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किसानों के भारत बंद के समर्थन में कांग्रेस, जगह-जगह करेगी प्रदर्शन - किसानों की मांगों के समर्थन में कांग्रेस

केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को भारत बंद बुलाया है. इस मामले पर कांग्रेस ने कहा है कि वह इस बंद का समर्थन करेगी. वहीं, रविवार को दिल्ली में शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख प्रकाश सिंह बादल की अध्यक्षता में एक बैठक होगी, तमाम नेता शामिल होंगे.

congress to protest against farm laws
सभी दलों ने दिया है समर्थन
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Published : Dec 6, 2020, 4:58 PM IST

नई दिल्ली : केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संघों के 8 दिसंबर को 'भारत बंद' पर कांग्रेस ने रविवार को पूरा समर्थन जताया. कांग्रेस ने घोषणा करते हुए कहा कि इस दिन किसानों की मांगों के समर्थन में कांग्रेस सभी जिला और राज्य मुख्यालयों में प्रदर्शन करेगी.

कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर 26 नवंबर से डटे हजारों किसानों के प्रतिनिधियों ने कहा कि 8 दिसंबर को पूरी ताकत के साथ 'भारत बंद' किया जाएगा. यहां कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि 'मैं यहां घोषणा करना चाहता हूं कि कांग्रेस 8 दिसंबर को होने वाले भारत बंद को पूरा समर्थन देती है.'

पार्टी की आवाज बुलंद कर रहे राहुल गांधी
उन्होंने कहा कि पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ट्रैक्टर रैलियों, हस्ताक्षर अभियानों और किसान रैलियों के जरिए किसानों के पक्ष में पार्टी की आवाज बुलंद कर रहे हैं. खेड़ा ने कहा कि हमारे सभी जिला मुख्यालय और प्रदेश मुख्यालयों के कार्यकर्ता इस बंद में हिस्सा लेंगे. वे प्रदर्शन करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि बंद सफल रहे. उन्होंने कहा कि सारी दुनिया हमारे किसानों की दयनीय अवस्था देख रही है. पूरा विश्व यह भयावह मंजर देख रहा है कि किसान जाड़े की रातों में बाहर बैठे इंतजार कर रहे हैं कि सरकार उनकी बात सुन ले.

सरकार को लागू करने में क्या जल्दी थी
कांग्रेस प्रवक्ता ने पूछा कि सरकार को कानूनों को लागू करने की इतनी जल्दी क्या थी. उन्होंने आरोप लगाया कि कोविड-19 महामारी के बीच जून में सरकार चोरी छिपे अध्यादेश ले आई. इतनी जल्दी किस बात की थी. जब पूरे देश का ध्यान कोविड-19 के आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी प्रभावों पर था. तब सरकार अपने उद्योगपति-कॉर्पोरेट मित्रों की मदद करने के लिए चोरी-छिपे अध्यादेश लाने में व्यस्त थी.

किसानों को भरोसे में नहीं लिया गया
खेड़ा ने कहा कि सरकार ने किसानों को भरोसे में नहीं लिया और अब किसानों के हितों की आड़ में छिप रही है. उन्होंने कहा कि यदि आपको वाकई में किसानों के हितों की चिंता होती तो आपने इन विधेयकों को लाने से पहले उनकी सलाह ली होती. खेड़ा ने आगे कहा कि जो कुछ भी आज देखने को मिल रहा है वह सरकार और उसके कॉर्पोरेट मित्रों के बीच की साजिश का नतीजा है, जिसमें किसान ही पीड़ित होगा और किसान इस बात को जानता भी है.

पढ़ें: किसानों के समर्थन में जुटेंगे कई दल के नेता, दिल्ली में होगी बैठक

शनिवार को प्रदर्शनकारी किसानों और सरकार के बीच वार्ता बेनतीजा रही. पांच चरणों की बातचीत हो चुकी है तथा अगली बैठक केंद्र ने नौ दिसंबर को बुलाई है.

नई दिल्ली : केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संघों के 8 दिसंबर को 'भारत बंद' पर कांग्रेस ने रविवार को पूरा समर्थन जताया. कांग्रेस ने घोषणा करते हुए कहा कि इस दिन किसानों की मांगों के समर्थन में कांग्रेस सभी जिला और राज्य मुख्यालयों में प्रदर्शन करेगी.

कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर 26 नवंबर से डटे हजारों किसानों के प्रतिनिधियों ने कहा कि 8 दिसंबर को पूरी ताकत के साथ 'भारत बंद' किया जाएगा. यहां कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि 'मैं यहां घोषणा करना चाहता हूं कि कांग्रेस 8 दिसंबर को होने वाले भारत बंद को पूरा समर्थन देती है.'

पार्टी की आवाज बुलंद कर रहे राहुल गांधी
उन्होंने कहा कि पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ट्रैक्टर रैलियों, हस्ताक्षर अभियानों और किसान रैलियों के जरिए किसानों के पक्ष में पार्टी की आवाज बुलंद कर रहे हैं. खेड़ा ने कहा कि हमारे सभी जिला मुख्यालय और प्रदेश मुख्यालयों के कार्यकर्ता इस बंद में हिस्सा लेंगे. वे प्रदर्शन करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि बंद सफल रहे. उन्होंने कहा कि सारी दुनिया हमारे किसानों की दयनीय अवस्था देख रही है. पूरा विश्व यह भयावह मंजर देख रहा है कि किसान जाड़े की रातों में बाहर बैठे इंतजार कर रहे हैं कि सरकार उनकी बात सुन ले.

सरकार को लागू करने में क्या जल्दी थी
कांग्रेस प्रवक्ता ने पूछा कि सरकार को कानूनों को लागू करने की इतनी जल्दी क्या थी. उन्होंने आरोप लगाया कि कोविड-19 महामारी के बीच जून में सरकार चोरी छिपे अध्यादेश ले आई. इतनी जल्दी किस बात की थी. जब पूरे देश का ध्यान कोविड-19 के आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी प्रभावों पर था. तब सरकार अपने उद्योगपति-कॉर्पोरेट मित्रों की मदद करने के लिए चोरी-छिपे अध्यादेश लाने में व्यस्त थी.

किसानों को भरोसे में नहीं लिया गया
खेड़ा ने कहा कि सरकार ने किसानों को भरोसे में नहीं लिया और अब किसानों के हितों की आड़ में छिप रही है. उन्होंने कहा कि यदि आपको वाकई में किसानों के हितों की चिंता होती तो आपने इन विधेयकों को लाने से पहले उनकी सलाह ली होती. खेड़ा ने आगे कहा कि जो कुछ भी आज देखने को मिल रहा है वह सरकार और उसके कॉर्पोरेट मित्रों के बीच की साजिश का नतीजा है, जिसमें किसान ही पीड़ित होगा और किसान इस बात को जानता भी है.

पढ़ें: किसानों के समर्थन में जुटेंगे कई दल के नेता, दिल्ली में होगी बैठक

शनिवार को प्रदर्शनकारी किसानों और सरकार के बीच वार्ता बेनतीजा रही. पांच चरणों की बातचीत हो चुकी है तथा अगली बैठक केंद्र ने नौ दिसंबर को बुलाई है.

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