हैदराबाद : संक्रमित व्यक्ति द्वारा खांसने या छींकने पर ही सिर्फ कोविड-19 नहीं फैलता, बल्कि उसके सामान्य सांस लेने से भी फैल सकता है. इस तरह का दावा एक नए अध्ययन में किया गया है.
दरअसल नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (एनएएस) ने अपने अध्ययन में वर्तमान शोध को पूर्ण भी नहीं माना है और इंकार भी नहीं किया है. विशेषज्ञों ने कहा है कि एसएआरएस-सीओवी-2 नामक वायरस संक्रमित व्यक्ति द्वारा खांसने या छींकने पर कोविड-19 के कण हवा के माध्यम से आसपास फैल सकता है. हालांकि इस तरह का कोई भी प्रमाण नहीं है कि सामान्य सांस से संक्रमण फैला हो.
बहरहाल नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (एनएएस) ने अपने अध्ययन में इससे इनकार भी नहीं किया है. अब भी विशेषज्ञों ने कहा है कि एसएआरएस-सीओवी-2 नामक वायरस संक्रमित व्यक्ति द्वारा खांसने या छींकने पर हवा के माध्यम से उस तरह से नहीं फैलता है. अपेक्षाकृत बड़ी बूंदों के माध्यम से फैलता है. बड़ी बूंदें सतह या वस्तुओं को दूषित कर सकती हैं और उन लोगों को संक्रमित कर सकती हैं, जो सतह छूकर फिर चेहरा को छूते हैं.
सर्जिकल मास्क पहनने के कारण वायरस की मात्रा घट सकती है, जोकि संक्रमित लोग फैलाते है. हांगकांग विश्वविद्यालय से एक अप्रकाशित अध्ययन का हवाला देते हुए एनएसए टीम ने बताया.
रिपोर्ट यह भी कहती है कि अस्पताल में रोगियों के बिस्तर से वायरस से आनुवंशिक सामग्री का पता दो मीटर (छह फीट) से लगाया गया. इससे पता चलता है कि वायरस के प्रसार को सीमित करने के लिए कम से कम दो मीटर तक की शारीरिक दूरी ही पर्याप्त नहीं है. रिपोर्ट से सवाल उठता है कि क्या संक्रामक वायरस इससे अधिक दूरी तक जा सकता है, जोकि अभी तक ज्ञात नहीं है.
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आपको बता दें कि कि दो अप्रैल तक दुनियाभर में 10 लाख से अधिक लोग कोविड-19 से संक्रमित हो चुके हैं और लगभग संयुक्त राज्य में एक चौथाई मामले आ चुके हैं. इसके साथ दुनियाभर में 60,000 से अधिक लोग मर चुके हैं.