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भारत-चीन के बीच तनाव से पहले ही बढ़ गए थे देश में साइबर हमले : विशेषज्ञ

साइबर विशेषज्ञ डॉ गुलशन राय ने बताया कि भारत-चीनी सेना के बीच हाल ही में हुए गतिरोध से पहले ही देश में साइबर हमलों की संख्या बढ़ गई थी. इस मामले में ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता कृष्णानंद त्रिपाठी ने डॉ गुलशन राय से विस्तृत बातचीत की.

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Published : Jul 6, 2020, 11:03 PM IST

हैदराबाद : भारतीय इंटरनेट यूजर्स को पिछले महीने साइबर हमले होने के संदेशों की बाढ़ आ गई थी. उन्हें चेतावनी दी गई थी कि वह ऐसे ईमेल लिंक पर क्लिक न करें जो कोविड-19 का मुफ्त परीक्षण देने का ऑफर दे रहे हों या फिर इंटरनेट पर अन्य संदिग्ध लिंक पर भी क्लिक न करें.

यह एडवाइजरी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प की घटना के लगभग एक सप्ताह बाद 21 जून को जारी की गई. इस झड़प में 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे.

एडवाइजरी में आशंका जताई गई थी कि दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने के कारण चीनी हैकर्स भारतीय इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को निशाना बना सकते हैं.

हालांकि, देश के एक शीर्ष साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ का कहना है कि एशियाई दिग्गजों के बीच तनाव बढ़ने के कारण घर से काम करने वालों के खिलाफ असुरक्षित उपकरणों के उपयोग करने के कारण साइबर हमलों की घटनाएं काफी हद तक बढ़ गई हैं.

उन्होंने कहा कि यह कहना बिल्कुल ठीक है कि पिछले कुछ महीनों में साइबर हमलों की घटनाओं में काफी इजाफा हुआ है.

प्रधानमंत्री कार्यलय के पूर्व राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक डॉ गुलशन राय का कहना है कि कुछ लोगों का मानना है कि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा के अनुसार यह आंकड़ा 200 प्रतिशत है. लेकिन मुद्दा यह है कि क्या यह दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव के कारण है या यह किसी और वजह से.

ईटीवी भारत से बात करते हुए एक सवाल के जवाब में डॉ राय कहा कि वह इसकी निगरानी कर रहे हैं और भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (CERT) के लोगों के साथ काम करते हैं. जो इन सभी हमलों की निगरानी करते हैं. इनमें फिशिंग और फिरौती के मामले काफी ज्यादा बढ़ गए हैं.

हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि मई में लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तनाव की खबरें और वीडियो सामने आने से पहले ही साइबर हमलों की संख्या में काफी वृद्धि दर्ज की गई थी.

उन्होंने मुंबई स्थित इलेक्ट्रॉनिक भुगतान सिस्टम फर्म 'ईपीएस इंडिया' द्वारा आयोजित एक वेबिनार में कहा कि यह हमले केवल बढ़े हुए तनाव के कारण नहीं हुए. यह हमले जनवरी, विशेष रूप से फरवरी के अंत से घर से काम करने की संस्कृति के कारण बढ़ गए हैं.

राय ने ईटीवी भारत के एक सवाल के जवाब में कहा कि अब तक इस बात का कोई सबूत नहीं मिला है कि यह हमले दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के कारण हुए हैं.

घर से काम करना लोगों को अंसवैदनशील बनाता है

डॉ गुलशन राय देश में साइबर हमलों से निपटने के लिए सरकार द्वारा बनाई गई नोडल बॉडी CERT-In का नेतृत्व कर चुके हैं. उनका कहना है कि कोविड-19 के मद्देनजर लगाए गए लॉकडाउन कारण घर से काम (WFH) करने की आवश्यकता के कारण समस्या बढ़ गई थी.

वर्ल्डोमीटर वेबसाइट के अनुसार, भारत में कोरोना से 19,700 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जबकि चार महीने से भी कम समय में दुनियाभर में 5,37,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. कोरोना का विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 11 मार्च को वैश्विक महामारी घोषित कर दिया गया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को देश में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन घोषित किया था. इसके बाद कुछ कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहा.

लॉकडाउन ने अभूतपूर्व तरीके से लोगों और सामानों की आवाजाही को बाधित कर दिया, देश में आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुईं. इस कारण लोगों को उन क्षेत्रों में जहां घर से काम करना संभव था, वहां घर से काम करने के लिए मजबूर कर दिया. हालांकि, घर से काम करने के विकल्प ने साइबर हमलों को और बढ़ावा दिया.

डॉ गुलशन राय ने कहा कि घर से काम करने में आप महसूस करेंगे कि हम में से किसी के पास सुरक्षित राउटर नहीं है. हमारे सभी पासवर्ड खुले हैं, चाहे हम मोबाइल से काम करें या लैपटॉप से काम करें. यह ही कारण है कि घर से काम करने के कारण बड़े पैमाने पर हमले हुए हैं.

पढ़ें - साइबर सुरक्षा के लिए बीमा करना चाहते हैं? जानिए सारी डिटेल्स

डॉ राय ने कहा कि क्योंकि हमारे एप्लीकेशन घर से काम करने के लिए नहीं बनाए गए हैं. सभी कार्यालय से काम करते थे, जहां सुरक्षा के लिए आईटी कर्मचारी मौजूद रहते थे, लेकिन आज कुछ भी नहीं है.

वह कहते हैं कि लोगों को अपने इंटरनेट में भी सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य मानदंडों का पालन करना चाहिए. इसका मतलब यह है कि लोगों को इस तरह के हमलों को असफल बनाने के लिए समय-समय पर सख्ती के साथ सरकारी निर्देशों का पालन करना चाहिए.

उनको एक मजबूत पासवर्ड रखना चाहिए, दूसरों को पासवर्ड की जानकारी नहीं देनी चाहिए और अपने लैपटॉप को अनधिकृत पहुंच से दूर रखना चाहिए. किसी भी संदिग्ध लिंक या ईमेल पर क्लिक नहीं करना चाहिए. हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारा सिस्टम सुरक्षित है.

हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ हमले भारत और चीन के बीच बढ़े तनाव के कारण हो सकते हैं.

उन्होंने कहा, 'मैं इन तनावों के कारण हुए हमलों को पूरी तरह से खारिज नहीं कर रहा हूं. ऐसी एजेंसियां हैं, जो इस तरह के हमलों की निगरानी कर रही हैं और इन एजेंसियों ने कई हमलों को रोका है.'

रॉय ने कहा कि भारतीय उपयोगकर्ताओं को लक्षित करने वाले साइबर हमले या हैकिंग के प्रयासों की संभावना पिछले हफ्ते केंद्र सरकार के फैसले के बाद और बढ़ गई है, जिसमें टिक-टॉक, हेलो, शेयरइट और कैम स्कैनर सहित 59 चीनी मोबाइल एप्स पर प्रतिबंध लगाया गया.

उन्होंने कहा कि हम पर भी आरोप लगे हैं कि हम इन हमलों से बचने के लिए रक्षात्मक कदम उठा रहे हैं.

हैदराबाद : भारतीय इंटरनेट यूजर्स को पिछले महीने साइबर हमले होने के संदेशों की बाढ़ आ गई थी. उन्हें चेतावनी दी गई थी कि वह ऐसे ईमेल लिंक पर क्लिक न करें जो कोविड-19 का मुफ्त परीक्षण देने का ऑफर दे रहे हों या फिर इंटरनेट पर अन्य संदिग्ध लिंक पर भी क्लिक न करें.

यह एडवाइजरी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प की घटना के लगभग एक सप्ताह बाद 21 जून को जारी की गई. इस झड़प में 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे.

एडवाइजरी में आशंका जताई गई थी कि दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने के कारण चीनी हैकर्स भारतीय इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को निशाना बना सकते हैं.

हालांकि, देश के एक शीर्ष साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ का कहना है कि एशियाई दिग्गजों के बीच तनाव बढ़ने के कारण घर से काम करने वालों के खिलाफ असुरक्षित उपकरणों के उपयोग करने के कारण साइबर हमलों की घटनाएं काफी हद तक बढ़ गई हैं.

उन्होंने कहा कि यह कहना बिल्कुल ठीक है कि पिछले कुछ महीनों में साइबर हमलों की घटनाओं में काफी इजाफा हुआ है.

प्रधानमंत्री कार्यलय के पूर्व राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक डॉ गुलशन राय का कहना है कि कुछ लोगों का मानना है कि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा के अनुसार यह आंकड़ा 200 प्रतिशत है. लेकिन मुद्दा यह है कि क्या यह दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव के कारण है या यह किसी और वजह से.

ईटीवी भारत से बात करते हुए एक सवाल के जवाब में डॉ राय कहा कि वह इसकी निगरानी कर रहे हैं और भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (CERT) के लोगों के साथ काम करते हैं. जो इन सभी हमलों की निगरानी करते हैं. इनमें फिशिंग और फिरौती के मामले काफी ज्यादा बढ़ गए हैं.

हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि मई में लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तनाव की खबरें और वीडियो सामने आने से पहले ही साइबर हमलों की संख्या में काफी वृद्धि दर्ज की गई थी.

उन्होंने मुंबई स्थित इलेक्ट्रॉनिक भुगतान सिस्टम फर्म 'ईपीएस इंडिया' द्वारा आयोजित एक वेबिनार में कहा कि यह हमले केवल बढ़े हुए तनाव के कारण नहीं हुए. यह हमले जनवरी, विशेष रूप से फरवरी के अंत से घर से काम करने की संस्कृति के कारण बढ़ गए हैं.

राय ने ईटीवी भारत के एक सवाल के जवाब में कहा कि अब तक इस बात का कोई सबूत नहीं मिला है कि यह हमले दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के कारण हुए हैं.

घर से काम करना लोगों को अंसवैदनशील बनाता है

डॉ गुलशन राय देश में साइबर हमलों से निपटने के लिए सरकार द्वारा बनाई गई नोडल बॉडी CERT-In का नेतृत्व कर चुके हैं. उनका कहना है कि कोविड-19 के मद्देनजर लगाए गए लॉकडाउन कारण घर से काम (WFH) करने की आवश्यकता के कारण समस्या बढ़ गई थी.

वर्ल्डोमीटर वेबसाइट के अनुसार, भारत में कोरोना से 19,700 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जबकि चार महीने से भी कम समय में दुनियाभर में 5,37,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. कोरोना का विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 11 मार्च को वैश्विक महामारी घोषित कर दिया गया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को देश में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन घोषित किया था. इसके बाद कुछ कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहा.

लॉकडाउन ने अभूतपूर्व तरीके से लोगों और सामानों की आवाजाही को बाधित कर दिया, देश में आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुईं. इस कारण लोगों को उन क्षेत्रों में जहां घर से काम करना संभव था, वहां घर से काम करने के लिए मजबूर कर दिया. हालांकि, घर से काम करने के विकल्प ने साइबर हमलों को और बढ़ावा दिया.

डॉ गुलशन राय ने कहा कि घर से काम करने में आप महसूस करेंगे कि हम में से किसी के पास सुरक्षित राउटर नहीं है. हमारे सभी पासवर्ड खुले हैं, चाहे हम मोबाइल से काम करें या लैपटॉप से काम करें. यह ही कारण है कि घर से काम करने के कारण बड़े पैमाने पर हमले हुए हैं.

पढ़ें - साइबर सुरक्षा के लिए बीमा करना चाहते हैं? जानिए सारी डिटेल्स

डॉ राय ने कहा कि क्योंकि हमारे एप्लीकेशन घर से काम करने के लिए नहीं बनाए गए हैं. सभी कार्यालय से काम करते थे, जहां सुरक्षा के लिए आईटी कर्मचारी मौजूद रहते थे, लेकिन आज कुछ भी नहीं है.

वह कहते हैं कि लोगों को अपने इंटरनेट में भी सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य मानदंडों का पालन करना चाहिए. इसका मतलब यह है कि लोगों को इस तरह के हमलों को असफल बनाने के लिए समय-समय पर सख्ती के साथ सरकारी निर्देशों का पालन करना चाहिए.

उनको एक मजबूत पासवर्ड रखना चाहिए, दूसरों को पासवर्ड की जानकारी नहीं देनी चाहिए और अपने लैपटॉप को अनधिकृत पहुंच से दूर रखना चाहिए. किसी भी संदिग्ध लिंक या ईमेल पर क्लिक नहीं करना चाहिए. हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारा सिस्टम सुरक्षित है.

हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ हमले भारत और चीन के बीच बढ़े तनाव के कारण हो सकते हैं.

उन्होंने कहा, 'मैं इन तनावों के कारण हुए हमलों को पूरी तरह से खारिज नहीं कर रहा हूं. ऐसी एजेंसियां हैं, जो इस तरह के हमलों की निगरानी कर रही हैं और इन एजेंसियों ने कई हमलों को रोका है.'

रॉय ने कहा कि भारतीय उपयोगकर्ताओं को लक्षित करने वाले साइबर हमले या हैकिंग के प्रयासों की संभावना पिछले हफ्ते केंद्र सरकार के फैसले के बाद और बढ़ गई है, जिसमें टिक-टॉक, हेलो, शेयरइट और कैम स्कैनर सहित 59 चीनी मोबाइल एप्स पर प्रतिबंध लगाया गया.

उन्होंने कहा कि हम पर भी आरोप लगे हैं कि हम इन हमलों से बचने के लिए रक्षात्मक कदम उठा रहे हैं.

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