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कोरोना को हराने में मील का पत्थर साबित होगा SOLATE-THAMBA ऐप : डॉ हिमांशा

लंदन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय में कोरोना वैक्सीन पर रिसर्च कर रहीं डॉक्टर हिमांशा सिंह ने ईटीवी भारत से बात की. उन्होंने कहा- कोरोना को हराने में मील का पत्थर साबित होगा SOLATE-THAMBA ऐप. हिमांशा ग्वालियर की रहने वाली हैं जो लंदन के कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में रिसर्च कर रही हैं. वह उस टीम का हिस्सा हैं, जो कोरोना के खिलाफ वैक्सीन बनाने पर काम कर रही है.

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डॉ हिमांशा का साक्षात्कार
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Published : Apr 26, 2020, 6:35 PM IST

Updated : Apr 26, 2020, 8:31 PM IST

भोपाल : दुनिया के 100 से भी ज्यादा देशों में कोरोना वायरस तांडव मचा रहा है. इस वायरस का कहर ऐसा है कि दुनिया भर में करीब दो लाख से ज्यादा मरीजों की मौत हो चुकी है. ऐसे हालात में सबकी निगाहें सिर्फ एक ही चीज पर अटकी हुई है, कि इस वायरस की वैक्सीन कब तक खोजी जाएगी. लंदन के कैंब्रिज यूनिर्वसिटी में कोरोना वैक्सीन पर रिसर्च कर रहीं डॉक्टर हिमांशा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत कर कोरोना की वैक्सीन और उससे बचने के बारे में बताया.

जिसे तरह एक हारे हुए इंसान को जीतने के लिए थोड़ा सा भी हौसला बहुत होता है, उसी तरह इस इस महामारी में हौसला बनकर सामने आ रही हैं, डॉ. हिमांशा. आपको बता दें ग्वालियर चंबल अंचल की बेटी डॉ. हिमांशा. वे लंदन के कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में कोरोना वैक्सीन पर रिसर्च कर रही हैं. हिमांशा को 2017 में सीएसएआर अवार्ड से भी सम्मानित किया चुका है.

ईटीवी भारत से बात करती हिमांशा सिंह

पढ़ें खास बातचीत के कुछ प्रमुख अंश-

सवाल- डॉ. हिमांशा सुनने में आ रहा है कि वैक्सीन का ट्रायल शुरू हो चुका है. इसमें हमारे साइंटिस्ट को कितनी कामयाबी मिली है.

जवाब- इस वक्त पर वैज्ञानिक सभी की आशा बने हुए हैं. अभी तक पांच क्लीनिकल ट्रायल अप्रुव हो चुके हैं. कैंब्रिज भी इस में लगा हुआ है.पर सभी की निगाहें सबसे ज्यादा ऑक्सफोर्ड पर टिकी हुई हैं, इसलिए उम्मीद है कि उनका ट्रायल पहले ज्यादा सफल होगा. वैक्सीन आने में काफी वक्त लगता है.लेकिन एक वैक्सीन डेवलप हो चुकी है, वह काम करती है या नहीं यह परिणाम आने पर पता चलेगा. सितंबर तक वैक्सीन का माश प्रोडेक्शन हो सकता है

सवाल- इस वायरस से बचाव के लिए आपने दो ऐप्स भी तैयार किये हैं. किस तरह के ऐप्स मददगार साबित होंगे.

जवाब- दो ऐप तैयार किए गए हैं.पहला सोशल डिस्टेंस के लिए है और दूसरा वेब प्लेटफॉर्म के लिए है.जो सप्लाई और डिमांड को लेकर बनाई गई है.

इसका नाम है WWW.SOLATE.CO इस एप में आप अगर खाना बांट रहें है, किसी एनजीओ से जुड़े हुए हैं, वॉलिटयर है, तो खुद को रिजस्टर कर सकते हैं. यह मैप को आपक इंट्रेक्टिव मैप पर ले जाएगा, जिसमें आपकी लोकेशन और आपकी जानकारी आ जाएगी, जो आप खुद से डाल सकते हैं. आप खुज चुन सकते हैं कि आपको कौन सी जानकारी डालनी है.

इस एप से यह फायदा है कि अगर घर बैठे आपक खाना पता लगाना है, तो इस ऐप से पता लगाया जा सकता है, इसमें कॉल करके भी जानकारी मिल सकती है. बता दें प्रवासी मजदूरों के लिए यह एप ज्यादा कारगार है.

वहीं दूसरा एप थांबा है, इसका मराठी में मतलब थमना होता है.मतलबकोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के लिए इस ऐप को बनाया गया है. इस ऐप के जरिए घर बैठे भीड़ को पता किया जा सकता है. इस मैप में इंटर करते ही इंट्रक्रेटिव मैप खुलेगा, मैप खुलते ही पता चल जाएगा कि उस एरिया में भीड़ है कि नहीं. इस मैप में भीड़ डॉट के जरिए पता चलेगी. यह मैक आपकी पर्सनल जानकारी और डेटा नहीं लेगी.

सवाल-यह दोनों ऐप बाजार और भारत में कब तक आएंगे.

जवाब-सोलेट को वेब प्लेटफॉर्म में लॉच कर दिया है.किसी भी ऐप के लोगों के सहयोग की जरुरत होती है.सोलेट को वॉलिंटयर, एनजीओ और निगमकर्मी जाकर खुद को रजिस्टर कर इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं. जबकि थांबा एक दो दिन में आ जाएगा.

सवाल- अगर इस वायरस से किसी को इंफेक्शन हो जाता है तो इसका सबसे पहले कंफर्मेशन टेस्ट कैसे किया जाएगा. भारत में रैपिड टेस्ट का इस्तेमाल बंद है.

जवाब- सबसे पहले जब वायरस आया था, तब PCR-QPCR इसमें टेस्ट डिटेक्ट हो जाता है.इसका जेनिटिक मटेरियल उस वायरस को डिटेक्ट कर लेता है. वर्तमान में एक एंटीबॉडी टेस्ट है जो ज्यादा सफल हो रही है.यह टेस्ट ज्यादा उपयोगी है, क्योंकि इसमें इंफेक्शन हिस्ट्री का भी पता चल जाता है.

सवाल-इस वायरस को सार्स और H1NI का भी रुप कहा जा रहा है.

जवाब-यह H1NI से काफी मिलता जुलता है. इनका जेनेटिकल मटेरियल बहुत हद तक मिलता है. यह सभी एक ही परिवार के वायरस हैं.एडीनो वायरस जो कोरना वायरस फैमली है. इसमें 7 तरह के वायरस इंसानों आ चुक हैं. यह वायरस जानवरों से इंसानों में जंप कर सकते हैं.

एडीनों वायरस फैमली का पार्ट है, इसमें आरएन मटैरियल होता है. इस वायरस के चारों तरफ मुकुट जैसे स्पाइक्स होते हैं, जिसके चलते इसका नाम कोरोना पड़ा है. यह बहुत पेचीदा है, कि यह वायरस किस इंसान को कैसे इफेक्ट कर रहा है, यह पता नहीं चल पाता है. इसलिए ज्यादा परेशानियां आ रहीं हैं. यह वायरस नाक-मुंह और आंखों से सबसे ज्यादा फैलता है. इसलिए मास्क पहनना जरुरी है.

जिसमें कोरोना के लक्षण हैं और जो पॉजिटिव हैं उन्हें मास्क पहनना चाहिए. मास्क पहनकर आप यह सोचते हैं कि आपको कुछ नहीं होगा, तो ऐसा गलत है

सवाल-कोरोना वायरस से लड़ाई में भारत को कहां देखती हैं.

जवाब-इस लड़ाई में मेरी नजर में भारत सबसे अच्छा काम कर रहा है. क्योंकि इकॉनोमी शटडाउन का डर सबको बहुत ज्यादा था, इसलिए कई देशों ने बहुत लेट शटडॉउन किया. लेकिन भारत ने इतनी जल्दी लॉकडाउन किया जो बहुत अच्छी बात है.

सवाल-अगर भारत लॉकडाउन खत्म करता है तो क्या करना चाहिए

जवाब-लॉकडाउन खत्म करने पर 2 मीटर की दूरी बनाए रखे, भीड़ इकठ्ठी ना करें. सावधानी बरतें.

सवाल- इस घड़ी में आप सभी को क्या संदेश देना चाहतीं है.

जवाब- आप कभी भी उम्मीद मत खोइए. क्योंकि इस वक्त में कोई अकेला नहीं है.इसलिए कभी उम्मदी को मरने नहीं देना चाहिए.

भोपाल : दुनिया के 100 से भी ज्यादा देशों में कोरोना वायरस तांडव मचा रहा है. इस वायरस का कहर ऐसा है कि दुनिया भर में करीब दो लाख से ज्यादा मरीजों की मौत हो चुकी है. ऐसे हालात में सबकी निगाहें सिर्फ एक ही चीज पर अटकी हुई है, कि इस वायरस की वैक्सीन कब तक खोजी जाएगी. लंदन के कैंब्रिज यूनिर्वसिटी में कोरोना वैक्सीन पर रिसर्च कर रहीं डॉक्टर हिमांशा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत कर कोरोना की वैक्सीन और उससे बचने के बारे में बताया.

जिसे तरह एक हारे हुए इंसान को जीतने के लिए थोड़ा सा भी हौसला बहुत होता है, उसी तरह इस इस महामारी में हौसला बनकर सामने आ रही हैं, डॉ. हिमांशा. आपको बता दें ग्वालियर चंबल अंचल की बेटी डॉ. हिमांशा. वे लंदन के कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में कोरोना वैक्सीन पर रिसर्च कर रही हैं. हिमांशा को 2017 में सीएसएआर अवार्ड से भी सम्मानित किया चुका है.

ईटीवी भारत से बात करती हिमांशा सिंह

पढ़ें खास बातचीत के कुछ प्रमुख अंश-

सवाल- डॉ. हिमांशा सुनने में आ रहा है कि वैक्सीन का ट्रायल शुरू हो चुका है. इसमें हमारे साइंटिस्ट को कितनी कामयाबी मिली है.

जवाब- इस वक्त पर वैज्ञानिक सभी की आशा बने हुए हैं. अभी तक पांच क्लीनिकल ट्रायल अप्रुव हो चुके हैं. कैंब्रिज भी इस में लगा हुआ है.पर सभी की निगाहें सबसे ज्यादा ऑक्सफोर्ड पर टिकी हुई हैं, इसलिए उम्मीद है कि उनका ट्रायल पहले ज्यादा सफल होगा. वैक्सीन आने में काफी वक्त लगता है.लेकिन एक वैक्सीन डेवलप हो चुकी है, वह काम करती है या नहीं यह परिणाम आने पर पता चलेगा. सितंबर तक वैक्सीन का माश प्रोडेक्शन हो सकता है

सवाल- इस वायरस से बचाव के लिए आपने दो ऐप्स भी तैयार किये हैं. किस तरह के ऐप्स मददगार साबित होंगे.

जवाब- दो ऐप तैयार किए गए हैं.पहला सोशल डिस्टेंस के लिए है और दूसरा वेब प्लेटफॉर्म के लिए है.जो सप्लाई और डिमांड को लेकर बनाई गई है.

इसका नाम है WWW.SOLATE.CO इस एप में आप अगर खाना बांट रहें है, किसी एनजीओ से जुड़े हुए हैं, वॉलिटयर है, तो खुद को रिजस्टर कर सकते हैं. यह मैप को आपक इंट्रेक्टिव मैप पर ले जाएगा, जिसमें आपकी लोकेशन और आपकी जानकारी आ जाएगी, जो आप खुद से डाल सकते हैं. आप खुज चुन सकते हैं कि आपको कौन सी जानकारी डालनी है.

इस एप से यह फायदा है कि अगर घर बैठे आपक खाना पता लगाना है, तो इस ऐप से पता लगाया जा सकता है, इसमें कॉल करके भी जानकारी मिल सकती है. बता दें प्रवासी मजदूरों के लिए यह एप ज्यादा कारगार है.

वहीं दूसरा एप थांबा है, इसका मराठी में मतलब थमना होता है.मतलबकोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के लिए इस ऐप को बनाया गया है. इस ऐप के जरिए घर बैठे भीड़ को पता किया जा सकता है. इस मैप में इंटर करते ही इंट्रक्रेटिव मैप खुलेगा, मैप खुलते ही पता चल जाएगा कि उस एरिया में भीड़ है कि नहीं. इस मैप में भीड़ डॉट के जरिए पता चलेगी. यह मैक आपकी पर्सनल जानकारी और डेटा नहीं लेगी.

सवाल-यह दोनों ऐप बाजार और भारत में कब तक आएंगे.

जवाब-सोलेट को वेब प्लेटफॉर्म में लॉच कर दिया है.किसी भी ऐप के लोगों के सहयोग की जरुरत होती है.सोलेट को वॉलिंटयर, एनजीओ और निगमकर्मी जाकर खुद को रजिस्टर कर इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं. जबकि थांबा एक दो दिन में आ जाएगा.

सवाल- अगर इस वायरस से किसी को इंफेक्शन हो जाता है तो इसका सबसे पहले कंफर्मेशन टेस्ट कैसे किया जाएगा. भारत में रैपिड टेस्ट का इस्तेमाल बंद है.

जवाब- सबसे पहले जब वायरस आया था, तब PCR-QPCR इसमें टेस्ट डिटेक्ट हो जाता है.इसका जेनिटिक मटेरियल उस वायरस को डिटेक्ट कर लेता है. वर्तमान में एक एंटीबॉडी टेस्ट है जो ज्यादा सफल हो रही है.यह टेस्ट ज्यादा उपयोगी है, क्योंकि इसमें इंफेक्शन हिस्ट्री का भी पता चल जाता है.

सवाल-इस वायरस को सार्स और H1NI का भी रुप कहा जा रहा है.

जवाब-यह H1NI से काफी मिलता जुलता है. इनका जेनेटिकल मटेरियल बहुत हद तक मिलता है. यह सभी एक ही परिवार के वायरस हैं.एडीनो वायरस जो कोरना वायरस फैमली है. इसमें 7 तरह के वायरस इंसानों आ चुक हैं. यह वायरस जानवरों से इंसानों में जंप कर सकते हैं.

एडीनों वायरस फैमली का पार्ट है, इसमें आरएन मटैरियल होता है. इस वायरस के चारों तरफ मुकुट जैसे स्पाइक्स होते हैं, जिसके चलते इसका नाम कोरोना पड़ा है. यह बहुत पेचीदा है, कि यह वायरस किस इंसान को कैसे इफेक्ट कर रहा है, यह पता नहीं चल पाता है. इसलिए ज्यादा परेशानियां आ रहीं हैं. यह वायरस नाक-मुंह और आंखों से सबसे ज्यादा फैलता है. इसलिए मास्क पहनना जरुरी है.

जिसमें कोरोना के लक्षण हैं और जो पॉजिटिव हैं उन्हें मास्क पहनना चाहिए. मास्क पहनकर आप यह सोचते हैं कि आपको कुछ नहीं होगा, तो ऐसा गलत है

सवाल-कोरोना वायरस से लड़ाई में भारत को कहां देखती हैं.

जवाब-इस लड़ाई में मेरी नजर में भारत सबसे अच्छा काम कर रहा है. क्योंकि इकॉनोमी शटडाउन का डर सबको बहुत ज्यादा था, इसलिए कई देशों ने बहुत लेट शटडॉउन किया. लेकिन भारत ने इतनी जल्दी लॉकडाउन किया जो बहुत अच्छी बात है.

सवाल-अगर भारत लॉकडाउन खत्म करता है तो क्या करना चाहिए

जवाब-लॉकडाउन खत्म करने पर 2 मीटर की दूरी बनाए रखे, भीड़ इकठ्ठी ना करें. सावधानी बरतें.

सवाल- इस घड़ी में आप सभी को क्या संदेश देना चाहतीं है.

जवाब- आप कभी भी उम्मीद मत खोइए. क्योंकि इस वक्त में कोई अकेला नहीं है.इसलिए कभी उम्मदी को मरने नहीं देना चाहिए.

Last Updated : Apr 26, 2020, 8:31 PM IST
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