नई दिल्ली: फूस का घर, आने जाने के लिए साइकिल और पेंशन की राशि को गरीब बच्चों के लिए दे देना. मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हुये ओडिशा के सांसद प्रताप सारंगी को अपनी इसी सादगी के लिए जाना जाता है.
अब 64 साल के हो चुके प्रताप सारंगी ने कभी साधु बनना चाहा था और वह एकांत जीवन बिताना चाहते थे लेकिन उनका समाज के प्रति समर्पण और जनसेवा का भाव उनको मोदी मंत्रिमंडल में ले आया.
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सारंगी लंबे समय तक RSS से जुड़े रहे हैं और इस बार के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बालासोर संसदीय सीट से बीजद प्रत्याशी रबींद्र कुमार जेना को 12,956 मतों से हरा दिया.
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सारंगी को ओडिशा का मोदी भी कहा जाता है. वह दो बार ओडिशा विधानसभा के लिए चुने जा चुके हैं.
सांसद चुने जाने से पहले प्रताप चंद्र सारंगी ओडिशा के नीलगिरी विधानसभा से 2004 और 2009 में विधायक चुने जा चुके हैं. इससे पहले वह 2014 के लोकसभा चुनाव में भी खड़े हुए थे लेकिन तब उन्हें हार मिली थी. प्रताप सारंगी को नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है. गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले प्रताप सारंगी का जन्म नीलगिरी में ही गोपीनाथपुर गांव में हुआ.
4 जनवरी 1955 को जन्मे सारंगी ने स्थानीय फकीर मोहन कॉलेज से भी ग्रेजुएशन की डिग्री ली. बचपन से ही प्रताप सारंगी बहुत आध्यात्मिक थे. वह रामकृष्ण मठ में साधु बनना चाहते थे. इसके लिए वह कई बार मठ गए भी थे लेकिन बताया जाता है कि जब मठ वालों को खबर लगी कि प्रताप सारंगी की मां विधवा हैं तो उन्हें मां की सेवा करने का सुझाव दिया गया.
प्रताप चंद्र सारंगी इसके बाद गांव लौट आए और उन्होंने समाजसेवा में लग गए. बालासोर और मयूरभंज के आदिवासी इलाकों में इन्होंने कई स्कूल बनवाए हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रताप सारंगी ने जो चुनावी हलफनामा दिया था, उसके मुताबिक उनकी कुल संपत्ति तब करीब 10 लाख रुपये की थी.