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महामारी के बीच कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित, जगी उम्मीद की किरण - antibody to fight corona

ऐसे समय में जब दुनिया कोरोनो वायरस संकट से जूझ रही है, वैज्ञानिकों ने एक एंटीबॉडी की खोज की है जो कोविड -19 वायरस को मानव कोशिकाओं को संक्रमित करने से रोकती है. यह खोज कोरोना के इलाज या रोकथाम के लिए पूरी तरह से मानव एंटीबॉडी विकसित करने की दिशा में एक मजबूत कदम है.

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Published : May 5, 2020, 2:25 PM IST

हैदराबाद: कोरोनो वायरस के कारण दुनिया के अधिकांश देश लॉकडाउन मोड पर है. सड़के सूनसान हो चुकी हैं. कोरोना संक्रमण का मामला बढ़ता ही जा रहा है. लाखों लोग मारे जा चुके हैं. दूसरी तरफ लॉकडाउन ने इंसानी दिमाग पर गहरा असर डाला है. इन सबके बीच एक खुशी की खबर यह है कि वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के खिलाफ एक ऐसी एंटीबॉडी को विकसित किया है, जो इंसानी कोशिकाओं को संक्रमित होने से बचाती है.

यह पूरी तरह से मानव निर्मित मोनोक्लोनल (प्रतिरक्षा कोशिका द्वारा अपने जैसी दूसरी कोशिका बनाना क्लोनिंग कर के) एंटीबॉडी है जो एसएआरएस-सीओवी-2 (COVID-19) वायरस को कोशिकाओं को संक्रमित करने से रोकती है . इसे यूट्रेक्ट यूनिवर्सिटी, इरास्मस मेडिकल सेंटर और मेडिकल सेंटर के वैज्ञानिकों और हार्बर बायोमेड (HBM) द्वारा खोजा गया है .

पूरी तरह से मानव एंटीबॉडी पारंपरिक चिकित्सीय एंटीबॉडी से भिन्न होती है, जिन्हें अक्सर पहले पहली बार अन्य प्रजातियों में विकसित किया जाता है ताकि उन्हें 'मानवकृत' करके लोगों तक पहुंचाया जा सके.

यह खोज श्वसन रोग कोविड-19 के इलाज या रोकथाम के लिए पूरी तरह से मानव एंटीबॉडी विकसित करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है.

यूट्रेक्ट यूनिवर्सिटी के रिसर्च लीडर, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ बेरेंड-जान बॉश ने कहा कि यह शोध उनके समूह ने 2002/2003 में उभरो एसएआरएस-सीओवी को लक्षित करने वाले एंटीबॉडी पर किया था.

उन्होंने कहा कि एसएआरएस-सीओवी एंटीबॉडी के इस संग्रह का उपयोग करते हुए, हमने एक एंटीबॉडी की पहचान की, जो संवर्धित कोशिकाओं में एसएआरएस-सीओवी -2 के संक्रमण को भी बेअसर करती है.इस तरह के एक निष्क्रीय करने वाली एंटीबॉडी में एक संक्रमित होस्ट में संक्रमण को बदलने, वायरस खतम करने में या वायरस के संपर्क में आने वाले एक असंक्रमित व्यक्ति की रक्षा करने की क्षमता होती है.

डॉ बॉश ने आगे कहा कि एंटीबॉडी एक ऐसे डोमेन से जुड़ती है जो एसएआरएस-सीओवी और एसएआरएस-सीओवी -2 दोनों में संरक्षित है, दोनों वायरस को बेअसर करने की इसकी क्षमता का पता चलता है.

उन्होंने कहा कि इस एंटीबॉडी की यह क्रॉस-न्यूट्रलाइजिंग विशेषता रोमांचक है और यह बताती है कि भविष्य में उभरते हुए कोरोना वायरस के कारण होने वाली बीमारियों को खत्म करने की इसकी क्षमता हो सकती है.

पढ़ें-विशेष : सामूहिक प्रतिरक्षा से संभव कोरोना की रोक-थाम

फ्रैंक ग्रोसवेल्ड, अध्ययन पर पीएचडी सह-प्रमुख लेखक, एकेडमी ऑफ़ सेल बायोलॉजी, इरास्मस मेडिकल सेंटर, रॉटरडैम और हार्बर बायोमेड में संस्थापक मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी ने कहा कि यह खोज आगे रिसर्च करने औऱ इसे कोरना वायरस के संभावित इलाज बनाने पर प्रगति करने के लिए मजबूत आधार है.

उन्होंने कहा कि इस काम में इस्तेमाल किया जाने वाला एंटीबॉडी 'पूरी तरह से मानव शरीर द्वारा विकसित है, जिससे इसके विकास में और अधिक तेजी आ सकती है और प्रतिरक्षा संबंधी दुष्प्रभावों की संभावना कम हो सकती है.

एचबीएम के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, डॉ जिंगसॉन्ग वांग ने कहा कि इस एंटीबॉडी मनुष्यों में बीमारी की गंभीरता को कम कर सकती है या उससे बचा जा सकता है.

यहां यह उल्लेख करना उचित है इस खोज ने लोगों में एक नई उम्मीद जगाई है. कोरोना के खिलाफ इस जंग में वैज्ञानिकों का यह खोज कोरोना को रोकने और उसके इलाज के लिए मानव एंटीबॉडी विकसित करने की दिशा में एक प्रारंभिक कदम है.

हैदराबाद: कोरोनो वायरस के कारण दुनिया के अधिकांश देश लॉकडाउन मोड पर है. सड़के सूनसान हो चुकी हैं. कोरोना संक्रमण का मामला बढ़ता ही जा रहा है. लाखों लोग मारे जा चुके हैं. दूसरी तरफ लॉकडाउन ने इंसानी दिमाग पर गहरा असर डाला है. इन सबके बीच एक खुशी की खबर यह है कि वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के खिलाफ एक ऐसी एंटीबॉडी को विकसित किया है, जो इंसानी कोशिकाओं को संक्रमित होने से बचाती है.

यह पूरी तरह से मानव निर्मित मोनोक्लोनल (प्रतिरक्षा कोशिका द्वारा अपने जैसी दूसरी कोशिका बनाना क्लोनिंग कर के) एंटीबॉडी है जो एसएआरएस-सीओवी-2 (COVID-19) वायरस को कोशिकाओं को संक्रमित करने से रोकती है . इसे यूट्रेक्ट यूनिवर्सिटी, इरास्मस मेडिकल सेंटर और मेडिकल सेंटर के वैज्ञानिकों और हार्बर बायोमेड (HBM) द्वारा खोजा गया है .

पूरी तरह से मानव एंटीबॉडी पारंपरिक चिकित्सीय एंटीबॉडी से भिन्न होती है, जिन्हें अक्सर पहले पहली बार अन्य प्रजातियों में विकसित किया जाता है ताकि उन्हें 'मानवकृत' करके लोगों तक पहुंचाया जा सके.

यह खोज श्वसन रोग कोविड-19 के इलाज या रोकथाम के लिए पूरी तरह से मानव एंटीबॉडी विकसित करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है.

यूट्रेक्ट यूनिवर्सिटी के रिसर्च लीडर, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ बेरेंड-जान बॉश ने कहा कि यह शोध उनके समूह ने 2002/2003 में उभरो एसएआरएस-सीओवी को लक्षित करने वाले एंटीबॉडी पर किया था.

उन्होंने कहा कि एसएआरएस-सीओवी एंटीबॉडी के इस संग्रह का उपयोग करते हुए, हमने एक एंटीबॉडी की पहचान की, जो संवर्धित कोशिकाओं में एसएआरएस-सीओवी -2 के संक्रमण को भी बेअसर करती है.इस तरह के एक निष्क्रीय करने वाली एंटीबॉडी में एक संक्रमित होस्ट में संक्रमण को बदलने, वायरस खतम करने में या वायरस के संपर्क में आने वाले एक असंक्रमित व्यक्ति की रक्षा करने की क्षमता होती है.

डॉ बॉश ने आगे कहा कि एंटीबॉडी एक ऐसे डोमेन से जुड़ती है जो एसएआरएस-सीओवी और एसएआरएस-सीओवी -2 दोनों में संरक्षित है, दोनों वायरस को बेअसर करने की इसकी क्षमता का पता चलता है.

उन्होंने कहा कि इस एंटीबॉडी की यह क्रॉस-न्यूट्रलाइजिंग विशेषता रोमांचक है और यह बताती है कि भविष्य में उभरते हुए कोरोना वायरस के कारण होने वाली बीमारियों को खत्म करने की इसकी क्षमता हो सकती है.

पढ़ें-विशेष : सामूहिक प्रतिरक्षा से संभव कोरोना की रोक-थाम

फ्रैंक ग्रोसवेल्ड, अध्ययन पर पीएचडी सह-प्रमुख लेखक, एकेडमी ऑफ़ सेल बायोलॉजी, इरास्मस मेडिकल सेंटर, रॉटरडैम और हार्बर बायोमेड में संस्थापक मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी ने कहा कि यह खोज आगे रिसर्च करने औऱ इसे कोरना वायरस के संभावित इलाज बनाने पर प्रगति करने के लिए मजबूत आधार है.

उन्होंने कहा कि इस काम में इस्तेमाल किया जाने वाला एंटीबॉडी 'पूरी तरह से मानव शरीर द्वारा विकसित है, जिससे इसके विकास में और अधिक तेजी आ सकती है और प्रतिरक्षा संबंधी दुष्प्रभावों की संभावना कम हो सकती है.

एचबीएम के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, डॉ जिंगसॉन्ग वांग ने कहा कि इस एंटीबॉडी मनुष्यों में बीमारी की गंभीरता को कम कर सकती है या उससे बचा जा सकता है.

यहां यह उल्लेख करना उचित है इस खोज ने लोगों में एक नई उम्मीद जगाई है. कोरोना के खिलाफ इस जंग में वैज्ञानिकों का यह खोज कोरोना को रोकने और उसके इलाज के लिए मानव एंटीबॉडी विकसित करने की दिशा में एक प्रारंभिक कदम है.

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