नई दिल्ली: असम में अंतिम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के प्रकाशन के कुछ दिनों बाद ही इसकी प्रक्रिया के महत्व और सटीकता को लेकर विवाद छिड़ गया है.
केंद्र और सुप्रीम कोर्ट के बीच तालमेल पर सवाल उठाते हुए, असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने कथित तौर पर कहा है कि वह इस मामले को लेकर भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई से संपर्क करेंगे.
शीर्ष अदालत की देख रेख में, सरकार ने 31 अगस्त को असम में अंतिम एनआरसी सूची प्रकाशित की जिसमें 19 लाख से अधिक लोगों के नाम शामिल नहीं थे.
राजनीतिक और रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ सुबिमल भट्टाचार्यजी ने कहा पिछली सुनवाई में केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में पुन: वेरीफिकेशन के लिए सर्वोच्च न्यायालय से अपील की है. लेकिन एनआरसी समन्वयक के बयान के बाद कि (क्लेम और आबजेक्शन प्रक्रिया के बाद 27 % लोगों को शामिल कर लिया गया है) इस प्रक्रिया को पूरा नहीं किया गया है.
एनआरसी सूची में, 19 लाख से अधिक लोगों को बाहर रखा गया है.
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सुबिमल ने कहा कि माता-पिता का नाम है, लेकिन बच्चों का नाम एनआरसी से गायब है. एक भाई का नाम है तो दूसरे का गायब है. इससे पूरी प्रक्रिया पर संदेह पैदा होता है.
भट्टाचार्जी ने कहा कि भले ही सरकार ने पूरी प्रक्रिया में बड़ी राशि खर्च की हो, वास्तविक भारतीयों के नाम NRC से बाहर नहीं रखे जा सकते और इस लिए 100 प्रतिशत सटीकता की आवश्यकता है.
अवैध विदेशियों का पता लगाने के लिए असम में NRC को अपडेट किया गया था, लेकिन लाखों लोगों के नाम सूची में गायब पाए जाने के बाद, सरकार ने दावा करने के लिए 120 दिनों का समय दिया है.