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तेलंगाना में 9 लोगों की हत्या के दोषी को मौत की सजा

तेलंगाना के वारंगल जिला अदालत ने गीसुकोंडा मंडल के गोर्रेकुंटा हत्या मामले के मुख्य आरोपी को मौत की सजा सुनाई है. आरोपी ने नींद की गोलियां मिलाकर एक ही परिवार के छह सदस्यों सहित नौ लोगों की हत्या कर दी थी.

गोर्रेकुंटा हत्या मामले
गोर्रेकुंटा हत्या मामले
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Published : Oct 28, 2020, 5:50 PM IST

Updated : Oct 28, 2020, 7:27 PM IST

वारंगल : तेलंगाना के वारंगल जिले की एक अदालत ने नौ प्रवासी श्रमिकों की हत्या करने के दोषी बिहार के एक शख्स संजय कुमार यादव को बुधवार को मौत की सजा सुनाई. संजय ने श्रमिकों के भोजन में नींद की गोलियां मिला दी थी और फिर उन्हें कुएं में फेंककर मार डाला था.

इस घटना के पांच महीने बाद अदालत का फैसला आया है. एडिशनल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट मजिस्ट्रेट ने 24 वर्षीय संजय कुमार यादव को हत्याओं का दोषी पाया और उसे मौत की सजा सुनाई.

पुलिस जांच में पता चला था कि संजय जिस युवती के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में था, उसकी हत्या कर दी थी और उस अपराध को छिपाने के लिए उसने 20 मई को वारंगल शहर के पास गोरेकुंटा गांव में श्रमिकों को कुएं में फेंककर और नौ हत्याएं कर दीं.

पुलिस ने 25 मई को संजय यादव को गिरफ्तार किया, जिसने खाने में नींद की गोलियां मिलाकर एक ही परिवार के छह सदस्यों सहित नौ लोगों की हत्या करने की बात स्वीकार की और फिर उन्हें एक-एक करके पास के कुएं में फेंक दिया.

पुलिस ने पश्चिम बंगाल के रहने वाले मोहम्मद मकसूद आलम (55), उनकी पत्नी निशा (48), उनके बेटे शाबाज आलम (20) और सोहेल आलम (18), बेटी बुशरा खातून (22) बुशरा के तीन साल के बेटे, बिहार के रहने वाले श्रीराम कुमार शाह (26), श्याम कुमार शाह (21) और त्रिपुरा के रहने वाले मोहम्मद शकील (40) का शव बरामद किया था.

संजय यादव एक गनी बैग यूनिट में काम करता था. निशा की भतीजी रफीका (37) के साथ उसके संबंध थे, जो अपने पति से अलग होने के बाद पश्चिम बंगाल से तीन बच्चों के साथ आई थी और उसी कारखाने में काम करती थी.

यादव ने किराए पर एक कमरा लिया था और उसके साथ रह रहा था. उसने जब रफीका की बेटी का यौन शोषण करने की कोशिश की तो रफीका ने उसे लताड़ लगाई. इसका बदला लेने के लिए यादव ने रफीका को मार डालने की योजना बनाई.

उसने मकसूद के परिवार को सूचित किया कि वह उसे शादी के लिए अपने बड़ों से बात करने के लिए पश्चिम बंगाल ले जा रहा है. वे 6 मार्च को गरीब रथ ट्रेन से विशाखापट्टनम के लिए रवाना हुए, लेकिन यात्रा के दौरान, उसने छाछ खरीदा और उसमें नींद की गोलियां मिलाने के बाद रफीका को पीने के लिए दे दिया.

छाछ पीकर रफीका जब वह सो गई तो उसने उसका गला घोंट दिया और शव को आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले के निदादावोल के पास ट्रेन से फेंक दिया. आरोपी राजामुंदरी में ट्रेन से उतर गया और वारंगल लौट आया. जब निशा और उसके पति ने रफीका के बारे में पूछा तो उसने कहा कि वह अपने गांव पहुंच गई है और बाद में वापस जा जाएगी.

जब मकसूद के परिवार ने पुलिस से शिकायत करने की धमकी दी, तो उसने उन सभी को खत्म करने की योजना बनाई. 20 मई को जब मकसूद का परिवार शाबाज का जन्मदिन मना रहा था, तो वह उनके घर आया और घर पर तैयार भोजन में नींद की गोलियां मिला दीं.

जैसा कि उसी इमारत में रहने वाले दो बिहारी युवकों ने उसे मकसूद के घर पर देखा था, वह सबूत मिटाने के लिए उनके कमरे में गया और उनके खाने में भी नींद की गोलियां मिला दीं. त्रिपुरा का मूल निवासी शकील, जो मकसूद के घर आया था, वह भी संजय यादव की साजिश का शिकार बन गया.

वारंगल : तेलंगाना के वारंगल जिले की एक अदालत ने नौ प्रवासी श्रमिकों की हत्या करने के दोषी बिहार के एक शख्स संजय कुमार यादव को बुधवार को मौत की सजा सुनाई. संजय ने श्रमिकों के भोजन में नींद की गोलियां मिला दी थी और फिर उन्हें कुएं में फेंककर मार डाला था.

इस घटना के पांच महीने बाद अदालत का फैसला आया है. एडिशनल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट मजिस्ट्रेट ने 24 वर्षीय संजय कुमार यादव को हत्याओं का दोषी पाया और उसे मौत की सजा सुनाई.

पुलिस जांच में पता चला था कि संजय जिस युवती के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में था, उसकी हत्या कर दी थी और उस अपराध को छिपाने के लिए उसने 20 मई को वारंगल शहर के पास गोरेकुंटा गांव में श्रमिकों को कुएं में फेंककर और नौ हत्याएं कर दीं.

पुलिस ने 25 मई को संजय यादव को गिरफ्तार किया, जिसने खाने में नींद की गोलियां मिलाकर एक ही परिवार के छह सदस्यों सहित नौ लोगों की हत्या करने की बात स्वीकार की और फिर उन्हें एक-एक करके पास के कुएं में फेंक दिया.

पुलिस ने पश्चिम बंगाल के रहने वाले मोहम्मद मकसूद आलम (55), उनकी पत्नी निशा (48), उनके बेटे शाबाज आलम (20) और सोहेल आलम (18), बेटी बुशरा खातून (22) बुशरा के तीन साल के बेटे, बिहार के रहने वाले श्रीराम कुमार शाह (26), श्याम कुमार शाह (21) और त्रिपुरा के रहने वाले मोहम्मद शकील (40) का शव बरामद किया था.

संजय यादव एक गनी बैग यूनिट में काम करता था. निशा की भतीजी रफीका (37) के साथ उसके संबंध थे, जो अपने पति से अलग होने के बाद पश्चिम बंगाल से तीन बच्चों के साथ आई थी और उसी कारखाने में काम करती थी.

यादव ने किराए पर एक कमरा लिया था और उसके साथ रह रहा था. उसने जब रफीका की बेटी का यौन शोषण करने की कोशिश की तो रफीका ने उसे लताड़ लगाई. इसका बदला लेने के लिए यादव ने रफीका को मार डालने की योजना बनाई.

उसने मकसूद के परिवार को सूचित किया कि वह उसे शादी के लिए अपने बड़ों से बात करने के लिए पश्चिम बंगाल ले जा रहा है. वे 6 मार्च को गरीब रथ ट्रेन से विशाखापट्टनम के लिए रवाना हुए, लेकिन यात्रा के दौरान, उसने छाछ खरीदा और उसमें नींद की गोलियां मिलाने के बाद रफीका को पीने के लिए दे दिया.

छाछ पीकर रफीका जब वह सो गई तो उसने उसका गला घोंट दिया और शव को आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले के निदादावोल के पास ट्रेन से फेंक दिया. आरोपी राजामुंदरी में ट्रेन से उतर गया और वारंगल लौट आया. जब निशा और उसके पति ने रफीका के बारे में पूछा तो उसने कहा कि वह अपने गांव पहुंच गई है और बाद में वापस जा जाएगी.

जब मकसूद के परिवार ने पुलिस से शिकायत करने की धमकी दी, तो उसने उन सभी को खत्म करने की योजना बनाई. 20 मई को जब मकसूद का परिवार शाबाज का जन्मदिन मना रहा था, तो वह उनके घर आया और घर पर तैयार भोजन में नींद की गोलियां मिला दीं.

जैसा कि उसी इमारत में रहने वाले दो बिहारी युवकों ने उसे मकसूद के घर पर देखा था, वह सबूत मिटाने के लिए उनके कमरे में गया और उनके खाने में भी नींद की गोलियां मिला दीं. त्रिपुरा का मूल निवासी शकील, जो मकसूद के घर आया था, वह भी संजय यादव की साजिश का शिकार बन गया.

Last Updated : Oct 28, 2020, 7:27 PM IST
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