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किसानों को मौखिक आश्वासन दे रही सरकार : कांग्रेस

केंद्र और किसान यूनियनों के बीच एक और दौर की बातचीत से ठीक एक दिन पहले, कांग्रेस पार्टी ने भाजपा पर आरोप लगाया है. कांग्रेस ने कहा कि तीन कृषि कानूनों को लागू करना भाजपा सरकार की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को समाप्त करने की साजिश है. पार्टी ने मांग की कि यदि केंद्र किसानों को एमएसपी के बारे में आश्वस्त करना चाहता है, तो उसे कानून में यह जोड़ना चाहिए और उन्हें संसद से पारित कराना चाहिए.

farmer agitation
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Published : Dec 29, 2020, 8:05 PM IST

नई दिल्ली : केंद्र और किसान यूनियनों के बीच एक और दौर की बातचीत से ठीक एक दिन पहले, कांग्रेस पार्टी ने भाजपा पर आरोप लगाया है. कांग्रेस ने कहा कि तीन कृषि कानूनों को लागू करना भाजपा सरकार की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को समाप्त करने की साजिश है. पार्टी ने मांग की कि यदि केंद्र किसानों को एमएसपी के बारे में आश्वस्त करना चाहता है, तो उसे कानून में यह जोड़ना चाहिए और उन्हें संसद से पारित कराना चाहिए.


एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने कहा कि सरकार किसानों से कह रही है कि एमएसपी वहां रहेगा और उनकी जमीन भी सुरक्षित होगी. लेकिन सवाल यह है कि क्या ये मौखिक आश्वासन किसानों को कानूनी मान्यता दे सकता है. उन्होंने आगे कहा कि यह मोदी सरकार की चाल है कि वे कानून में इसे शामिल करने से बचने के लिए मौखिक आश्वासन देते हैं. हमारी मांग है कि सरकार किसानों की बात सुने और उनकी मांगों को स्वीकार करे. ये मांगें कानून का हिस्सा होनी चाहिए जो संसद द्वारा पारित हो.

30 दिसंबर को सरकार से वार्ता

केंद्र सरकार ने अगले दौर की बातचीत के लिए 40 किसान संगठनों को 30 दिसंबर को बुलाया है. जो कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. इससे पहले, दोनों पक्षों के बीच कई दौर की बातचीत आयोजित की जा चुकी है, लेकिन वे बेकार ही रहीं. क्योंकि कोई हल नहीं निकल पाया. राकांपा प्रमुख शरद पवार ने भी किसानों को आश्वासन दिया है कि अगर बुधवार को वार्ता विफल रही, तो वह संप्रग के घटक दलों के खिलाफ आंदोलन को समर्थन देने के लिए एकजुट होंगे.

कांग्रेस ने लगाए कई आरोप

यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस इसका हिस्सा होगी. राजीव शुक्ला ने कहा, हम किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं, क्योंकि वे एक वास्तविक मांग उठा रहे हैं और हम सब इसके साथ हैं. यह सरकार और उसके इरादे बहुत ही संदिग्ध हैं. आज कृषि मंत्री ने एक बयान दिया है जिसमें कहा गया है कि वे प्रावधानों के बारे में बात करेंगे, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिबद्धता नहीं दी है. उन्होंने कहा कि शरद पवार पूर्व कृषि मंत्री रहे हैं और उन्होंने हमेशा किसानों के मुद्दों को उठाया है. इसलिए, अगर बातचीत में विपक्षी दल बिना शामिल हुए सीधे किसानों की मदद करने की कोशिश करेंगे.

मंगलवार को, किसान संगठनों ने केंद्र को एक पत्र भेजा है, जिसमें कल की बैठक में एमएसपी के लिए गारंटी, मसौदा बिजली संशोधन विधेयक 2020 में बदलाव सहित कई मुद्दों पर चर्चा की जाएगी.

नई दिल्ली : केंद्र और किसान यूनियनों के बीच एक और दौर की बातचीत से ठीक एक दिन पहले, कांग्रेस पार्टी ने भाजपा पर आरोप लगाया है. कांग्रेस ने कहा कि तीन कृषि कानूनों को लागू करना भाजपा सरकार की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को समाप्त करने की साजिश है. पार्टी ने मांग की कि यदि केंद्र किसानों को एमएसपी के बारे में आश्वस्त करना चाहता है, तो उसे कानून में यह जोड़ना चाहिए और उन्हें संसद से पारित कराना चाहिए.


एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने कहा कि सरकार किसानों से कह रही है कि एमएसपी वहां रहेगा और उनकी जमीन भी सुरक्षित होगी. लेकिन सवाल यह है कि क्या ये मौखिक आश्वासन किसानों को कानूनी मान्यता दे सकता है. उन्होंने आगे कहा कि यह मोदी सरकार की चाल है कि वे कानून में इसे शामिल करने से बचने के लिए मौखिक आश्वासन देते हैं. हमारी मांग है कि सरकार किसानों की बात सुने और उनकी मांगों को स्वीकार करे. ये मांगें कानून का हिस्सा होनी चाहिए जो संसद द्वारा पारित हो.

30 दिसंबर को सरकार से वार्ता

केंद्र सरकार ने अगले दौर की बातचीत के लिए 40 किसान संगठनों को 30 दिसंबर को बुलाया है. जो कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. इससे पहले, दोनों पक्षों के बीच कई दौर की बातचीत आयोजित की जा चुकी है, लेकिन वे बेकार ही रहीं. क्योंकि कोई हल नहीं निकल पाया. राकांपा प्रमुख शरद पवार ने भी किसानों को आश्वासन दिया है कि अगर बुधवार को वार्ता विफल रही, तो वह संप्रग के घटक दलों के खिलाफ आंदोलन को समर्थन देने के लिए एकजुट होंगे.

कांग्रेस ने लगाए कई आरोप

यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस इसका हिस्सा होगी. राजीव शुक्ला ने कहा, हम किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं, क्योंकि वे एक वास्तविक मांग उठा रहे हैं और हम सब इसके साथ हैं. यह सरकार और उसके इरादे बहुत ही संदिग्ध हैं. आज कृषि मंत्री ने एक बयान दिया है जिसमें कहा गया है कि वे प्रावधानों के बारे में बात करेंगे, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिबद्धता नहीं दी है. उन्होंने कहा कि शरद पवार पूर्व कृषि मंत्री रहे हैं और उन्होंने हमेशा किसानों के मुद्दों को उठाया है. इसलिए, अगर बातचीत में विपक्षी दल बिना शामिल हुए सीधे किसानों की मदद करने की कोशिश करेंगे.

मंगलवार को, किसान संगठनों ने केंद्र को एक पत्र भेजा है, जिसमें कल की बैठक में एमएसपी के लिए गारंटी, मसौदा बिजली संशोधन विधेयक 2020 में बदलाव सहित कई मुद्दों पर चर्चा की जाएगी.

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