तिरुवनंतपुरम : केरल के त्रिशूर से सांसद टीएन प्रथापन ने कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा कर करार अधिनियम, 2020 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
उन्होंने 27 सितंबर को लागू हुए अधिनियम के खंड 2, 3, 4, 5, 6, 7, 13, 14, 18 और 19 को चुनौती दी है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि अधिनियम के यह खंड संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन करते हैं.
कांग्रेस सांसद टीएन प्रथापन का कहना है कि इस अधिनियम से किसानों के शोषण के दरवाजे खुलेंगे. साथ ही यह अधिनियम खेत में कड़ी मेहनत करने वाले श्रमिक/किसान/ शेयर क्रॉपर की पहचान नहीं करता है, क्योंकि किसान उन्हें अधिकारों से वंचित करते हैं.
कृषक करार से संबंधित इस अधिनियम की धारा 4 का हवाला देते हुए कांग्रेस सांसद का कहना है कि खेती की उपज के लिए उपयोग किए जाने वाले मानक अधिक लाभ उन्मुख हो सकते हैं. इसमें शामिल पार्टियां भूमि और बंजर या अधिक उपयोग के कारण भूमि को बंजर या बेअसर छोड़कर ऐसे मानकों के पर्यावरणीय प्रभाव को देख सकती हैं, जिससे किसान को अपनी आय का एकमात्र साधन खोना पड़ेगा.
यह भी पढ़ें- किसानों के लिए मृत्युदंड जैसा है नया कृषि कानून, देश में मर चुका लोकतंत्र : राहुल
टीएन प्रथापन ने अधिनियम के इन खंडों को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है. साथ ही उन्होंने शीर्ष अदालत से औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 7 और उपभोक्ता अधिनियम अधिनियम, 1986 के खंड 9 (अध्याय 3) के अनुरूप किसान ट्रिब्यूनल की स्थापना के लिए निर्देश मांगे हैं.