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सूचना आयुक्तों की नियुक्ति में चयन प्रक्रिया का नहीं हुआ पालन : कांग्रेस

केंद्र सरकार नए सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया है. साथ ही पद के लिए होने वाली चयन प्रक्रिया को भी नजरअंदाज किया गया है.

सुप्रिया श्रीनेट
सुप्रिया श्रीनेट
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Published : Oct 30, 2020, 10:59 PM IST

नई दिल्ली : लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी द्वारा असहमति जताए जाने के बावजूद केंद्र सरकार नए सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए तैयार है. कांग्रेस ने इसे सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा भारतीय संस्थाओं को कमजोर करने वाला एक प्रयास करार दिया है.

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि नियुक्ति के लिए न तो चयन प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है और न ही सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों का.

सेवानिवृत्त भारतीय विदेश सेवा (IFS)) अधिकारी और सूचना आयुक्त यशवर्धन कुमार सिन्हा जल्द ही मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) के रूप में नियुक्त किए जा सकते हैं, जबकि पत्रकार उदय माहुरकर को सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्त किए जाने की संभावना है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में तीन सदस्यीय चयन समिति के सदस्य अधीर रंजन चौधरी ने नए सूचना आयुक्तों की नियुक्तियों की प्रक्रिया पर आपत्ति जताई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि फरवरी 2019 के सुप्रीम कोर्ट के पारदर्शिता दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है.

इसके अलावा अपने असंतुष्ट जवाब में उन्होंने यह भी कहा कि उदय माहुरकर आवेदकों की सूची में भी नहीं थे.

इस मामले पर बात करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेट ने कहा कि यह अभी तक संस्थानों के व्यवस्थित विनाश का एक और उदाहरण है.

उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि हम न केवल पसंद पर बल्कि चयन प्रक्रिया की अस्पष्टता पर भी सवाल उठा रहे हैं. चयन को सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों को पूरा करना है, चयन को पारदर्शी होना है. इसके बजाय हम देख रहे हैं कि यह एक बहुत ही अपारदर्शी प्रक्रिया है.

उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने नौकरी के लिए आवेदन नहीं किया था, उन्हें नौकरी मिल गई है. सबसे पहले, आपको पद के लिए आवेदन करना होता है, फिर कुछ लोगों का चयन किया जाता है और फिर चयन समिति फैसला करती है.

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) पद के लिए 139 और सूचना आयुक्त के पद के लिए 355 आवेदन प्राप्त किए थे, जिन्हें बाद में उच्च-शक्ति चयन समिति के विचार के लिए एक सर्च समिति द्वारा शॉर्टलिस्ट किया गया है, जिसमें प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता अधीर रंजन चौधरी शामिल हैं, जो नियुक्ति को लेकर अंतिम फैसला लेंगे.

यशवर्धन कुमार सिन्हा, जिन्हें सीआईसी के लिए चुना गया था, उन्होंने यूनाइटेड किंगडम और श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त के रूप में भी काम किया था. जनवरी 2019 में, उन्हें केंद्रीय सूचना आयोग के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था.

हालांकि अधीर रंजन चौधरी ने आम जनता से संबंधित मुद्दों पर उनके ऑन-ग्राउंड घरेलू अनुभव पर सवाल उठाया है और सीआईसी के लिए वरिष्ठतम सूचना आयुक्त वनजा एन सरना का नाम सुझाया है.

उदय माहुरकर एक वरिष्ठ पत्रकार और 'मार्चिंग विद ए बिलियन' सहित मोदी सरकार की किताबों के लेखक हैं. वह खुद को वीर सावरकर का अनुयायी भी कहते हैं.

सुप्रिया ने कहा कि यह पारदर्शिता की कमी, अस्पष्टता और भारत के संस्थानों को कमजोर करने की पूरी कोशिश है. यहां हमारे पास ऐसे लोग हैं, जो पीएम मोदी की विचारधारा का स्पष्ट समर्थन करते हैं, कोई निष्पक्षता नहीं है.

पढ़ें - दिल्ली विश्वविद्यालय ने पीजी प्रवेश के लिए जारी किया संशोधित शेड्यूल

गुरुवार को महुरकर ने एक आरएसएस स्वयंसेवक और भाजपा तमिलनाडु के प्रवक्ता एसजी सूर्या के बधाई संदेश का जवाब देते हुए ट्वीट किया था कि धन्यवाद एसजी सूर्या जी. वीर सावरकर की सच्ची राष्ट्र की भावना में राष्ट्र की सेवा करने का अवसर.

24 अक्टूबर को चयन समिति की बैठक में अधीर रंजन चौधरी ने सोशल मीडिया पर माहुरकर के लेखों और टिप्पणियों का उल्लेख किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह सत्तारूढ़ सरकार और उसकी विचारधारा के खुले समर्थक हैं.

चौधरी के असंतुष्ट नोट में कहा गया है कि सूचना आयुक्तों के पद के लिए सर्च समिति द्वारा सात नाम प्रस्तावित किए जा रहे थे. सर्च समिति यह बताने में विफल है कि वह इन उम्मीदवारों को दूसरों के बजाय उनको चुनने के लिए कारण नहीं दे पा रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि महुरकर आवेदकों की सूची में आसमान से टपके हैं.

इस बीच एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज ने सूचना आयुक्तों की नियुक्तियों में केंद्र सरकार द्वारा पारदर्शिता दिशानिर्देशों की अनदेखी करने के मामले में तत्काल सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

नई दिल्ली : लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी द्वारा असहमति जताए जाने के बावजूद केंद्र सरकार नए सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए तैयार है. कांग्रेस ने इसे सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा भारतीय संस्थाओं को कमजोर करने वाला एक प्रयास करार दिया है.

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि नियुक्ति के लिए न तो चयन प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है और न ही सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों का.

सेवानिवृत्त भारतीय विदेश सेवा (IFS)) अधिकारी और सूचना आयुक्त यशवर्धन कुमार सिन्हा जल्द ही मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) के रूप में नियुक्त किए जा सकते हैं, जबकि पत्रकार उदय माहुरकर को सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्त किए जाने की संभावना है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में तीन सदस्यीय चयन समिति के सदस्य अधीर रंजन चौधरी ने नए सूचना आयुक्तों की नियुक्तियों की प्रक्रिया पर आपत्ति जताई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि फरवरी 2019 के सुप्रीम कोर्ट के पारदर्शिता दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है.

इसके अलावा अपने असंतुष्ट जवाब में उन्होंने यह भी कहा कि उदय माहुरकर आवेदकों की सूची में भी नहीं थे.

इस मामले पर बात करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेट ने कहा कि यह अभी तक संस्थानों के व्यवस्थित विनाश का एक और उदाहरण है.

उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि हम न केवल पसंद पर बल्कि चयन प्रक्रिया की अस्पष्टता पर भी सवाल उठा रहे हैं. चयन को सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों को पूरा करना है, चयन को पारदर्शी होना है. इसके बजाय हम देख रहे हैं कि यह एक बहुत ही अपारदर्शी प्रक्रिया है.

उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने नौकरी के लिए आवेदन नहीं किया था, उन्हें नौकरी मिल गई है. सबसे पहले, आपको पद के लिए आवेदन करना होता है, फिर कुछ लोगों का चयन किया जाता है और फिर चयन समिति फैसला करती है.

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) पद के लिए 139 और सूचना आयुक्त के पद के लिए 355 आवेदन प्राप्त किए थे, जिन्हें बाद में उच्च-शक्ति चयन समिति के विचार के लिए एक सर्च समिति द्वारा शॉर्टलिस्ट किया गया है, जिसमें प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता अधीर रंजन चौधरी शामिल हैं, जो नियुक्ति को लेकर अंतिम फैसला लेंगे.

यशवर्धन कुमार सिन्हा, जिन्हें सीआईसी के लिए चुना गया था, उन्होंने यूनाइटेड किंगडम और श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त के रूप में भी काम किया था. जनवरी 2019 में, उन्हें केंद्रीय सूचना आयोग के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था.

हालांकि अधीर रंजन चौधरी ने आम जनता से संबंधित मुद्दों पर उनके ऑन-ग्राउंड घरेलू अनुभव पर सवाल उठाया है और सीआईसी के लिए वरिष्ठतम सूचना आयुक्त वनजा एन सरना का नाम सुझाया है.

उदय माहुरकर एक वरिष्ठ पत्रकार और 'मार्चिंग विद ए बिलियन' सहित मोदी सरकार की किताबों के लेखक हैं. वह खुद को वीर सावरकर का अनुयायी भी कहते हैं.

सुप्रिया ने कहा कि यह पारदर्शिता की कमी, अस्पष्टता और भारत के संस्थानों को कमजोर करने की पूरी कोशिश है. यहां हमारे पास ऐसे लोग हैं, जो पीएम मोदी की विचारधारा का स्पष्ट समर्थन करते हैं, कोई निष्पक्षता नहीं है.

पढ़ें - दिल्ली विश्वविद्यालय ने पीजी प्रवेश के लिए जारी किया संशोधित शेड्यूल

गुरुवार को महुरकर ने एक आरएसएस स्वयंसेवक और भाजपा तमिलनाडु के प्रवक्ता एसजी सूर्या के बधाई संदेश का जवाब देते हुए ट्वीट किया था कि धन्यवाद एसजी सूर्या जी. वीर सावरकर की सच्ची राष्ट्र की भावना में राष्ट्र की सेवा करने का अवसर.

24 अक्टूबर को चयन समिति की बैठक में अधीर रंजन चौधरी ने सोशल मीडिया पर माहुरकर के लेखों और टिप्पणियों का उल्लेख किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह सत्तारूढ़ सरकार और उसकी विचारधारा के खुले समर्थक हैं.

चौधरी के असंतुष्ट नोट में कहा गया है कि सूचना आयुक्तों के पद के लिए सर्च समिति द्वारा सात नाम प्रस्तावित किए जा रहे थे. सर्च समिति यह बताने में विफल है कि वह इन उम्मीदवारों को दूसरों के बजाय उनको चुनने के लिए कारण नहीं दे पा रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि महुरकर आवेदकों की सूची में आसमान से टपके हैं.

इस बीच एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज ने सूचना आयुक्तों की नियुक्तियों में केंद्र सरकार द्वारा पारदर्शिता दिशानिर्देशों की अनदेखी करने के मामले में तत्काल सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

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