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राजस्थान में मासूमों की मौतों का सिलसिला जारी, उदयपुर में भी रोजाना 3 से 5 मौतें - जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत

राजस्थान के कोटा शहर के जेके लोन अस्पताल में चार और बच्चों की मौत हो गई. इससे 35 दिनों में बच्चों की मौत का आंकड़ा 110 पहुंच गया है. कोटा के बाद उदयपुर में भी मासूमों की मौतों का सिलसिला शुरू हो गया है. रोजाना 3 से 5 बच्चे दम तोड़ रहे हैं. जानें क्या है पूरा मामला...

जेके लोन अस्पताल
जेके लोन अस्पताल
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Published : Jan 5, 2020, 8:20 AM IST

Updated : Jan 5, 2020, 6:38 PM IST

उदयपुर : कोटा जिले में छोटे बच्चों की उपचार के दौरान हुई मौत का सिलसिला थमा ही नहीं था, कि अब उदयपुर में भी ऐसी ही चिंताजनक स्थिति देखने को मिल रही है. उदयपुर संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महाराणा भूपाल में रोजाना 3 से 5 बच्चों की मौत हो रही है. हालांकि इस पूरे आंकड़े को अस्पताल प्रशासन की ओर से छुपाया जा रहा है और राज्य सरकार का हवाला देते हुए इस पूरे मामले को मीडिया से दूर रखने की बात कही जा रही है.

उदयपुर
आपको बता दें, कि उदयपुर के महाराणा भूपाल चिकित्सालय प्रशासन की ओर से मीडिया को पिछले महीनों में हुई छोटे बच्चों की मौत का आंकड़ा नहीं दिया जा रहा है. कहा जा रहा है, कि राज्य सरकार से इस आंकड़े को जारी करने के लिए मना कर दिया गया है. जबकि इससे पूर्व हर महीने यह आंकड़ा सार्वजनिक किया जाता था. वहीं इस पूरे घटनाक्रम के दौरान एक आंकड़ा भी सामने आया, जिसके अनुसार पिछले 1 साल में आरएनटी मेडिकल कॉलेज में लगभग 1128 बच्चों की मौत हो चुकी है. हालांकि अस्पताल प्रशासन ने इस पूरी रिपोर्ट पर कुछ भी कहने से साफ इनकार कर दिया है.

उदयपुर में भी बच्चों की मौत

जोधपुर
राजस्थान के कोटा के अस्पताल में नवजात शिशुओं की मौत को लेकर जारी घमासान के बीच एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि पिछले साल दिसंबर में जोधपुर के दो अस्पतालों में 100 से अधिक नवजात शिशुओं की मौत हो गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसंबर में उमैद और एमडीएम अस्पतालों में 146 बच्चों की मौत हुई, जिनमें से 102 शिशुओं की मौत नवजात गहन चिकित्सा इकाई में हुई.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में दिसंबर महीने में 146 नवजात बच्चों की मृत्यु हुई है. वहीं जनवरी के 4 दिनों में अबतक 9 नवजात बच्चों की मौत हो चुकी है. इसके बाद कलेक्टर और एडीएम सिटी सीमा कविया ने मथुरादास माथुर अस्पताल और उम्मेद अस्पताल आईसीयू का दौरा किया. वहीं शिशुरोग विभागाध्यक्ष ने ठंड लगना मौत का मुख्य कारण बताया है.

ईटीवी भारत रिपोर्ट

एस एन मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य एस एस राठौड़ ने कहा कि यह आंकड़ा शिशु मृत्युदर के अंतरराष्ट्रीय मानकों के दायरे में आता है.

राठौड़ ने बताया, 'कुल 47,815 बच्चों को 2019 में अस्पताल में भर्ती कराया गया था और इनमें से 754 बच्चों की मौत हुई.' दिसंबर में 4,689 बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था जिनमें से 3,002 बच्चों को एनआईसीयू और आईसीयू में भर्ती किया गया था और इनमें से 146 बच्चों की मौत हुई थी.

कोटा
बच्चों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है. बच्चों की मौत का आंकड़ा बीते 35 दिनों में 110 तक पहुंच चुका है. राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने जे के लोन अस्पताल का दौरा किया. अस्पताल से लौटने के बाद उन्होंने व्यवस्थाओं में सुधार के निर्देश दिए.

देखें ईटीवी भारत की रिपोर्ट
बीकानेर
कोटा के जेके लोन अस्पताल में नवजात शिशुओं की मौत के मामले के बाद पूरे प्रदेश में सरकारी शिशु अस्पताल अब निशाने पर आ गए हैं. ईटीवी भारत ने बीकानेर में शिशु अस्पताल की रियलिटी चेक किया. फौरी तौर पर बीकानेर के पीबीएम शिशु अस्पताल के हालात ठीक नजर आते हैं, लेकिन आपको जानकर हैरत होगी, कि बीकानेर में भी हालात खराब हैं.
गौरतलब है कि शनिवार को चार बच्चों की और मौत हो गई. इनमें से तीन बच्चे NICU और एक बच्चा PICU में भर्ती था. मरने वाले बच्चों में बारां जिले के शाहबाद निवासी द्रोपती का बच्चा शामिल है. द्रोपती ने जेके लोन अस्पताल में ही बच्चे को जन्म दिया था.
उसके पति कन्हैया लाल का कहना है कि बच्चे को मशीन में रखा हुआ था और मशीन भी दो से तीन बार बंद हुई थी. इसकी जानकारी उसने स्टाफ को दी और कुछ घंटों बाद बच्चे की मौत हो गई.

पायलट ने सही कहा, सरकार ले जिम्मेदारी, देखें पूर्व चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र राठौड़ का Exclusive Interview

टीम ने हाइपोथर्मिया को बताया बच्चों की मौत का कारण
लगातार हो रही बच्चों की मौत के कारण केंद्र सरकार ने भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से एक टीम को गठित कर कोटा भेजा है. ये टीम बच्चों की मौत के कारणों की पड़ताल में जुटी हुई है. फिलहाल हाइपोथर्मिया को ही बच्चों की मौत का कारण बताया जा रहा है. हालांकि, बच्चों की मौत का जायजा लेने पहुंची टीम और कारणों की पड़ताल कर अपनी रिपोर्ट केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपेगी.

उदयपुर : कोटा जिले में छोटे बच्चों की उपचार के दौरान हुई मौत का सिलसिला थमा ही नहीं था, कि अब उदयपुर में भी ऐसी ही चिंताजनक स्थिति देखने को मिल रही है. उदयपुर संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महाराणा भूपाल में रोजाना 3 से 5 बच्चों की मौत हो रही है. हालांकि इस पूरे आंकड़े को अस्पताल प्रशासन की ओर से छुपाया जा रहा है और राज्य सरकार का हवाला देते हुए इस पूरे मामले को मीडिया से दूर रखने की बात कही जा रही है.

उदयपुर
आपको बता दें, कि उदयपुर के महाराणा भूपाल चिकित्सालय प्रशासन की ओर से मीडिया को पिछले महीनों में हुई छोटे बच्चों की मौत का आंकड़ा नहीं दिया जा रहा है. कहा जा रहा है, कि राज्य सरकार से इस आंकड़े को जारी करने के लिए मना कर दिया गया है. जबकि इससे पूर्व हर महीने यह आंकड़ा सार्वजनिक किया जाता था. वहीं इस पूरे घटनाक्रम के दौरान एक आंकड़ा भी सामने आया, जिसके अनुसार पिछले 1 साल में आरएनटी मेडिकल कॉलेज में लगभग 1128 बच्चों की मौत हो चुकी है. हालांकि अस्पताल प्रशासन ने इस पूरी रिपोर्ट पर कुछ भी कहने से साफ इनकार कर दिया है.

उदयपुर में भी बच्चों की मौत

जोधपुर
राजस्थान के कोटा के अस्पताल में नवजात शिशुओं की मौत को लेकर जारी घमासान के बीच एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि पिछले साल दिसंबर में जोधपुर के दो अस्पतालों में 100 से अधिक नवजात शिशुओं की मौत हो गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसंबर में उमैद और एमडीएम अस्पतालों में 146 बच्चों की मौत हुई, जिनमें से 102 शिशुओं की मौत नवजात गहन चिकित्सा इकाई में हुई.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में दिसंबर महीने में 146 नवजात बच्चों की मृत्यु हुई है. वहीं जनवरी के 4 दिनों में अबतक 9 नवजात बच्चों की मौत हो चुकी है. इसके बाद कलेक्टर और एडीएम सिटी सीमा कविया ने मथुरादास माथुर अस्पताल और उम्मेद अस्पताल आईसीयू का दौरा किया. वहीं शिशुरोग विभागाध्यक्ष ने ठंड लगना मौत का मुख्य कारण बताया है.

ईटीवी भारत रिपोर्ट

एस एन मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य एस एस राठौड़ ने कहा कि यह आंकड़ा शिशु मृत्युदर के अंतरराष्ट्रीय मानकों के दायरे में आता है.

राठौड़ ने बताया, 'कुल 47,815 बच्चों को 2019 में अस्पताल में भर्ती कराया गया था और इनमें से 754 बच्चों की मौत हुई.' दिसंबर में 4,689 बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था जिनमें से 3,002 बच्चों को एनआईसीयू और आईसीयू में भर्ती किया गया था और इनमें से 146 बच्चों की मौत हुई थी.

कोटा
बच्चों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है. बच्चों की मौत का आंकड़ा बीते 35 दिनों में 110 तक पहुंच चुका है. राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने जे के लोन अस्पताल का दौरा किया. अस्पताल से लौटने के बाद उन्होंने व्यवस्थाओं में सुधार के निर्देश दिए.

देखें ईटीवी भारत की रिपोर्ट
बीकानेर
कोटा के जेके लोन अस्पताल में नवजात शिशुओं की मौत के मामले के बाद पूरे प्रदेश में सरकारी शिशु अस्पताल अब निशाने पर आ गए हैं. ईटीवी भारत ने बीकानेर में शिशु अस्पताल की रियलिटी चेक किया. फौरी तौर पर बीकानेर के पीबीएम शिशु अस्पताल के हालात ठीक नजर आते हैं, लेकिन आपको जानकर हैरत होगी, कि बीकानेर में भी हालात खराब हैं.
गौरतलब है कि शनिवार को चार बच्चों की और मौत हो गई. इनमें से तीन बच्चे NICU और एक बच्चा PICU में भर्ती था. मरने वाले बच्चों में बारां जिले के शाहबाद निवासी द्रोपती का बच्चा शामिल है. द्रोपती ने जेके लोन अस्पताल में ही बच्चे को जन्म दिया था.
उसके पति कन्हैया लाल का कहना है कि बच्चे को मशीन में रखा हुआ था और मशीन भी दो से तीन बार बंद हुई थी. इसकी जानकारी उसने स्टाफ को दी और कुछ घंटों बाद बच्चे की मौत हो गई.

पायलट ने सही कहा, सरकार ले जिम्मेदारी, देखें पूर्व चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र राठौड़ का Exclusive Interview

टीम ने हाइपोथर्मिया को बताया बच्चों की मौत का कारण
लगातार हो रही बच्चों की मौत के कारण केंद्र सरकार ने भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से एक टीम को गठित कर कोटा भेजा है. ये टीम बच्चों की मौत के कारणों की पड़ताल में जुटी हुई है. फिलहाल हाइपोथर्मिया को ही बच्चों की मौत का कारण बताया जा रहा है. हालांकि, बच्चों की मौत का जायजा लेने पहुंची टीम और कारणों की पड़ताल कर अपनी रिपोर्ट केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपेगी.

Intro:प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट भी दौरा करके जा चुके हैं और व्यवस्थाओं में सुधार के निर्देश दे चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद भी बच्चों की मौत का सिलसिला नहीं थम रहा है. यह बच्चों की मौत का आंकड़ा बीते 35 दिनों में 110 बच्चों तक पहुंच गया है.


Body:कोटा.
कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के कारण पूरे देश भर में छाया हुआ. हमें यहां पर प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट भी दौरा करके जा चुके हैं और व्यवस्थाओं में सुधार के निर्देश दे चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद भी बच्चों की मौत का सिलसिला नहीं थम रहा है. यह बच्चों की मौत का आंकड़ा बीते 35 दिनों में 110 बच्चों तक पहुंच गया है. जिनमें चार बच्चों की मौत शनिवार को पूरे दिन में हुई है. इनमें से तीन बच्चे एनआईसीयू और एक बच्चा पीआईसीयू में भर्ती था. मरने वाले बच्चों में बारां जिले के शाहबाद जिले शाहबाद निवासी द्रोपती का बच्चा शामिल है. द्रोपती ने जेके लोन अस्पताल में ही बच्चे को जन्म दिया था. उसके पति कन्हैया लाल का कहना है कि बच्चे को मशीन में रखा हुआ था और मशीन भी दो से तीन बार बंद हुई. वह जाकर स्टाफ से कह कर आया था. बड़ी मुश्किल से आया और कुछ घंटों बाद बच्चे की मौत हो गई.




Conclusion:टीम ने बच्चों की मौत को हाइपोथर्मिया के कारण माना
लगातार हो रही बच्चों की मौत के कारण भी केंद्र सरकार ने भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से एक टीम को गठित कर कोटा भेजा है. जो भी बच्चों की मौत के कारणों की पड़ताल में जुटी हुई है. प्रथम बस दिया उन्होंने भी हाइपोथर्मिया को ही बच्चों की मौत का कारण बताया है. हालांकि बच्चों की मौत का जायजा लेने पहुंची टीम और कारणों की पड़ताल करने वाली टीम अपनी रिपोर्ट को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी गई.
Last Updated : Jan 5, 2020, 6:38 PM IST
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