नई दिल्ली : मरकज से फैले कोरोना के मामले की जांच कर रही क्राइम ब्रांच अब इसकी फंडिंग को लेकर जांच कर रही है. क्राइम ब्रांच को शक है कि मरकज को पीएफआई की फंडिंग हो रही थी. इसे लेकर की जा रही जांच के दौरान मरकज से जुड़े बैंक खातों को क्राइम ब्रांच खंगालेगी. यह जानने का प्रयास किया जाएगा कि आखिरकार मरकज को फंड कहां से मिल रहा था.
जानकारी के अनुसार निजामुद्दीन स्थित मरकज से दिल्ली सरकार एवं पुलिस द्वारा कुल 2361 लोग निकाले गए थे. इनमें से 300 से ज्यादा की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ चुकी है. यहां से बड़ी संख्या में जमाती दिल्ली की विभिन्न मस्जिदों में चले गए थे. उनमें से भी काफी लोगों को पुलिस तलाशकर क्वारंटाइन में भेज चुकी है. इस पूरे प्रकरण को लेकर दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एफआईआर दर्ज की थी. खुद क्राइम ब्रांच के वरिष्ठ अधिकारी एफएसएल के साथ जाकर मरकज की छानबीन कर चुके हैं.
पीएफआई से लिंक को लेकर होगी जांच
राजधानी में बीते फरवरी माह में हुए दंगे एवं शाहीन बाग में लंबे समय तक चले प्रदर्शन में पीएफआई (इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया) पर फंडिंग के आरोप लगे थे. इन मामलों को लेकर स्पेशल सेल ने पीएफआई के कई पदाधिकारियों को भी गिरफ्तार किया था. इसलिए अब मरकज मामले में भी पीएफआई से फंडिंग का शक क्राइम ब्रांच को है. इसे ध्यान में रखते हुए क्राइम ब्रांच की टीम मरकज से जुड़े बैंक खातों की जांच करेगी. इस दौरान यह पता किया जाएगा कि मरकज को कहां से आर्थिक सहायता मिल रही थी. वह कौन से लोग एवं संस्था है, जो उन्हें मदद दे रही थी.
मौलाना साद ने नहीं भेजा अभी तक जवाब
क्राइम ब्रांच की तरफ से इस मामले में मौलाना साद सहित सात आरोपियों को नोटिस भेजकर उनसे लिखित जवाब मांगा गया था. लेकिन अभी तक किसी भी आरोपी ने क्राइम ब्रांच को जवाब नहीं दिया है. मौलाना साद के वकील ने जवाब देने के लिए समय मांगा था, जिसे क्राइम ब्रांच ने नहीं माना है. उन्होंने सोमवार को दोबारा नोटिस भेजकर मौलाना साद से लिखित जवाब मांगा है.