा

जानकारी देते हुए बताया कि दिल्ली के अस्पतालों को अपने ICU बेडों को 30% तक बढ़ाने की अनुमति दी है. जिसका मतलब यह होगा कि यदि वे आरक्षित हैं, तो भी बेडों की संख्या में कोई गड़बड़ी नहीं होगी. बता दें, दिल्ली को अच्छी गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जाना जाता है. विशेष रूप से पड़ोसी राज्यों में रहने वाले लोग, जो इन सुविधाओं का लाभ उठाना चाहते हैं उनको बड़ी सुविधा होगी. दिल्ली के बाहर से कोविड रोगी नियमित रूप से आ रहे हैं और स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं.

पढ़ें: कोरोना से मौत के मामलों में दिल्ली सभी मेट्रो शहरों से पीछे : सत्येंद्र जैन

रोगियों को बेड उपलब्ध कराना एक उचित निर्णय

अगर एक कोविड-19 रोगी को दिल्ली भेजा जाता है और उसे आईसीयू बेड नहीं मिलता है, तो यह समानता के उसके मौलिक अधिकार और उचित स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच के खिलाफ होगा. इसलिए कोविड रोगियों के लिए आईसीयू बेड को उपलब्ध कराना एक उचित निर्णय था. बता दें, यह मामला अभी डिवीजन बेंच के समक्ष भी लंबित पड़ा है.

नई दिल्ली : दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने शनिवार को बेड रिजर्व करने के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है. दायर की गई याचिका में कहा गया कि दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए ICU बेड के 80% हिस्से को रिजर्व करने के राज्य सरकार के फैसले को रोकने के आदेश को चुनौती दी गई है.

दिल्ली के अस्पतालों में बेड लगाने को दिया गया था आदेश

बता दें, कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के चलते दिल्ली की आप सरकार ने दिल्ली में मौजूद 168 अस्पतालों में से 33 अस्पतालों में बेड लगाने का आदेश पारित किया था. वहीं, सितंबर में इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिस पर रोक लगा दी गई थी. दिल्ली सरकार ने अपनी याचिका में कहा कि कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और विशेषज्ञों की सिफारिशों के अनुसार मांगों को पूरा करने के लिए करीब 20,604 बेडों की आवश्यकता होगी. वहीं, उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में 4000 से अधिक बेडों की जरूरत पड़ेगी.

एनसीआर के लोग ले रहे सुविधा

जानकारी देते हुए बताया कि दिल्ली के अस्पतालों को अपने ICU बेडों को 30% तक बढ़ाने की अनुमति दी है. जिसका मतलब यह होगा कि यदि वे आरक्षित हैं, तो भी बेडों की संख्या में कोई गड़बड़ी नहीं होगी. बता दें, दिल्ली को अच्छी गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जाना जाता है. विशेष रूप से पड़ोसी राज्यों में रहने वाले लोग, जो इन सुविधाओं का लाभ उठाना चाहते हैं उनको बड़ी सुविधा होगी. दिल्ली के बाहर से कोविड रोगी नियमित रूप से आ रहे हैं और स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं.

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रोगियों को बेड उपलब्ध कराना एक उचित निर्णय

अगर एक कोविड-19 रोगी को दिल्ली भेजा जाता है और उसे आईसीयू बेड नहीं मिलता है, तो यह समानता के उसके मौलिक अधिकार और उचित स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच के खिलाफ होगा. इसलिए कोविड रोगियों के लिए आईसीयू बेड को उपलब्ध कराना एक उचित निर्णय था. बता दें, यह मामला अभी डिवीजन बेंच के समक्ष भी लंबित पड़ा है.

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