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मध्यप्रदेश : भोपाल पहुंचा देश का पहला 12 हजार हॉर्स पावर का लोकोमोटिव इंजन

मेक इन इंडिया के तहत 12 हजार हॉर्स पावर का लोकोमोटिव इंजन बुधवार को राजधानी के हबीबगंज रेलवे स्टेशन पहुंचा. बताया जा रहा है कि भारतीय रेलवे में फिलहाल ये सबसे हाई पावर का इंजन है.

Locomotive engine
लोकोमोटिव इंजन
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Published : Jun 25, 2020, 9:54 PM IST

भोपाल : मेक इन इंडिया के तहत 12 हजार हॉर्स पावर का लोकोमोटिव इंजन बुधवार को राजधानी के हबीबगंज रेलवे स्टेशन पहुंचा. 12 हजार हॉर्स पावर का इंजन भारतीय रेलवे में फिलहाल सबसे हाई पावर का इंजन है. इससे पहले 9 हजार हॉर्स पावर का इंजन हुआ करता था. 12 हजार हॉर्स पॉवर के लोकोमोटिव इंजन से मालगाड़ी को खींचने में आसानी होगी.

लोकोमोटिव इंजन की सामान्य स्पीड 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रहेगी. वहीं अधिकतम 120 किलोमीटर रहेगी. इस इंजन का वजन 180 टन है और इसे मेक इन इंडिया के तहत बिहार के मधेपुरा में बनाया गया है. लोकोमोटिव की विश्वसनीयता अधिक है, क्योंकि इस लोकोमोटिव में एक मास्टर लोको है और एक स्लेव लोको है.

12 हजार हॉर्स पावर का लोकोमोटिव इंजन

मास्टर लोको में किसी प्रकार की खराबी आने पर स्लेव लोको की पावर से काम किया जा सकता है. लोकोमोटिव बदलने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. एक लोको 6 हजार हॉर्स पावर का है और दूसरा भी 6 हजार हॉर्स पावर का है दोनों मिलाकर 12,000 हॉर्स पावर है.

पढ़ें :- एल एंड टी निर्मित क्रायोस्टैट बेस विश्व के सबसे बड़े परमाणु संयत्र में स्थापित

बता दें कि इससे सबसे ज्यादा फायदा उन इलाकों में होगा जहां पर ऊंचाइयों पर मालगाड़ी को ले जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब लोकोमोटिव इंजन से ऐसा नहीं होगा. इसकी लागत 30 करोड़ है और इसके अंदर लोको पायलट की सुविधा का विशेष ध्यान भी रखा गया है. फिलहाल 12 हजार हॉर्स पावर के इंजन को ट्रायल के तौर पर पूरे देशभर के अलग-अलग रेल मंडलों में भेजा जा रहा है.

भोपाल : मेक इन इंडिया के तहत 12 हजार हॉर्स पावर का लोकोमोटिव इंजन बुधवार को राजधानी के हबीबगंज रेलवे स्टेशन पहुंचा. 12 हजार हॉर्स पावर का इंजन भारतीय रेलवे में फिलहाल सबसे हाई पावर का इंजन है. इससे पहले 9 हजार हॉर्स पावर का इंजन हुआ करता था. 12 हजार हॉर्स पॉवर के लोकोमोटिव इंजन से मालगाड़ी को खींचने में आसानी होगी.

लोकोमोटिव इंजन की सामान्य स्पीड 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रहेगी. वहीं अधिकतम 120 किलोमीटर रहेगी. इस इंजन का वजन 180 टन है और इसे मेक इन इंडिया के तहत बिहार के मधेपुरा में बनाया गया है. लोकोमोटिव की विश्वसनीयता अधिक है, क्योंकि इस लोकोमोटिव में एक मास्टर लोको है और एक स्लेव लोको है.

12 हजार हॉर्स पावर का लोकोमोटिव इंजन

मास्टर लोको में किसी प्रकार की खराबी आने पर स्लेव लोको की पावर से काम किया जा सकता है. लोकोमोटिव बदलने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. एक लोको 6 हजार हॉर्स पावर का है और दूसरा भी 6 हजार हॉर्स पावर का है दोनों मिलाकर 12,000 हॉर्स पावर है.

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बता दें कि इससे सबसे ज्यादा फायदा उन इलाकों में होगा जहां पर ऊंचाइयों पर मालगाड़ी को ले जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब लोकोमोटिव इंजन से ऐसा नहीं होगा. इसकी लागत 30 करोड़ है और इसके अंदर लोको पायलट की सुविधा का विशेष ध्यान भी रखा गया है. फिलहाल 12 हजार हॉर्स पावर के इंजन को ट्रायल के तौर पर पूरे देशभर के अलग-अलग रेल मंडलों में भेजा जा रहा है.

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