पुरी : ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की वापसी वाले दिन सुनै बैशा अनुष्ठान किया जाता है. इस दौरान भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और देवी सुभद्रा को स्वर्णाभूषण और वस्त्र धारण कराये जाते हैं. इसके साथ ही नौ दिवसीय रथ यात्रा का समापन हो जाता है.
परंपरा के अनुसार रथ यात्रा की वापसी वाले दिन देवी देवताओं का सोने के आभूषण से श्रृंगार किया जाता है. भगवान के इस दिव्य रूप को देखने देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी भक्त आते हैं. प्रत्येक वर्ष नौ दिवसीय मेले के आयोजन में लाखों की संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं.
इस अवसर पर भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों को बहुत अमीर व्यक्ति की तरह दिखाई देते हैं. भगवान जगन्नाथ को ऊपर से नीचे तक स्वर्ण आभूषणों से सजाया जाता है. भगवान की इस मनमोहक छवि को देख भक्त निहाल हो जाते हैं.
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तीनों देवी-देवताओं के इस भव्य सजावट और आलौकिक रूप को देखने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं. भगवान की बहन देवी सुभद्रा का भी पीले रंग के वस्त्र और आभूषण से श्रृंगार किया जाता है.
भगवान जगन्नाथ का सुनै बैशा शृंगार एक साल में पांच बार किया जाता है, लेकिन सबसे सुंदर आकर्षक भेष राजा राजेश्वरी के रूप में होता है. इस दौरान भगवान को उनके रथों पर स्वर्ण आभूषणों से सजाया जाता है.