नई दिल्ली : अयोध्या में मंदिर निर्माण को लेकर मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार राम मंदिर न्यास (ट्रस्ट) बनाने को मंजूरी दे दी है. इसका एलान बुधवार को स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में किया.
हालांकि इस घोषणा के समय पर सवाल खड़ा करते हुए कांग्रेस पार्टी ने कहा आखिर यह फैसला लेने में सरकार को तीन महीने का विलंब क्यों हुआ? इसके साथ ही कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया कि दिल्ली चुनाव से पहले इस निर्णय से भारतीय जनता पार्टी की मंशा केवल वोट बटोरना है.
कांग्रेस से राज्यसभा सांसद पीएल पुनिया ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज लोकसभा में राम मंदिर न्यास के गठन की घोषणा की, लेकिन उसकी रूपरेखा कैसी रहेगी, इसका कोई उल्लेख नहीं किया. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आए तीन माह हो गए. हमें लगा था कि इस फैसले के बाद मंदिर निर्माण का काम तेजी से होगा, लेकिन इस कार्य में अब भी विलंब हुआ.'
केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए पुनिया ने यह भी कहा, 'भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे को लेकर हमेशा से राजनीति करती आई है, हमें चाहते हैं कि अब इस मामले में राजनीति से हटकर मंदिर निर्माण का काम जल्द पूरा किया जाए.'
बता दें कि साल 1992 बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद 1993 में अयोध्या में विवादित स्थल सहित आसपास के करीब 67 एकड़ जमीन केंद्र सरकार को दे दी गई थी, लेकिन अब सरकार ने इस जमीन को राम मंदिर न्यास के हवाले कर दिया है. यह ट्रस्ट ही अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण और उससे संबंधित सभी फैसले लेगा.
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इस फैसले को लेकर विपक्ष के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी सरकार पर हमला करते हुए कहा किए घोषणा आठ फरवरी के बाद भी की जा सकती थी, लेकिन ऐसा लगता है कि भाजपा दिल्ली चुनावों को लेकर चिंतित है.
ओवैसी के बयान से सहमति जताते हुए पुनिया ने कहा कि यह बात बिल्कुल साफ है यह फैसला दिल्ली चुनाव को ध्यान में रखकर ही लिया गया है.
उन्होंने कहा, 'दिल्ली के प्रबुद्ध नागरिक जागरूक हैं और वह अच्छी तरह जानते हैं कि इस फैसले का क्या उद्देश्य है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद भी सरकार ने ट्रस्ट बनाने में तीन महीने का विलंब कर दिया तो मैं समझता हूं कि इस फैसले का कोई प्रभाव दिल्ली की जनता पर नहीं पड़ेगा. हालांकि सरकार की मंशा यही है.'