श्रीनगर : कोरोना वायरस की वजह से जम्मू-कश्मीर का प्रशासन भी प्रभावित हो रहा है. जम्मू से सिविल सेक्रेटेरिएट का स्थानांतरण अब तक नहीं हो सका है. नियमानुसार इसे अब तक श्रीनगर शिफ्ट हो जाना चाहिए था. 148 सालों में ऐसा पहली बार है, जब 'दरबार मूव' नहीं हो सका है.
सरकार ने कहा कि दरबार मूव 15 जून से संभव हो सकेगा. सामान्य रूप से मई के पहले सप्ताह में इसे मूव हो जाना चाहिए. लेकिन कोरोना की वजह से एक महीने या उससे अधिक की भी देरी होगी. सामान्य प्रशासन विभाग ने इसकी पुष्टि कर दी है. पिछले सप्ताह सरकार ने आदेश तो जारी कर दिया था, लेकिन कर्मचारियों को अभी वहीं से काम करने को कहा, जहां से अभी वे काम कर रहे हैं. आपको बता दें कि श्रीनगर जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी है.
पिछले आदेश के अनुसार, कश्मीर से संबंधित कर्मचारी केवल इस वर्ष घाटी में स्थानांतरित होंगे, जबकि ऐसे कार्यालयों में सेवारत जम्मू डिवीजन से संबंधित कर्मचारी 'जहां है' आधार पर काम करेंगे.
आदेश में कहा गया है कि श्रीनगर में दरबार मूव की औपचारिक शुरुआत 15 जून को होगी. सभी अधिकारियों को विशिष्ट कोविड-19 नियंत्रण कार्य सौंपे गए हैं. वे अपने वर्तमान स्थान से अगले आदेश तक कार्य करते रहेंगे, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोविड-19 नियंत्रण प्रयासों को अधिकारियों / कार्यालयों के भौतिक अव्यवस्था के कारण बाधित नहीं किया जाता है.
श्रीनगर में सिविल सचिवालय पांच मई को कर्मचारियों / अधिकारियों के साथ 'जैसा है, जहां है' आधार पर आंशिक कामकाज शुरू करेगा, जो कि तारीख से पहले ही स्थानांतरित हो जाने की संभावना है.
आदेश में कहा गया है कि प्रशासनिक सचिव उन अधिकारियों / कर्मचारियों की सूची प्रस्तुत करेंगे, जो 21 अप्रैल तक सामान्य प्रशासनिक विभाग के श्रीनगर और जम्मू से काम करेंगे. इसने आगे कहा कि संबंधित अधिकारी अधिकतम दक्षता और न्यूनतम व्यवधान प्राप्त करने के लिए श्रीनगर और जम्मू में अधिकारियों और कर्मचारियों को काम सौंपेंगे.
प्रशासनिक सचिवों को जम्मू और श्रीनगर में मजबूत ऑनलाइन और इलेक्ट्रॉनिक, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और अन्य संचार साधनों के साथ रखा जाएगा ताकि दोनों स्थानों पर एक आभासी कार्यालय सुनिश्चित किया जा सके.
सरकार ने कहा कि इस व्यवस्था की समीक्षा 15 जून को की जाएगी, जब कोविड-19 के विस्तार और प्रसार की स्पष्ट तस्वीर सामने आएगी. पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सरकार के पिछले आदेश को 'नासमझ बकवास' करार दिया था.
उन्होंने कहा, 'दरबार मूव के बारे में यह आदेश, सबसे खराब और अनावश्यक टोकन पर सबसे अच्छा नासमझ बकवास है. इसलिए कार्यालय कोविड-19 की वजह से श्रीनगर में स्थानांतरित नहीं हो सकते, मुझे लगता है कि मैं श्रीनगर सचिवालय में फाइलों या वरिष्ठ अधिकारियों के बिना क्या करूंगा?'
दो कामकाजी सचिवालयों’ का यह आदेश सिर्फ भ्रम पैदा करेगा क्योंकि किसी को भी यह पता नहीं होगा कि अपना काम करवाने के लिए किस सचिवालय से संपर्क करना होगा. बेहतर होगा कि इस आदेश को वापस लिया जाए और कोविड-19 खतरे के समय तक कार्यालयों की चाल को विलंबित किया जाए.
जम्मू और कश्मीर देश में दो राजधानियों-श्रीनगर और जम्मू के साथ एकमात्र स्थान है, जहां हर साल सचिवालय स्थानांतरित किया जाता है. मई में श्रीनगर और अक्टूबर-नवंबर में जम्मू.
दरबार मूव की यह पारंपरिक प्रथा 1872 से प्रचलन में है, जब डोगरा के पूर्व शासक महाराजा रणबीर सिंह ने इसे शुरू किया था. यह 200 करोड़ से अधिक का व्यय करता है.
पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने 1987 में इस प्रथा को रोकने की कोशिश की थी, जब उन्होंने श्रीनगर में सचिवालय को पूरे साल खुला रखने के आदेश जारी किए थे. हालांकि, इस फैसले ने जम्मू क्षेत्र में एक नाराज प्रतिक्रिया पैदा की, जहां वकीलों और राजनीतिक दलों ने इसके खिलाफ आंदोलन किया और अब्दुल्ला को अपना निर्णय रद करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
(मीर फरहत)