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सरलता की प्रतिमूर्ति हैं प्रताप सारंगी, नरेंद्र मोदी के मंत्रिपरिषद में मिली जगह

'ओडिशा के मोदी' के नाम से चर्चित प्रताप सारंगी को भी मंत्रिमंडल में जगह मिली है. विस्तार से जानें कौन हैं सारंगी......

बालासोर के सांसद प्रताप सारंगी (फाइल फोटो)
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Published : May 31, 2019, 7:46 AM IST

Updated : May 31, 2019, 9:44 PM IST

नई दिल्ली: फूस का घर, आने जाने के लिए साइकिल और पेंशन की राशि को गरीब बच्चों के लिए दे देना. मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हुये ओडिशा के सांसद प्रताप सारंगी को अपनी इसी सादगी के लिए जाना जाता है.

अब 64 साल के हो चुके प्रताप सारंगी ने कभी साधु बनना चाहा था और वह एकांत जीवन बिताना चाहते थे लेकिन उनका समाज के प्रति समर्पण और जनसेवा का भाव उनको मोदी मंत्रिमंडल में ले आया.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए प्रताप सारंगी

पढ़ें: 57 कैबिनेट सहयोगियों के साथ नरेंद्र मोदी ने ली PM पद की शपथ, कई नए चेहरे

सारंगी लंबे समय तक RSS से जुड़े रहे हैं और इस बार के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बालासोर संसदीय सीट से बीजद प्रत्याशी रबींद्र कुमार जेना को 12,956 मतों से हरा दिया.

भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सारंगी को ओडिशा का मोदी भी कहा जाता है. वह दो बार ओडिशा विधानसभा के लिए चुने जा चुके हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए प्रताप सारंगी

सांसद चुने जाने से पहले प्रताप चंद्र सारंगी ओडिशा के नीलगिरी विधानसभा से 2004 और 2009 में विधायक चुने जा चुके हैं. इससे पहले वह 2014 के लोकसभा चुनाव में भी खड़े हुए थे लेकिन तब उन्‍हें हार मिली थी. प्रताप सारंगी को नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है. गरीब परिवार से ताल्‍लुक रखने वाले प्रताप सारंगी का जन्‍म नीलगिरी में ही गोपीनाथपुर गांव में हुआ.

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बालासोर के सांसद प्रताप सारंगी

4 जनवरी 1955 को जन्‍मे सारंगी ने स्‍थानीय फकीर मोहन कॉलेज से भी ग्रेजुएशन की डिग्री ली. बचपन से ही प्रताप सारंगी बहुत आध्‍यात्‍मि‍क थे. वह रामकृष्‍ण मठ में साधु बनना चाहते थे. इसके लिए वह कई बार मठ गए भी थे लेकिन बताया जाता है कि जब मठ वालों को खबर लगी कि प्रताप सारंगी की मां विधवा हैं तो उन्‍हें मां की सेवा करने का सुझाव दिया गया.

प्रताप चंद्र सारंगी इसके बाद गांव लौट आए और उन्‍होंने समाजसेवा में लग गए. बालासोर और मयूरभंज के आदिवासी इलाकों में इन्‍होंने कई स्‍कूल बनवाए हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रताप सारंगी ने जो चुनावी हलफनामा दिया था, उसके मुताबिक उनकी कुल संपत्त‍ि तब करीब 10 लाख रुपये की थी.

नई दिल्ली: फूस का घर, आने जाने के लिए साइकिल और पेंशन की राशि को गरीब बच्चों के लिए दे देना. मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हुये ओडिशा के सांसद प्रताप सारंगी को अपनी इसी सादगी के लिए जाना जाता है.

अब 64 साल के हो चुके प्रताप सारंगी ने कभी साधु बनना चाहा था और वह एकांत जीवन बिताना चाहते थे लेकिन उनका समाज के प्रति समर्पण और जनसेवा का भाव उनको मोदी मंत्रिमंडल में ले आया.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए प्रताप सारंगी

पढ़ें: 57 कैबिनेट सहयोगियों के साथ नरेंद्र मोदी ने ली PM पद की शपथ, कई नए चेहरे

सारंगी लंबे समय तक RSS से जुड़े रहे हैं और इस बार के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बालासोर संसदीय सीट से बीजद प्रत्याशी रबींद्र कुमार जेना को 12,956 मतों से हरा दिया.

भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सारंगी को ओडिशा का मोदी भी कहा जाता है. वह दो बार ओडिशा विधानसभा के लिए चुने जा चुके हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए प्रताप सारंगी

सांसद चुने जाने से पहले प्रताप चंद्र सारंगी ओडिशा के नीलगिरी विधानसभा से 2004 और 2009 में विधायक चुने जा चुके हैं. इससे पहले वह 2014 के लोकसभा चुनाव में भी खड़े हुए थे लेकिन तब उन्‍हें हार मिली थी. प्रताप सारंगी को नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है. गरीब परिवार से ताल्‍लुक रखने वाले प्रताप सारंगी का जन्‍म नीलगिरी में ही गोपीनाथपुर गांव में हुआ.

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बालासोर के सांसद प्रताप सारंगी

4 जनवरी 1955 को जन्‍मे सारंगी ने स्‍थानीय फकीर मोहन कॉलेज से भी ग्रेजुएशन की डिग्री ली. बचपन से ही प्रताप सारंगी बहुत आध्‍यात्‍मि‍क थे. वह रामकृष्‍ण मठ में साधु बनना चाहते थे. इसके लिए वह कई बार मठ गए भी थे लेकिन बताया जाता है कि जब मठ वालों को खबर लगी कि प्रताप सारंगी की मां विधवा हैं तो उन्‍हें मां की सेवा करने का सुझाव दिया गया.

प्रताप चंद्र सारंगी इसके बाद गांव लौट आए और उन्‍होंने समाजसेवा में लग गए. बालासोर और मयूरभंज के आदिवासी इलाकों में इन्‍होंने कई स्‍कूल बनवाए हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रताप सारंगी ने जो चुनावी हलफनामा दिया था, उसके मुताबिक उनकी कुल संपत्त‍ि तब करीब 10 लाख रुपये की थी.

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PROFILE-PRATAP SARANGI
Pratap Sarangi stands out for simplicity, dedication to people
         New Delhi, May 30 (PTI) He lives in a thatched house, rides a bicycle and spends a major portion of his MLA pension to support education of poor children.
         For 64-year-old Pratap Sarangi, who once nurtured the desire to be a monk and lives an austere life, his hard work and dedication to people appear to have earned him a berth in the new Narendra Modi Government.
         The BJP leader, who has had a long associating with the Rastriya Swayamsevak Sangh, made his maiden entry to Lok Sabha by winning from Odisha's Balasore constituency defeating sitting BJD MP and industrialist Rabindra Kumar Jena by 12,956 votes in the recent Lok Sabha polls.
         A national executive member of BJP, Sarangi was elected to Odisha Assembly twice in 2004 and 2009 from Nilagiri constituency in Balasore district. He had also contested the 2014 Lok Sabha elections from Balasore constituency but faced defeat.
         However, Sarangi's association with active politics and electoral victories has not affected his lifestyle as he continues to live in a mud and bamboo house and rides a bicycle to most places, even during his earlier poll campaigns. He has dedicated his life to social work and uplift of the poor and lives like an ascetic.
         The first-time parliamentarian, who is being fondly called as 'Odisha's Modi', has already created a buzz in social media where photos show him in his modest house and bathing at the village well.
         A bachelor, Sarangi is said to be spending the major portion of his MLA pension to support education of poor children in his area.
         After graduating from Fakir Mohan College in Balasore, the firebrand leader, who is fluent in Sanskrit, wanted to become a monk of the Ramakrishna Math and Mission but the math encouraged him to engage himself in social work instead.
         Thereafter, he started serving people in and around his village and got associated with RSS and VHP.
         The Balasore MP is credited with opening a number of schools for the poor children in the tribal and remote areas of Mayurbhanj and Balasore districts of the state which were devoid of educational facilities.
         Sarangi has also functioned as the Odisha unit president of Bajrang Dal and spearheaded a movement for the protection of cows.
         In the run up to the recent elections, Sarangi adopted his own style of campaigning, which was in sharp contrast to that of his rivals who had hired professional agencies and campaign managers.
          Sarangi relied on party workers and moved around in an autorickshaw. The newly elected lawmaker is firm that his new status as parliamentarian will not change his lifestyle as he believes in working for the people and serving the country. PTI SKN KK
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Last Updated : May 31, 2019, 9:44 PM IST
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