ETV Bharat / bharat

JNU हिंसा : केंद्र व दिल्ली पुलिस के खिलाफ अवमानना याचिका दायर

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में रविवार की देर शाम हुई हिंसा के मामले में केंद्र और दिल्ली पुलिस के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की गई है. तहसीन पूनावाला ने याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया कि कथित अवमाननकर्ता/प्रतिवादी (भारत सरकार) जेएनयू परिसर में पांच जनवरी 2020 को घुसने वाले नकाबपोश शरारती तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रही है और दोषियों के खिलाफअब तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है.

etvbharat
डिजाइन इमेज.
author img

By

Published : Jan 6, 2020, 9:55 PM IST

Updated : Jan 6, 2020, 10:03 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में भीड़ हिंसा को रोकने और इससे निबटने के लिए शीर्ष अदालत के निर्देश का कथित तौर पर पालन न करने को लेकर केंद्र और दिल्ली पुलिस के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की गई है.

तहसीन पूनावाला द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत ने 17 जुलाई 2018 को सरकार और पुलिस अधिकारियों के लिए भीड़ हिंसा को रोकने और इससे निबटने के वास्ते एहतियातन और उपचारात्मक दिशा-निर्देश जारी किए थे तथा निष्कर्ष दिया था कि कोई भी व्यक्ति निजी हैसियत से या समूह के रूप में कानून को अपने हाथों में नहीं ले सकता और दूसरे से दोषी के रूप में व्यवहार नहीं कर सकता.

याचिका में कहा गया कि कथित अवमाननकर्ता/प्रतिवादी (भारत सरकार) जेएनयू परिसर में पांच जनवरी 2020 को घुसने वाले नकाबपोश शरारती तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रही है और दोषियों के खिलाफ अब तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है.

इसमें कहा गया कि शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि प्रत्येक पुलिस अधिकारी का यह दायित्व होगा कि वह सीआरपीसी की धारा 129 के तहत अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर ऐसी किसी भी भीड़ को तितर-बितर करे, जो उसके मत के हिसाब से हिंसा कर सकती हो या समाज के स्वयंभू ठेकेदार अथवा किसी अन्य रूप में किसी व्यक्ति को पीट-पीटकर मार डालने की प्रवृत्ति रखती हो.

JNU हिंसा : दिल्ली में निकला मशाल जुलूस, पुलिस बोली- मिला अहम सुराग

पूनावाला ने अपनी याचिका में कहा कि हालांकि जब लाठी-डंडों, हथौड़ों और अन्य हथियारों से लैस नकाबपोश शरारती तत्वों ने, जिनका बुरा इरादा एकदम स्पष्ट था, परिसर में प्रवेश किया तो वहां तैनात दिल्ली पुलिस ने उन्हें नहीं रोका.

याचिका में विगत जुलाई के न्यायालय के आदेश का जान बूझकर अनुपालन न करने को लेकर कथित अवमाननाकर्ताओं के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की गई है.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में भीड़ हिंसा को रोकने और इससे निबटने के लिए शीर्ष अदालत के निर्देश का कथित तौर पर पालन न करने को लेकर केंद्र और दिल्ली पुलिस के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की गई है.

तहसीन पूनावाला द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत ने 17 जुलाई 2018 को सरकार और पुलिस अधिकारियों के लिए भीड़ हिंसा को रोकने और इससे निबटने के वास्ते एहतियातन और उपचारात्मक दिशा-निर्देश जारी किए थे तथा निष्कर्ष दिया था कि कोई भी व्यक्ति निजी हैसियत से या समूह के रूप में कानून को अपने हाथों में नहीं ले सकता और दूसरे से दोषी के रूप में व्यवहार नहीं कर सकता.

याचिका में कहा गया कि कथित अवमाननकर्ता/प्रतिवादी (भारत सरकार) जेएनयू परिसर में पांच जनवरी 2020 को घुसने वाले नकाबपोश शरारती तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रही है और दोषियों के खिलाफ अब तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है.

इसमें कहा गया कि शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि प्रत्येक पुलिस अधिकारी का यह दायित्व होगा कि वह सीआरपीसी की धारा 129 के तहत अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर ऐसी किसी भी भीड़ को तितर-बितर करे, जो उसके मत के हिसाब से हिंसा कर सकती हो या समाज के स्वयंभू ठेकेदार अथवा किसी अन्य रूप में किसी व्यक्ति को पीट-पीटकर मार डालने की प्रवृत्ति रखती हो.

JNU हिंसा : दिल्ली में निकला मशाल जुलूस, पुलिस बोली- मिला अहम सुराग

पूनावाला ने अपनी याचिका में कहा कि हालांकि जब लाठी-डंडों, हथौड़ों और अन्य हथियारों से लैस नकाबपोश शरारती तत्वों ने, जिनका बुरा इरादा एकदम स्पष्ट था, परिसर में प्रवेश किया तो वहां तैनात दिल्ली पुलिस ने उन्हें नहीं रोका.

याचिका में विगत जुलाई के न्यायालय के आदेश का जान बूझकर अनुपालन न करने को लेकर कथित अवमाननाकर्ताओं के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की गई है.

Intro:Body:




             
  • जेएनयू हिंसा रोकने में विफलता को लेकर केंद्र, दिल्ली पुलिस के खिलाफ अवमानना याचिका दायर



नयी दिल्ली, छह जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है जिसमें जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में भीड़ हिंसा को रोकने और इससे निपटने के लिए शीर्ष अदालत के निर्देश का कथित तौर पर पालन न करने को लेकर केंद्र और दिल्ली पुलिस के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की गई है।



तहसीन पूनावाला द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत ने 17 जुलाई 2018 को सरकार और पुलिस अधिकारियों के लिए भीड़ हिंसा को रोकने और इससे निपटने के वास्ते एहतियातन और उपचारात्मक दिशा-निर्देश जारी किए थे तथा निष्कर्ष दिया था कि कोई भी व्यक्ति निजी हैसियत से या समूह के रूप में कानून को अपने हाथों में नहीं ले सकता और दूसरे से दोषी के रूप में व्यवहार नहीं कर सकता।



याचिका में कहा गया कि कथित अवमाननकर्ता/प्रतिवादी (भारत सरकार) जेएनयू परिसर में पांच जनवरी 2020 को घुसने वाले नकाबपोश शरारती तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रही है और दोषियों के खिलाफ अब तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है।



इसमें कहा गया कि शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि प्रत्येक पुलिस अधिकारी का यह दायित्व होगा कि वह सीआरपीसी की धारा 129 के तहत अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर ऐसी किसी भी भीड़ को तितर-बितर करे जो उसके मत के हिसाब से हिंसा कर सकती हो या समाज के स्वयंभू ठेकेदार अथवा किसी अन्य रूप में किसी व्यक्ति को पीट-पीटकर मार डालने की प्रवृत्ति रखती हो।



उन्होंने कहा कि हालांकि जब लाठी-डंडों, हथौड़ों और अन्य हथियारों से लैस नकाबपोश शरारती तत्वों ने, जिनका बुरा इरादा एकदम स्पष्ट था, परिसर में प्रवेश किया तो वहां तैनात दिल्ली पुलिस ने उन्हें नहीं रोका।



याचिका में विगत जुलाई के न्यायालय के आदेश का जानबूझकर अनुपालन न करने को लेकर कथित अवमाननाकर्ताओं के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की गई।


Conclusion:
Last Updated : Jan 6, 2020, 10:03 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.