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विवादास्पद गुजरात आतंकवाद निरोधक कानून को अंततः राष्ट्रपति की स्वीकृति

गुजरात आतंकवाद निरोधक कानून को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्वीकृति दे दी है. इस नये अधिनियम में टैप की हुई टेलीफोन बातचीत को अब एक वैध सबूत माना जाएगा.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
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Published : Nov 5, 2019, 11:47 PM IST

अहमदाबाद : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुजरात के एक विवादास्पद आतंकवाद निरोधक कानून 'गुजरात आतंकवाद और संगठित अपराध नियंत्रण (जीसीटीओसी) विधेयक’ को अपनी स्वीकृति दे दी.

भाजपा शासित इस राज्य में इस विधेयक को मार्च 2015 में पारित किया गया था. इस नये अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं में एक यह है कि टैप की हुई टेलीफोन बातचीत को अब एक वैध सबूत माना जाएगा.

गुजरात के गृह मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने गांधीनगर में मंगलवार को इस विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के संबंध में घोषणा की.

पहले इस विधेयक को गुजरात संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक (जीयूजेसीओसी) नाम दिया गया था. वर्ष 2004 से, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे, इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिल पा रही थी.

गुजरात सरकार 2015 में इस विधेयक को फिर लेकर आई और इसका नाम बदलकर जीसीटीओसी किया गया, लेकिन पुलिस को टेलीफोन बातचीत टैप करने और सबूत के तौर पर उसे अदालत में सौंपने जैसे विवादास्पद प्रावधानों को इसमें बनाये रखा.

जडेजा ने कहा कि विधेयक के प्रावधान आतंकवाद और संगठित अपराधों से निबटने में महत्वपूर्ण साबित होंगे. उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी का सपना आज आखिरकार पूरा हो गया.'

उन्होंने कहा, 'इस विधेयक की महत्वपूर्ण विशेषताओं में एक टेलीफोन बातचीत को अब वैध सबूत समझा जाएगा. इस विधेयक में एक विशेष न्यायालय के निर्माण के साथ-साथ विशेष सरकारी अभियोजकों की नियुक्ति का भी प्रावधान है.'

जडेजा ने कहा, 'अब हम संगठित अपराधों के माध्यम से अर्जित सम्पत्तियों को कुर्क कर सकते हैं. हम सम्पत्तियों के हस्तांतरण को भी रद्द कर सकते हैं.'

अहमदाबाद : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुजरात के एक विवादास्पद आतंकवाद निरोधक कानून 'गुजरात आतंकवाद और संगठित अपराध नियंत्रण (जीसीटीओसी) विधेयक’ को अपनी स्वीकृति दे दी.

भाजपा शासित इस राज्य में इस विधेयक को मार्च 2015 में पारित किया गया था. इस नये अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं में एक यह है कि टैप की हुई टेलीफोन बातचीत को अब एक वैध सबूत माना जाएगा.

गुजरात के गृह मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने गांधीनगर में मंगलवार को इस विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के संबंध में घोषणा की.

पहले इस विधेयक को गुजरात संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक (जीयूजेसीओसी) नाम दिया गया था. वर्ष 2004 से, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे, इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिल पा रही थी.

गुजरात सरकार 2015 में इस विधेयक को फिर लेकर आई और इसका नाम बदलकर जीसीटीओसी किया गया, लेकिन पुलिस को टेलीफोन बातचीत टैप करने और सबूत के तौर पर उसे अदालत में सौंपने जैसे विवादास्पद प्रावधानों को इसमें बनाये रखा.

जडेजा ने कहा कि विधेयक के प्रावधान आतंकवाद और संगठित अपराधों से निबटने में महत्वपूर्ण साबित होंगे. उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी का सपना आज आखिरकार पूरा हो गया.'

उन्होंने कहा, 'इस विधेयक की महत्वपूर्ण विशेषताओं में एक टेलीफोन बातचीत को अब वैध सबूत समझा जाएगा. इस विधेयक में एक विशेष न्यायालय के निर्माण के साथ-साथ विशेष सरकारी अभियोजकों की नियुक्ति का भी प्रावधान है.'

जडेजा ने कहा, 'अब हम संगठित अपराधों के माध्यम से अर्जित सम्पत्तियों को कुर्क कर सकते हैं. हम सम्पत्तियों के हस्तांतरण को भी रद्द कर सकते हैं.'

ZCZC
URG GEN NAT
.AHMEDABAD BOM11
GJ-BILL-PRESIDENT
Controversial Gujarat anti-terror law gets President's nod
         Ahmedabad, Nov 5 (PTI) President Ram Nath Kovind has
given his assent to 'the Gujarat Control of Terrorism and
Organised Crime (GCTOC) Bill', a controversial anti-terror
legislation passed by the BJP-ruled state in March 2015.
         One of the key features of the new Act is intercepted
telephonic conversations would now be considered as a
legitimate evidence.
         The announcement on the Presidential assent was made
by Gujarat Minister of State for Home, Pradeepsinh Jadeja, in
Gandhinagar on Tuesday.
         The bill, earlier named as the Gujarat Control of
Organised Crime (GUJCOC) Bill, had failed to get the
presidential nod thrice since 2004 when Prime Minister
Narendra Modi was the chief minister of the state.
         In 2015, the Gujarat government re-introduced the bill
by renaming it as the GCTOC but retained the controversial
provisions like empowering the police to tap telephonic
conversations and submit them in court as evidence.
         Jadeja said the provisions of the bill will prove
crucial in dealing with terrorism and organised crimes such as
contract killing, ponzi schemes, narcotics trade and extortion
rackets.
         "The dream of PM Modi was finally fulfilled today," he
said.
         "One of the key features of this bill is that the
intercepted telephonic conversations would now be considered
as a legitimate evidence. This bill also provides for creation
of a special court as well as appointment of special public
prosecutors. We can now attach properties acquired through
organised crimes. We can also cancel transfer of
properties..," said Jadeja.
         Other provisions of the act is admissibility of
confession made before a police officer as evidence. PTI PJT
PD
NSK
NSK
11051536
NNNN
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