नई दिल्ली : संसद की एक समिति ने डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विधेयक 2019 के तहत अपराध स्थल डीएनए प्रोफाइल का एक राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करने का प्रस्ताव देने पर चिंता व्यक्ति की है. यह विधेयक राष्ट्रीय डीएनए डेटा बैंक और क्षेत्रीय डीएनए डेटा बैंक स्थापित करने का प्रावधान करता है, जिसमें डीएनए प्रोफाइल रखी जाएंगी.
इस मसले पर सांसद बिनाॅय विश्वम ने कहा कि इस बिल में दलितों, आदिवासियों, धार्मिक और अल्पसंख्यकों जैसे कुछ हाशिए के समुदायों को निशाना बनाने की पूरी संभावना है. भाकपा सांसद ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन पर संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष को एक असहमतिपूर्ण नोट भी भेजा है. जिसमें कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने विधेयक पर अपनी चिंता व्यक्त की है.
उन्होंने कहा है कि मेरा इरादा बिल को कमजोर करना नहीं है, इसके विपरीत मैं बिल को मजबूत करना चाहता हूं.
संसदीय समिति ने बुधवार को संसद में विधेयक पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की और प्रस्तावित कानून के प्रत्येक महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार से 'कुछ निश्चित विचारों' पर बहुत सावधानी से ध्यान देने को कहा. यहां यह उल्लेख किया जा सकता है कि विधेयक को 2019 में संसद में पेश किए जाने के बाद स्थायी समिति के पास भेजा गया था.
जल्दबाजी में क्यों है सरकार
कानून में कुछ व्यक्तियों जैसे संदिग्धों, अपराधियों और पीड़ितों की पहचान स्थापित करने के लिए डीएनए तकनीक के इस्तेमाल का प्रावधान है. विधेयक में डीएनए नियामक बोर्ड की स्थापना का भी प्रावधान है, जो डीएनए डेटा बैंकों और डीएनए लैब की निगरानी करेगा.
विश्वम ने कहा कि मुझे लगता है कि वर्तमान रूप में जब बिल एक अधिनियम बन जाएगा तो यह उद्देश्य की पूर्ति नहीं करेगा. हालांकि सरकार विधेयक पारित करने की जल्दबाजी में है.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश की अध्यक्षता वाली विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन पर संसद की स्थायी समिति से संबंधित 32 सदस्यीय विभाग ने अपनी रिपोर्ट बुधवार को राज्यसभा के पटल पर रखी.
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सदस्यों ने जताई असहमति
समिति के दो सदस्य, तेलंगाना से लोकसभा सदस्य असदुद्दीन ओवैसी तथा केरल से राज्यसभा सदस्य बिनॉय विश्वम ने असहमति नोट दिया. पैनल ने डीएनए डेटा बैंक बनाने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अपराध स्थल डीएनए प्रोफाइल के राष्ट्रीय डेटा बैंक में सभी का डीएनए शामिल हो सकता है, क्योंकि अपराध से पहले और बाद में वारदात स्थल पर कई लोगों का डीएनए मिल सकता है, जिनका मामले से कुछ लेना-देना न हो.