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तीन तलाक बिल : कांग्रेस बोली- अन्य दलों ने वॉकऑउट कर BJP की मदद की

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Published : Jul 31, 2019, 5:51 PM IST

तीन तलाक बिल के राज्यसभा से पास होने के बाद कांग्रेस का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने चालाकी से यह बिल पास कराया है. कांग्रेस ने अन्य विपक्षी दलों को जिम्मेदार ठहराया और अपना पल्ला झाड़ा है. कांग्रेस का कहना है कि अन्य विपक्षी दलों ने वॉकऑउट कर बीजेपी की मदद की है. जानें क्या कुछ कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने...

कांग्रेस नेता राशिद अल्वी

नई दिल्ली: लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी तीन तलाक विधेयक पास हो गया है. राज्यसभा से तीन तलाक बिल पास होने के बाद कांग्रेस इसके लिए सपा, बसपा और जदयू को जिम्मेदार ठहरा रही है. कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी से ज्यादा गुनाहगार वॉकऑउट करने वाले दल हैं.

वरिष्ठ कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि सपा, बसपा और जदयू सदन के बाहर मुस्लिमों की बात करते हैं, सदन में बिल के खिलाफ बात करते हैं और जब वोटिंग का समय होता है तो वे वॉकऑउट करते हैं. वॉकऑउट का मतलब बीजेपी की मदद करना है. वॉकऑउट की जगह वोट देते तो बिल पास नहीं होता.

मायावती ने दिया दगा
कांग्रेस ने मायावती पर मुस्लिमों के विश्वास को तोड़ने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, 'मायावती को उत्तर प्रदेश के मुसलमानों ने बड़ी तादाद में वोट किया है, उन तमाम मुसलमानों ने जिन्होंने वोट दिया है, उनके विश्वास को तोड़ने का काम किया है.' कांग्रेस की दलील है कि इन दलों ने एक तरह से मोदी सरकार की मदद कर बिल को जस का तस पास करा दिया.

कांग्रेस नेता राशिद अल्वी से बातचीत

कांग्रेस चाहती थी संशोधन
सदन के बाहर मीडिया से बात करते हुए पूर्व कानून मंत्री अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस कुछ संशोधन कर इस बिल के पक्ष में थी लेकिन सरकार ने मनमर्जी की.

दरअसल शाहबानो केस के बाद से कांग्रेस पिछले तीन दशक में नौ लोकसभा चुनावों में कभी भी पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर पाई.

पढ़ें-तीन तलाक के खिलाफ भारत की संसद से ऐतिहासिक विधेयक पारित, जानें अन्य देशों के कानून

तीन तलाक के विरोधी होने के दाग से बचना चाहती है कांग्रेस
राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो शाहबानो पर कांग्रेस के रुख ने उसके वजूद को हिला दिया. आज पार्टी की जो स्थिति है, उसमें शाहबानो के तीन तलाक मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सदन में पलट देने का फैसला जिम्मेदार है. दरअसल, कांग्रेस यह संदेश भी देना चाहती है कि तीन तलाक पर वह मुस्लिम पुरुषों की सोच के साथ है लेकिन पीड़ित महिलाओं के दबाव में वह तीन तलाक बिल के विरोधी होने का दाग भी अपने दामन पर नहीं लगाना चाहती है.

विपक्ष के 20 सांसद अनुपस्थित
बता दें, तीन तलाक बिल के पक्ष में राज्यसभा में में 99 और विरोध में 84 वोट पड़े थे. विवादास्पद तीन तलाक विधेयक पर राज्यसभा में वोटिंग के दौरान कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के पांच-पांच सांसदों सहित विपक्ष के करीब 20 सांसद अनुपस्थित रहे.

सांसद को बताना होगा कारण
सांसदों की गैर मौजूदगी पर कांग्रेस दलील दे रही है कि सांसद दिल्ली के बाहर थे वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी ने बिल को चालाकी से पास करा लिया है. कांग्रेस के राज्यसभा सदस्यों को अब पार्टी को कारण बताना पड़ेगा क्योंकि विधेयक पर वोटिंग के दौरान सभी सांसदों की सदन में मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस ने व्हिप जारी किया था.

ये सांसद रहे अनुपस्थित
विपक्ष के सदस्य अगर सदन में मौजूद होते तो वह विधेयक को प्रवर समिति के पास भिजवा सकता था. कांग्रेस के जो पांच सदस्य गैर हाजिर रहे उनमें विवेक तनखा, प्रताप सिंह बाजवा, मुकुट मिथी और रंजीब बिस्वाल के अलावा संजय सिंह भी हैं. संजय सिंह ने इससे पहले आज ही कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया.

जानकारी देते संवादादाता

पढ़ें-मुसलमानों को सजा देने के लिए बनाया गया है तीन तलाक कानून: महबूबा मुफ्ती

अन्य विपक्षी दलों के सदस्य भी नदारद
कांग्रेस और सपा सदस्यों के अलावा राकांपा के वरिष्ठ नेता शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल भी सदन में अनुपस्थित रहे. इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, आईयूएमएल और केरल कांग्रेस के एक- एक सदस्य भी वोटिंग के दौरान गैर हाजिर रहे.

कांग्रेस ने अन्य दलों पर फोड़ा ठीकरा
अब जब दोनों सदन से तीन तलाक बिल पास हो गया तो कांग्रेस इसका ठीकरा मोदी विरोधी और तीन तलाक बिल के विरोधी पार्टी सपा, बसपा और जेडीयू पर फोड़कर अपना दामन बचाना चाहती है. कांग्रेस की पूरी जद्दोजहद इसी को लेकर है.

नई दिल्ली: लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी तीन तलाक विधेयक पास हो गया है. राज्यसभा से तीन तलाक बिल पास होने के बाद कांग्रेस इसके लिए सपा, बसपा और जदयू को जिम्मेदार ठहरा रही है. कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी से ज्यादा गुनाहगार वॉकऑउट करने वाले दल हैं.

वरिष्ठ कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि सपा, बसपा और जदयू सदन के बाहर मुस्लिमों की बात करते हैं, सदन में बिल के खिलाफ बात करते हैं और जब वोटिंग का समय होता है तो वे वॉकऑउट करते हैं. वॉकऑउट का मतलब बीजेपी की मदद करना है. वॉकऑउट की जगह वोट देते तो बिल पास नहीं होता.

मायावती ने दिया दगा
कांग्रेस ने मायावती पर मुस्लिमों के विश्वास को तोड़ने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, 'मायावती को उत्तर प्रदेश के मुसलमानों ने बड़ी तादाद में वोट किया है, उन तमाम मुसलमानों ने जिन्होंने वोट दिया है, उनके विश्वास को तोड़ने का काम किया है.' कांग्रेस की दलील है कि इन दलों ने एक तरह से मोदी सरकार की मदद कर बिल को जस का तस पास करा दिया.

कांग्रेस नेता राशिद अल्वी से बातचीत

कांग्रेस चाहती थी संशोधन
सदन के बाहर मीडिया से बात करते हुए पूर्व कानून मंत्री अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस कुछ संशोधन कर इस बिल के पक्ष में थी लेकिन सरकार ने मनमर्जी की.

दरअसल शाहबानो केस के बाद से कांग्रेस पिछले तीन दशक में नौ लोकसभा चुनावों में कभी भी पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर पाई.

पढ़ें-तीन तलाक के खिलाफ भारत की संसद से ऐतिहासिक विधेयक पारित, जानें अन्य देशों के कानून

तीन तलाक के विरोधी होने के दाग से बचना चाहती है कांग्रेस
राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो शाहबानो पर कांग्रेस के रुख ने उसके वजूद को हिला दिया. आज पार्टी की जो स्थिति है, उसमें शाहबानो के तीन तलाक मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सदन में पलट देने का फैसला जिम्मेदार है. दरअसल, कांग्रेस यह संदेश भी देना चाहती है कि तीन तलाक पर वह मुस्लिम पुरुषों की सोच के साथ है लेकिन पीड़ित महिलाओं के दबाव में वह तीन तलाक बिल के विरोधी होने का दाग भी अपने दामन पर नहीं लगाना चाहती है.

विपक्ष के 20 सांसद अनुपस्थित
बता दें, तीन तलाक बिल के पक्ष में राज्यसभा में में 99 और विरोध में 84 वोट पड़े थे. विवादास्पद तीन तलाक विधेयक पर राज्यसभा में वोटिंग के दौरान कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के पांच-पांच सांसदों सहित विपक्ष के करीब 20 सांसद अनुपस्थित रहे.

सांसद को बताना होगा कारण
सांसदों की गैर मौजूदगी पर कांग्रेस दलील दे रही है कि सांसद दिल्ली के बाहर थे वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी ने बिल को चालाकी से पास करा लिया है. कांग्रेस के राज्यसभा सदस्यों को अब पार्टी को कारण बताना पड़ेगा क्योंकि विधेयक पर वोटिंग के दौरान सभी सांसदों की सदन में मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस ने व्हिप जारी किया था.

ये सांसद रहे अनुपस्थित
विपक्ष के सदस्य अगर सदन में मौजूद होते तो वह विधेयक को प्रवर समिति के पास भिजवा सकता था. कांग्रेस के जो पांच सदस्य गैर हाजिर रहे उनमें विवेक तनखा, प्रताप सिंह बाजवा, मुकुट मिथी और रंजीब बिस्वाल के अलावा संजय सिंह भी हैं. संजय सिंह ने इससे पहले आज ही कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया.

जानकारी देते संवादादाता

पढ़ें-मुसलमानों को सजा देने के लिए बनाया गया है तीन तलाक कानून: महबूबा मुफ्ती

अन्य विपक्षी दलों के सदस्य भी नदारद
कांग्रेस और सपा सदस्यों के अलावा राकांपा के वरिष्ठ नेता शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल भी सदन में अनुपस्थित रहे. इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, आईयूएमएल और केरल कांग्रेस के एक- एक सदस्य भी वोटिंग के दौरान गैर हाजिर रहे.

कांग्रेस ने अन्य दलों पर फोड़ा ठीकरा
अब जब दोनों सदन से तीन तलाक बिल पास हो गया तो कांग्रेस इसका ठीकरा मोदी विरोधी और तीन तलाक बिल के विरोधी पार्टी सपा, बसपा और जेडीयू पर फोड़कर अपना दामन बचाना चाहती है. कांग्रेस की पूरी जद्दोजहद इसी को लेकर है.

Intro:लोकसभा के बाद राज्यसभा में ट्रिपल तलाक बिल पास होने के के लिए कांग्रेस बिल का विरोध करने वाली समाजवादी पार्टी बसपा और जेडीयू जैसी पार्टियों का सदन से वाक आउट को जिम्मेदार ठहरा रही है कांग्रेस की दलील है कि इन पार्टियों ने एक तरह से मोदी सरकार की मदद कर बिल को जस का तस पास करा दिया लेकिन कांग्रेस पार्टी द्वारा व्हिप जारी करने के बावजूद पार्टी के 5 सांसदों की गैरमौजूदगी नहीं बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है इस सवाल के जवाब में कि क्या पार्टी वोटिंग के समय अनुपस्थित रहने वाले सांसदों के खिलाफ कार्रवाई करेगी कांग्रेस की दलील है सरकार ने बड़ी चालाकी से इस बिल को पास करा लिया उस वक्त पार्टी के कुछ सांसद दिल्ली के बाहर थे एक तरफ कांग्रेस यह दलील दे रही है दूसरी तरफ सदन के बाहर मीडिया से बात करते हुए पूर्व कानून मंत्री अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस कुछ संशोधन कर इस बिल के पक्ष में थी लेकिन सरकार ने मनमर्जी किया दरअसल शाहबानो कांड के बाद कांग्रेस पिछले तीन दशक में 9 लोकसभा चुनावों में कभी भी पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर पाई बीजेपी समेत लिबरल मुस्लिम मो की दलील है शाहबानो पर कांग्रेस के रुख ने उसके वजूद को हिला दिया आज कॉन्ग्रेस जिस दिशा में है उसमें तीन तलाक मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सदन में पलक देने की कांग्रेस की फैसले जिम्मेदार हैं कल के दौर में ही कांग्रेस यह संदेश भी देना चाहती है तीन तलाक पर वह मुस्लिम पुरुषों की सोच के साथ है लेकिन पीड़ित महिलाओं की दबाव में वह तीन तलाक बिल के विरोधी होने का दाग दी अपने दामन पर नहीं लगाना चाहती.





Body:गौरतलब है कि राज्यसभा में बिल के पक्ष में 99 और विरोध में 84 वोट पड़े थे. जबकि कांग्रेस के कुल सांसदों की संख्या 48 थी. जिसमें संजय सिंह ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया .बाकी सांसदों में विवेक तंखा, राजीव विश्वास, प्रताप सिंह बाजवा ,मुकुट मिथी और एक निर्वाचित सांसद केटीएस तुलसी वोटिंग के समय उपस्थित थे .सूत्रों का मानना है इसमें अधिकतर सांसद दिल्ली और देश के बाहर थे .जिसके कारण अंतिम समय में भी वोटिंग के समय पेश नहीं हो सके.लेकिन कांग्रेस को इस सवाल का जवाब देना भारी पड़ रहा है.
जब लोकसभा से बिल पास हो गया तो राज्यसभा से बिल का टेबल इसी सत्र में होना था. ऐसे में पार्टी
यह दलील कमजोर पड़ती है .
अब जब दोनों सदन से तीन तलाक बिल पास हो गया तो कांग्रेस इसका ठीकरा मोदी विरोधी और तीन तलाक बिल के विरोधी पार्टी सपा, बसपा और जेडीयू पर फोड़कर अपना दामन बचाना चाहती है .कांग्रेस की पूरी जद्दोजहद इसी को लेकर है.


Conclusion:
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