बेंगलुरु : लगभग 34 करोड़ रुपये की लागत से बने 400 मीटर लंबे येलाहांका फ्लाईओवर के निर्माण के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदिुयरप्पा द्वारा इसका उद्घाटन किया जाना तय किया गया था. हालांकि, इसके नामकरण को लेकर हुए विवाद के बाद इसका उद्घाटन टाल दिया गया है. बता दें कि गुरुवार (28 मई) को ही सावरकर का जयंती होती है.
विवाद होने को लेकर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने सिद्धारमैया के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'यह कांग्रेस की दिवालिया मानसिकता को प्रदर्शित करता है. एक तरफ, वे वंश के एक परिवार के बाद राष्ट्रीय संपत्ति का नाम लेते हैं और दूसरी ओर, वे हमारे राष्ट्रीय नायकों जैसे बाबासाहेब अम्बेडकर, सुभाष चंद्र बोस, वल्लभभाई पटेल और अन्य के योगदान को कमतर आंकते हैं.'
कर्नाटक सरकार में मंत्री सीटी रवि ने भी कांग्रेस में वंशवाद का जिक्र कर आलोचना की है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, 'जो भारत रत्न मिलने का जश्न मनाते हैं वही लोग सावरकर के नाम पर फ्लाईओवर के नामकरण का विरोध करते हैं.' रवि ने लिखा कि गुलाम जैसे लोग देश सेवा से ज्यादा कुटिल वंशवाद की सेवा करने के आदी होते हैं. उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि जो भी शख्स सावरकर पर सवाल खड़े करता है, उसे एक बार सेल्युलर जेल जरूर जाना चाहिए.
इससे पहले बुधवार को विपक्ष के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने फ्लाईओवर का नामकरण सावरकर के नाम पर करने के कदम को कर्नाटक की धरती के स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान बताया और येदिुयरप्पा से आग्रह किया कि वह इसे रोक दें और फ्लाईओवर का नामकरण राज्य के किसी स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर करें.
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, 'येलाहांका फ्लाईओवर का नामकरण सावरकर के नाम पर करने का जल्दबाजी में किया गया निर्णय यह कहने का आधार है कि प्रशासन एक निर्वाचित सरकार द्वारा नहीं बल्कि परदे के पीछे रहने वालों द्वारा चलाया जा रहा है. मुख्यमंत्री क्या आप ऐसे जनता विरोधी निर्णयों पर विपक्ष का सहयोग मांग रहे हैं?'
एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री एवं जद(एस) नेता एच डी कुमारस्वामी ने कहा कि यह निर्णय उन लोगों का अपमान है जिन्होंने राज्य की समृद्धि के लिए संघर्ष किया और ऐसा करना सरकार का अधिकार नहीं है.
उन्होंने ट्वीट किया, 'कई प्रतिष्ठित हस्तियां हैं जिन्होंने स्वतंत्रता से पहले और बाद में राज्य के विकास और कल्याण के लिए लड़ाई लड़ी, फ्लाईओवर का नाम उनके नाम पर रखा जा सकता था. क्या अन्य राज्यों ने राज्य से स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर चीजें बनाई हैं? मैं लोगों से राज्य सरकार से आग्रह करता हूं कि वह फैसले को वापस ले.'
सूत्रों के अनुसार येलाहांका में फ्लाईओवर का नामकरण वीर सावरकर के नाम पर करने का निर्णय 29 फरवरी को वृहद बेंगलुरु महानगर पालिका (शहर निकाय) परिषद ( बीबीएमपी) की बैठक में किया गया था.
येलाहांका के विधायक एवं मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव एस आर विश्वनाथ ने इस कदम का बचाव करते हुए कहा कि उस स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर फ्लाईओवर का नामकरण करने में कुछ भी गलत नहीं है जिसे जेल की सजा हुई थी और जिसने देश की खातिर कालापानी (पूर्ववर्ती अंडमान जेल) में सजा काटी.
उन्होंने कहा कि बीबीएमपी परिषद ने नियमों के अनुसार कानूनी रूप से इसे मंजूरी दे दी है और सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं और उसके बाद ही नामकरण की योजना बनाई गई है.
विश्वनाथ ने फ्लाईओवर का नामकरण पर सावरकर के नाम पर करने पर विवाद उत्पन्न करने के प्रयास को स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान करार दिया. उन्होंने कहा कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में कई परियोजनाओं और पुलों का नाम राज्य और देश की प्रतिष्ठित हस्तियों के नाम पर रखा गया है और यह वैसा ही एक ऐसा कदम है.
कांग्रेस ने उनकी दलील को खारिज करते हुए कहा कि विरोध के बावजूद पुल का नामकरण सावरकर के नाम पर करने का निर्णय किया गया. कांग्रेस ने साथ ही कर्नाटक और बेंगलुरु के प्रति सावरकर के योगदान को लेकर सवाल उठाया.
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इससे पहले सावरकर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने के सुझाव का भी जोरदार विरोध किया था.