नई दिल्ली : देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई के राज्यसभा के लिए मनोनयन को लेकर सवाल उठाने वाली कांग्रेस पर भारतीय जनता पार्टी ने पलटवार किया है. भाजपा ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस का तो न्याय व्यवस्था को प्रभावित करने का इतिहास ही रहा है और वह पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई के राज्यसभा में मनोनयन पर सवाल उठा रही है. भाजपा ने कांग्रेस पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि एक नाम पूर्व सीजेआई रंगनाथ मिश्रा का भी है, जो कांग्रेस की तरफ से राज्यसभा पहुंचे थे.
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की परंपरा न्यायाधीशों को राज्यसभा देकर प्रभावित करने की नहीं रही है बल्कि यह इतिहास कांग्रेस का रहा है. दुनिया जानती है कि जस्टिस रंगनाथ मिश्र की कमेटी ने 1984 के दंगे में किस तरह कांग्रेस और कांग्रेस के बड़े नेताओं को क्लीन चिट दी थी.
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वर्मा ने कहा कि रंजन गोगोई की काबिलियत पर विपक्ष सवाल उठा रहा है, यह उचित नहीं है. वस्तुतः उनकी काबिलियत के वजह से ही राष्ट्रपति ने उन्हें राज्यसभा में मनोनीत किया है. न सिर्फ तीन तलाक, राम मंदिर बल्कि कई बड़े मुद्दों पर उन्होंने फैसला दिया है. और यह कोई भाजपा का फैसला नहीं था, यह देश का फैसला था.
सुदेश ने कहा कि कांग्रेस इसे भाजपा का फैसला बताकर सवाल खड़ा कर रही है. क्या तीन तलाक का मसला भाजपा से जुड़ा था. इसमें मुस्लिम महिलाओं को जीवन यापन की बात थी, लेकिन कांग्रेस इन फैसलों पर सवाल उठाकर सीधे-सीधे न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल उठा रही है. यह गलत बात है.
दूसरी तरफ भाकपा महासचिव डी. राजा ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, 'हमारी मांग है कि उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों, यहां तक कि शीर्ष नौकरशाहों को राज्यसभा में नामित न करने के लिए एक कानून होना चाहिए.'
राज्यसभा सदस्य के रूप में पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नामांकन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राजा ने कहा कि इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठते हैं.
सीपीआई नेता ने कहा, 'एक बार सीजेआई ने खुद टिप्पणी की थी कि एक सेवानिवृत्ति के बाद की नियुक्ति न्यायपालिका पर सवाल खड़े करती है.'