कोच्चि : केंद्रीय जहाजरानी मंत्री मनसुख मंडाविया ने केरल में स्थित कोचिन शिपयार्ड को नार्वे से कॉनट्रैक्ट मिलने पर बधाई दी है. उन्होंने कोच्चि पोर्ट के वल्लारपदम टर्मिनल के विकास कार्यों की समीक्षा भी की. वल्लारपदम टर्मिनल की परिकल्पना भारत के पहले ट्रांस-शिपमेंट पोर्ट के रूप में की जा रही है.
शिपिंग मंत्रालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार वल्लारपदम टर्मिनल की परिकल्पना भारत के पहले ट्रांस-शिपमेंट पोर्ट के रूप में की जा रही है.
मंडाविया ने कहा, 'हम भारतीय पोर्ट पर ट्रांस-शिपमेंट की सुविधा विकसित कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय कार्गो को भारतीय बंदरगाह के माध्यम से ही ट्रांस-शिप किया जा सकता है. वल्लारपदम टर्मिनल के विभिन्न मुद्दों को हल करना पोत परिवहन मंत्रालय की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है.'
ट्रांस-शिपमेंट हब बंदरगाह कंटेनरों को संभालता है, उन्हें अस्थायी रूप से संग्रहीत करता है और उन्हें आगे के गंतव्य के लिए अन्य जहाजों में स्थानांतरित करता है.
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अंतरराष्ट्रीय समुद्री मार्गों से निकटता और भारत के प्रमुख पर्वतीय बाजारों से निकटता में शामिल हैं.
जहाजरानी मंत्री मंडाविया ने ट्वीट कर दी बधाई
दुनिया के पहले स्वचालित इलेक्ट्रिक पोत के निर्माण के लिए कॉन्ट्रैक्ट मिलने पर मनसुख मंडाविया ने सीएसएल(कोच्चि शिपयार्ड लिमिटेड) को बधाई दी. उन्होंने कहा, 'नार्वे जहाज निर्माण उद्योग में ऐतिहासिक मील का पत्थर है. विभिन्न वैश्विक शिपयार्ड के साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए सीएसएल ने अपनी अच्छी विश्वसनीयता और इतिहास #MakeInIndia के साथ कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया है.'