नई दिल्ली : कांग्रेस ने गुरुवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए अपने कॉरपोरेट दोस्तों के लिए काम करने का आरोप लगाया. पार्टी ने कहा कि 2014 में सत्ता में आने के बाद, केंद्र ने लौह अयस्क (आयरन ओर) का निर्यात करने के लिए निजी कंपनियों के पक्ष में सभी नियमों को बदल दिया, जिससे राजकोष को 12,000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. कांग्रेस ने इस मुद्दे की जांच की मांग की है.
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने समय-समय पर अपने कॉर्पोरेट शुभचिंतकों के लिए अपने प्यार का खुलकर प्रदर्शन किया है. उन्होंने एक बार फिर कुछ निजी दोस्तों की मदद करने के लिए खनन उद्योग में सभी सिद्धांतों का उल्लंघन किया.
नियमों का हवाला देते हुए खेड़ा ने कहा कि भारत द्वारा लौह अयस्क के निर्यात पर 30 प्रतिशत निर्यात शुल्क लिया जाता है. 2014 से पहले केवल धातु और खनिज व्यापार निगम (एमएमटीसी) को लौह अयस्क का निर्यात करने की अनुमति थी. यहां तक कि एमएमटीसी को केवल 64 प्रतिशत लौह (Fe) वाले अयस्क का निर्यात करने की अनुमति थी और इस ज्यादा निर्यात करने पर सरकार से अनुमति लेनी होती थी.
खेड़ा ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद इन सभी नियमों और कानूनों को बदल दिया गया. 2014 में इस्पात मंत्रालय ने लौह अयस्क पर 64 प्रतिशत लौह वाले अयस्क के निर्यात पर रोक हटा दी और चीन, ताइवान, दक्षिण कोरिया, जापान में लौह अयस्क निर्यात करने की अनुमति दे दी.
उन्होंने कहा कि अगर वहीं लौह अयस्क छड़ों के रूप में निर्यात किया जाता है तो इन निर्यातों पर कोई शुल्क नहीं लगता. उस समय तक कुद्रेमुख आयरन ओर कंपनी लिमिटेड (केआईओसीएल) को ही निर्यात करने की इजाजत थी, लेकिन सरकार ने 2014 से कई निजी फर्मो को लौह अयस्क की छड़ों के निर्यात की इजाजत दे दी. इन निजी फर्मों को निर्यात शुल्क नहीं देना पड़ रहा है, जिससे सरकार को राजस्व का घाटा हो रहा है.
पवन खेड़ा ने दावा किया कि यह अनुमान है कि निजी कंपनियों ने कानून का उल्लंघन कर 2014 से 40,000 करोड़ रुपये के लौह अयस्क का निर्यात किया है, जबकि उनके पास अयस्क का निर्यात करने का लाइसेंस नहीं था.
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उन्होंने कहा कि यह सब केंद्र सरकार की नाक के नीचे या सरकार की पूरी जानकारी में हुआ. उन्होंने कहा कि इस बार सरकार ने आवश्यक राष्ट्रीय संसाधनों की चोरी की अनुमति दी है. निर्यात शुल्क का भुगतान नहीं करने से निजी फर्मों ने ड्यूटी शुल्क में लगभग 12,000 करोड़ रुपये की सरकार को चपत लगाई है.
उन्होंने आगे कहा कि विदेशी व्यापार विकास और विनियमन अधिनियम 1992 के तहत ये निजी फर्म दो लाख करोड़ रुपये के जुर्माने के लिए उत्तरदायी हैं. खेड़ा ने 10 सितंबर को कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा एक सरकारी आदेश भी दिखाया, जिसमें स्पष्ट रूप से निर्देश है कि लौह अयस्क छड़ों को निर्यात करने की अनुमति केवल केआईओसीएल को दी गई थी.
उन्होंने मांग करते हए कहा कि 2014 के बाद से भ्रष्टाचार उजागर करने के लिए एक जांच शुरू की जानी चाहिए कि इस्पात मंत्रालय के अधिकारियों ने कैसे ये चोरी होनी दी.
खेड़ा ने 2014 से बिना अनुमति के लौह अयस्क का निर्यात करने वाली निजी कंपनियों के नाम सार्वजनिक करने की भी मांग की. उन्होंने कहा कि क्या 2014 के बाद से किसी भी निजी संस्था को उनके अवैध सौदे के बारे में सरकार द्वारा पूछताछ की गई है? क्या कार्रवाई शुरू की गई है? सभी हितधारकों के परामर्श से किए गए लौह अयस्क छड़ों के लिए निर्यात शुल्क हटाने की नीति में क्या बदलाव किए गए?