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'कांग्रेस की न्यूनतम आय योजना कोई जुमला नहीं, यह नोटवापसी है' - प्रवीण चक्रवर्ती

कांग्रेस की न्यूनतम आय योजना (NYAY) को लेकर बीजेपी महज एक जुमला बता रही है. तो वहीं कांग्रेस का कहना है कि इससे पांच करोड़ लोगों को फायदा होगा. आइये जानते हैं इस योजना के बारे में.

ईटीवी भारत से बातचीत करते प्रवीण चक्रवर्ती.
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Published : Mar 30, 2019, 9:53 PM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने घोषणा करते हुए कहा था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो न्यूनतम आय योजना (NYAY) के तहत उनकी सरकार देश के 20 फीसदी गरीबों को हर साल 72 हजार रुपए देगी. 2019 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का यह चुनावी वादा गरीब वर्ग के लिए कितना सच साबित हो सकता है इस पर बात करने के लिए ईटीवी भारत ने कांग्रेस के डेटा एनालिटिक्स डिपार्टमेंट के चेयरपर्सन प्रवीण चक्रवर्ती से बात की.

ईटीवी भारत से बातचीत करते प्रवीण चक्रवर्ती.

ईटीवी से बात करते हुए प्रवीण चक्रवर्ती ने कि मिनिमम इनकम गारंटी योजना के तहत लगभग पांच करोड़ गरीब वर्ग के परिवारों को इसका लाभ मिलेगा.

यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम
यह पूछने पर कि विपक्ष इसे मात्र एक जुमला बता रही है और इसे कांग्रेस द्वारा लागू ना कर पाने की बात कह रही है तो उन्होंने कहा, 'साल 2017 में मोदी सरकार के चीफ इकनॉमिक एडवाइजर अरविंद सुब्रमण्यम ने इकनॉमिक सर्वे रिपोर्ट में बताया था कि भारत में भी यूनिवर्सल बेसिक इनकम जैसी स्कीम लेकर आना चाहिए, तो यह कैसे जुमला कहा जा सकता है.'

नोटबंदी नहीं, नोटवापसी है ये
चक्रवर्ती ने कहा देश की अर्थव्यवस्था नोटबंदी के बाद रूक गई है और यह नोटबंदी नहीं नोट वापसी है. उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत जो पैसा गरीबों द्वारा उनके इलाज, कपड़े, खाने या अन्य किसी जरुरतों के लिए बाजार में खर्च होगा उससे हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और नई कंपनियां खुलेंगी जिससे गरीबों को रोजगार मिलेगा और देश की अर्थव्यवस्था एक बार फिर बेहतर होगी.

15 अर्थशास्त्रिों से ली गई राय
प्रवीण चक्रवर्ती ने बताया कि इस स्कीम को तैयार करने के लिए हमने दुनिया के 15 अर्थशास्त्रियों और एक्सपर्ट्स की राय ली है. जिनमें रघुराम राजन, एमआईटी के प्रोफेसर अभीजित बनर्जी शामिल थे. जब उनसे यह पूछा गया कि इस योजना को इतनी बड़ी आबादी वाले देश में लागू कर पाना कितना संभव है तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने मनरेगा जैसी योजना भी लागू की थी और उसमें मनमोहन सिंह, पी. चिदंबरम शामिल थे और इस योजना में भी वही शामिल हैं.

3.5 लाख करोड़ खर्च
ईटीवी भारत ने जब उनसे पूछा कि योजना के तहत 5 करोड़ परिवारों को देने के लिए यह पैसे कैसे आएंगे तो उन्होंने कहा कि देश की मौजूदा सरकारें विभिन्न योजनाओं में हर साल लगभग 60 लाख करोड़ रुपए खर्च कर रही हैं तो न्याय योजना के लिए मात्र 3.5 लाख करोड़ रुपये खर्च करना हमारे लिए कोई कठिन कार्य नहीं होगा.

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने घोषणा करते हुए कहा था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो न्यूनतम आय योजना (NYAY) के तहत उनकी सरकार देश के 20 फीसदी गरीबों को हर साल 72 हजार रुपए देगी. 2019 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का यह चुनावी वादा गरीब वर्ग के लिए कितना सच साबित हो सकता है इस पर बात करने के लिए ईटीवी भारत ने कांग्रेस के डेटा एनालिटिक्स डिपार्टमेंट के चेयरपर्सन प्रवीण चक्रवर्ती से बात की.

ईटीवी भारत से बातचीत करते प्रवीण चक्रवर्ती.

ईटीवी से बात करते हुए प्रवीण चक्रवर्ती ने कि मिनिमम इनकम गारंटी योजना के तहत लगभग पांच करोड़ गरीब वर्ग के परिवारों को इसका लाभ मिलेगा.

यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम
यह पूछने पर कि विपक्ष इसे मात्र एक जुमला बता रही है और इसे कांग्रेस द्वारा लागू ना कर पाने की बात कह रही है तो उन्होंने कहा, 'साल 2017 में मोदी सरकार के चीफ इकनॉमिक एडवाइजर अरविंद सुब्रमण्यम ने इकनॉमिक सर्वे रिपोर्ट में बताया था कि भारत में भी यूनिवर्सल बेसिक इनकम जैसी स्कीम लेकर आना चाहिए, तो यह कैसे जुमला कहा जा सकता है.'

नोटबंदी नहीं, नोटवापसी है ये
चक्रवर्ती ने कहा देश की अर्थव्यवस्था नोटबंदी के बाद रूक गई है और यह नोटबंदी नहीं नोट वापसी है. उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत जो पैसा गरीबों द्वारा उनके इलाज, कपड़े, खाने या अन्य किसी जरुरतों के लिए बाजार में खर्च होगा उससे हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और नई कंपनियां खुलेंगी जिससे गरीबों को रोजगार मिलेगा और देश की अर्थव्यवस्था एक बार फिर बेहतर होगी.

15 अर्थशास्त्रिों से ली गई राय
प्रवीण चक्रवर्ती ने बताया कि इस स्कीम को तैयार करने के लिए हमने दुनिया के 15 अर्थशास्त्रियों और एक्सपर्ट्स की राय ली है. जिनमें रघुराम राजन, एमआईटी के प्रोफेसर अभीजित बनर्जी शामिल थे. जब उनसे यह पूछा गया कि इस योजना को इतनी बड़ी आबादी वाले देश में लागू कर पाना कितना संभव है तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने मनरेगा जैसी योजना भी लागू की थी और उसमें मनमोहन सिंह, पी. चिदंबरम शामिल थे और इस योजना में भी वही शामिल हैं.

3.5 लाख करोड़ खर्च
ईटीवी भारत ने जब उनसे पूछा कि योजना के तहत 5 करोड़ परिवारों को देने के लिए यह पैसे कैसे आएंगे तो उन्होंने कहा कि देश की मौजूदा सरकारें विभिन्न योजनाओं में हर साल लगभग 60 लाख करोड़ रुपए खर्च कर रही हैं तो न्याय योजना के लिए मात्र 3.5 लाख करोड़ रुपये खर्च करना हमारे लिए कोई कठिन कार्य नहीं होगा.

Intro:नई दिल्ली। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने घोषणा करते हुए कहा था कि कांग्रेस अगर सत्ता में आई तो न्यूनतम आय योजना (न्याय) के तहत उनकी सरकार देश के 20 फ़ीसदी गरीबों को हर साल 72 हजार रुपए देगी। 2019 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का यह चुनावी वादा गरीब वर्ग के लिए कितना सच साबित हो सकता है इस पर बात करने के लिए ईटीवी भारत ने कांग्रेस के डेटा एनालिटिक्स डिपार्टमेंट के चेयरपर्सन प्रवीण चक्रवर्ती से बात की।

प्रवीण चक्रवर्ती ने कहा कि मिनिमम इनकम गारंटी योजना के तहत लगभग 5 करोड़ गरीब वर्ग के परिवारों को इसका लाभ मिलेगा। जब उनसे जब पूछा गया कि विपक्ष इसे मात्र एक जुमला बता रही है और इसे कांग्रेस द्वारा लागू ना कर पाने की बात कह रही है तो उन्होंने कहा की 2017 में मोदी सरकार के चीफ इकनॉमिक एडवाइजर अरविंद सुब्रमण्यम ने इकनॉमिक सर्वे रिपोर्ट में बताया था कि भारत में भी यूनिवर्सल बेसिक इनकम जैसी स्कीम लेकर आना चाहिए, तो यह कैसे जुमला कहा जा सकता है।





Body:कांग्रेस के डेटा एनालिटिक्स डिपार्टमेंट के चेयरपर्सन प्रवीण चक्रवर्ती ने कहा देश की अर्थव्यवस्था नोटबंदी के बाद रूक गई है और यह नोटबंदी नहीं नोट वापसी है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत जो पैसा गरीबों द्वारा उनके इलाज, कपड़े, खाने या अन्य किसी जरुरतों के लिए बाजार में खर्च होगा उससे हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और नई कंपनियां खुलेंगी जिससे गरीबों को रोजगार मिलेगा और देश की अर्थव्यवस्था एक बार फिर बेहतर होगी।

प्रवीण चक्रवर्ती ने बताया कि इस स्कीम को तैयार करने के लिए हमने दुनिया के 15 अर्थशास्त्रीयों और एक्सपर्ट्स की राय ली जिनमें रघुराम राजन, एमआईटी के प्रोफेसर अभीजित बनर्जी शामिल थे। जब उनसे यह पूछा गया कि इस योजना को इतनी बड़ी आबादी वाले देश में लागू कर पाना कितना संभव है तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने मनरेगा जैसी योजना भी लागू की थी और उसमें मनमोहन सिंह, पी. चिदंबरम शामिल थे और इस योजना में भी वही शामिल हैं।



Conclusion:ईटीवी भारत ने जब उनसे पूछा कि योजना के तहत 5 करोड़ परिवारों को देने के लिए यह पैसे कैसे आएंगे तो उन्होंने कहा कि देश की मौजूदा सरकारें विभिन्न योजनाओं में हर साल लगभग 60 लाख करोड़ रुपए खर्च कर रही हैं तो न्याय योजना के लिए मात्र 3.5 लाख करोड़ रुपये खर्च करना हमारे लिए कोई कठिन कार्य नहीं होगा।
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