हैदराबाद : रेहड़ी-पटरी वालों को पांच हजार करोड़ रुपये की ऋण सुविधा का लाभ देने के लिए एक विशेष योजना बनाई गई है. इसके तहत उन्हें अपना व्यापार फिर से शुरू करने के लिए 10 हजार रुपये तक का कर्ज दिया जाएगा.
साथ ही यह भी उम्मीद की जा रही है कि इस योजना के तहत 50 लाख रेहड़ी-पटरी (राज्य सरकारों से इकट्ठा किया गया डेटा) वालों को लाभ होगा. वित्त मंत्रालय ने कहा कि डिजिटल भुगतान और समय पर पुनर्भुगतान के उपयोग को प्रोत्साहन दिया जाएगा.
स्ट्रीट वेंडर (एसबीआई रिपोर्ट)
राज्य | विक्रेताओं की संख्या (लाखों में) |
उत्तर प्रदेश | 7.8 |
पश्चिम बंगाल | 5.5 |
बिहार | 5.3 |
राजस्थान | 3.1 |
महाराष्ट्र | 2.9 |
तमिलनाडु | 2.8 |
आंध्र प्रदेश | 2.1 |
कर्नाटक | 2.1 |
गुजरात | 2.0 |
केरल | 1.9 |
असम | 1.9 |
ओडिशा | 1.7 |
हरियाणा | 1.5 |
मध्य प्रदेश | 1.4 |
पंजाब | 1.4 |
विक्रेताओं की औसत आय (नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्ट्रीट वेंडर्स ऑफ इंडिया 2018-19)
शहर | अनुमानित जनसंख्या | प्रत्येक विक्रेता की औसत दैनिक आय (रुपये में) |
अहमदाबाद | 127,000 | 63 |
कोलकाता | 191,000 | 65 |
दिल्ली | 200,000 | 66 |
मुंबई | 200,000 | 65 |
पटना | 60,000 | 50 |
भारतीय स्टेट बैंक द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के शीर्ष दस राज्यों उत्तर प्रदेश (7.8) और पश्चिम बंगाल (5.5) में सबसे ज्यादा रेहड़ी-पटरी वाले हैं. जो देश की कुल जनसंख्या के मुकाबले एक चौथाई हैं.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार मुद्रा योजना के तहत शिशु ऋण धारकों का भी समर्थन कर रही है. वहीं रेहड़ी-पटरी वालों के लिए क्रेडिट की आवश्यकता है क्योंकि उनमें लॉकडाउन का अधिकतम प्रभाव देखा गया है.
आपको बता दें कि बैंकों के पास इस क्षेत्र में इतने बढे़ पैमाने पर ऋण देने का अनुभव नहीं है. हालांकि, कुछ मुद्रा ऋण ऐसे उद्यमों के लिए बढ़ा दिए गए हैं.
साथ ही बैंकरों को स्ट्रीट वेंडर ऋण में राजनीतिक बिचौलियों के शामिल होने का डर है क्योंकि यदि वास्तव में ऐसा होता है, तो पांच हजार करोड़ रुपये की इस योजना के दुरुपयोग की संभावनाएं हैं.
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इन ऋणों में से अधिकांश की खपत किसी व्यापार में निवेश करने के बजाए उपभोग के उद्देश्य से की जाएगी. बता दें कि देशभर में लागू लॉकडाउन के कारण रेहड़ी-पटरी वाले 50 दिनों से अधिक समय से काम नहीं कर पा रहे हैं.