नई दिल्लीः वर्ष 2020 बीतने को है और दिल्ली यूनिवर्सिटी सुर्खियों में बना हुआ है. विद्यार्थियों से भरे कैंपस, कैंटीन की रौनक, क्लासरूम की शरारतें और रंगारंग कार्यक्रमों से गुलज़ार रहने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में कारोना की वजह से सन्नाटा पसरा हुआ है. इसी का नतीजा है कि यहां पढ़ाई, परीक्षा, दाखिला और प्रदर्शन तक सब कुछ ऑनलाइन हो गया है. महामारी ने बावजूद विश्वविद्यालय में प्रशासनिक उठापटक सुर्खियों में बना रहा. शिक्षकों के वेतन न मिलने से लेकर डीयू के 98 साल के इतिहास में पहली बार कुलपति को लेकर विवाद इतना बढ़ा कि आखिरकार उन्हें सस्पेंड करना पड़ा.
दिल्ली विश्वविद्यालय के लिए चुनौतियों भरा साल
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए साल 2020 चुनौतियों भरा रहा. कोविड-19 के चलते डीयू क्लाउड कैंपस में बदल गया. छात्र घरों में सिमट गए और क्लासरूम की जगह ऑनलाइन क्लास ने बाजी मार ली. नई शिक्षण पद्धति जहां घर बैठे पढ़ाई जारी रखने का विकल्प बनी, वहीं इसे क्रियान्वित करना शिक्षकों के लिए आसान नहीं रहा. छात्रों के लिए भी यह साल परेशानी का सबब बना रहा. महामारी के चलते लगभग 30 फीसदी विद्यार्थी जो हॉस्टल या किराए पर रहते थे वे गृह राज्य लौट गए. सभी को ऑनलाइन टीचिंग से जोड़ पाना शिक्षकों के चुनौती तो रहा ही आर्थिक परेशानी से जूझ रहे विद्यार्थियों के पास संसाधनाें की कमी बनी रही. इंटरनेट कनेक्टिविटी आज भी सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है.
ओपन बुक एग्जाम से परेशान रहे विद्यार्थी
डीयू के प्रोफेसर कवलजीत सिंह ने बताया कि परीक्षा पद्धति में भी कई अहम बदलाव किए गए. छात्रों को असाइनमेंट के आधार पर पास किया गया. इसके अलावा ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा भी आयोजित की गई, जो विद्यार्थियों के लिए सिरदर्द बनी रही. खासतौर पर उनके लिए जो आनन-फानन में पाठ्यसामग्री हॉस्टल में छोड़कर अपने प्रदेश लौट गए थे. उनके गांव में न इंटरनेट की सुविधा थी और न ही किताबों की उपलब्धता. ऐसे में ओबीई उनके लिए बहुत बड़ी समस्या बनी रहा. वहीं परीक्षा में कई तरह की तकनीकी खामियां विद्यार्थियों व शिक्षकाें की परेशानी का सबब रही.
ओरिएंटेशन प्रोग्राम पर कोरोना का कहर
डीयू के प्रोफेसर जगन्नाथ चौधरी ने बताया कि डीयू में पढ़ने का सपना हर विद्यार्थी देखता है. ऐसे में सभी को दाखिला प्रक्रिया का इंतजार रहता है. खासकर ओरिएंटेशन प्रोग्राम को लेकर खासा उत्साह रहता है, जहां वह पहली बार कॉलेज देखते हैं. सहपाठियों और शिक्षकों से रूबरू होते हैं. इस बार कोविड-19 के चलते दाखिला प्रक्रिया भी पूरी तरह ऑनलाइन रही. इससे यह सारी उमंग मन में ही दबकर रह गई. आलम यह रहा कि दाखिला लेने वाले विद्यार्थी कॉलेज का दीदार तक नहीं कर सके.
प्रशासनिक उठापटक व वेतन का मामला
जहां डीयू की शैक्षणिक गतिविधियों की गुणवत्ता कोरोना महामारी से प्रभावित रही. वहीं प्रशासनिक उठापटक भी सुर्खियों में बनी रहीं. डीयू के कुलपति प्रोफेसर योगेश त्यागी पर अनियमितता का आरोप लगा. नतीजतन डीयू के 98 साल के इतिहास में पहली बार कुलपति को ससपेंड कर दिया गया. इससे भी ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण बात समय से शिक्षकों को वेतन न मिलना रहा. दिल्ली सरकार द्वारा 100 फीसदी वित्त पोषित कॉलेजों में शिक्षकों को वेतन नहीं मिल रहा था. इस वजह से उन्हें परिवार का भरण पोषण करने में मुश्किलें आईं. कोरोना के साथ आर्थिक मार झेल रहे शिक्षक अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन करते रहे.
नए साल में उम्मीदाें का पलड़ा भारी
इन तमाम परेशानियों व संघर्षों के बीच डीयू के विद्यार्थियों और शिक्षकों को उम्मीद है कि नए साल में स्थिति सामान्य होगी. डीयू कैंपस में एक बार फिर से रौनक लौट आएगी. दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ साउथ कैंपस के कॉलेज और विभाग को मिलाकर कुल 91 संस्थान हैं. इसमें रेगुलर-नॉन रेगुलर को मिलाकर करीब पांच लाख विद्यार्थी पढ़ते हैं. ऑनलाइन क्लास की शुरूआत में लगभग 30 फीसदी विद्यार्थी नहीं जुड़ पाए. हालांकि सभी को इस बात की उम्मीद है कि नया साल, नई खुशियां लेकर आएगा.