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केन्द्र विमान की टिकटों का पैसा लौटाने के मामले में कंपनियों से बात करे : न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र और विमान कंपनियों से कहा कि विमानन कंपनिया लॉकडाउन के दौरान रद टिकट का पूरा पैसा वापस करने के तरीकों पर विचार करें. पढ़ें विस्तार से...

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सांकेतिक चित्र
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Published : Jun 12, 2020, 10:04 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र और विमान कंपनियों से कहा कि वे कोरोना वायरस महामारी लॉकडाउन की वजह से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के रद कराई गई टिकटों का पूरा पैसा लौटाने के तौर तरीकों पर विचार करें.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई करते हुये केन्द्र से कहा कि इस मुद्दे पर साफ रूख अपनाए और पूरा पैसा लौटाने का रास्ता खोजें.

गैर सरकारी संगठन प्रवासी लीगल सेल ने इस मामले को लेकर न्यायालय में याचिका दायर कर रखी है. इसी दौरान यह मुद्दा भी उठाया गया कि कोविड-19 की वजह से दुनिया भर में विमान कंपनियां संकट से गुजर रही हैं और ऐसी स्थिति में लंबित मामले में उन्हें भी सुना जाए.

शीर्ष अदालत इस मामले में अब तीन सप्ताह बाद आगे सुनवाई करेगी.

न्यायालय ने लॉकडाउन की वजह से रद कराई गई टिकटों का पूरा पैसा वापस कराने के लिए दायर याचिका पर सोमवार को केन्द्र और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय से जवाब मांगा था.

याचिका में कहा गया था कि रद कराई गई टिकटों का पूरा पैसा नहीं लौटाने की विमान कंपनियों की कार्रवाई को प्राधिकारी द्वारा जारी नागरिक उड्डयन अनिवार्यताओं का उल्लंघन करार दिया जाए.

पढ़ें- कोरोना : स्पाइसजेट का विमान चिकित्सा आपूर्ति लेकर चीन से दिल्ली लौटा

याचिका के अनुसार टिकट रद्द कराए जाने के मामलों में विमान कंपनियां पूरा पैसा लौटाने की बजाए एक साल की वैधता वाला क्रेडिट दे रही हैं जो नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के मई, 2008 के प्रावधान के खिलाफ है.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र और विमान कंपनियों से कहा कि वे कोरोना वायरस महामारी लॉकडाउन की वजह से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के रद कराई गई टिकटों का पूरा पैसा लौटाने के तौर तरीकों पर विचार करें.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई करते हुये केन्द्र से कहा कि इस मुद्दे पर साफ रूख अपनाए और पूरा पैसा लौटाने का रास्ता खोजें.

गैर सरकारी संगठन प्रवासी लीगल सेल ने इस मामले को लेकर न्यायालय में याचिका दायर कर रखी है. इसी दौरान यह मुद्दा भी उठाया गया कि कोविड-19 की वजह से दुनिया भर में विमान कंपनियां संकट से गुजर रही हैं और ऐसी स्थिति में लंबित मामले में उन्हें भी सुना जाए.

शीर्ष अदालत इस मामले में अब तीन सप्ताह बाद आगे सुनवाई करेगी.

न्यायालय ने लॉकडाउन की वजह से रद कराई गई टिकटों का पूरा पैसा वापस कराने के लिए दायर याचिका पर सोमवार को केन्द्र और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय से जवाब मांगा था.

याचिका में कहा गया था कि रद कराई गई टिकटों का पूरा पैसा नहीं लौटाने की विमान कंपनियों की कार्रवाई को प्राधिकारी द्वारा जारी नागरिक उड्डयन अनिवार्यताओं का उल्लंघन करार दिया जाए.

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याचिका के अनुसार टिकट रद्द कराए जाने के मामलों में विमान कंपनियां पूरा पैसा लौटाने की बजाए एक साल की वैधता वाला क्रेडिट दे रही हैं जो नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के मई, 2008 के प्रावधान के खिलाफ है.

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