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असम NRC : अंतिम सूची के प्रकाशन में जल्दबाजी न करे सरकार, सामाजिक कार्यकर्ता की अपील

असम सरकार अंतिम एनआरसी 31 अगस्त को प्रकाशित करने जा रही है. इस पर समाजिक कार्यकर्ता स्वामी ऐश्वार्यानदं ने कहा कि एनआरसी जारी करने में सरकार को जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. पढ़ें पूरी खबर....

स्वामी ऐश्वर्यानंद (फाइल फोटो)
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Published : Aug 29, 2019, 12:01 AM IST

Updated : Sep 28, 2019, 4:32 PM IST

नई दिल्ली: असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की अंतिम सूची 31 अगस्त को प्रकाशित होने वाली है. इस पर समाजिक कार्यकर्ता स्वामी ऐश्वर्यानंद ने पर सरकार से अपील की और कहा कि सरकार को अन्तिम एनआरसी जारी करने से पहले लोगों को समय देना चाहिए.

स्वामी ऐश्वर्यानंद ने कहा कि मजदूर लोग पहचान पत्र को बनवाना महत्वपूर्ण नहीं मानते है. इसलिए सरकार को लोगों को समय देना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को उनके पुराने कागजात देखने चाहिए, जनता की बात सुननी चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर एनआरसी जारी होती है तो भारत के कुछ मूल निवासी भी भारत से बाहर हो जाएंगे,

उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा कि सरकार अंतिम एनआरसी जारी करने में जल्दबाजी न करे, साथ ही उन्होंने कहा कि जो लोग सदियों से यहां रह रहे हैं, यदि उन्हें एनआरसी में विदेशी घोषित किया जाएगा, तो वे कहां जाएंगे.

स्वामी ऐश्वर्यानंद एनआरसी पर

बता दें कि स्वामी ऐश्वर्यानंद और उनकी संस्था 'ऐम फॉर सेवा' भारत के ग्रामीण क्षेत्र में आदिवासी लोगों के उत्थान के लिए काम करते है.

पढ़ेंः 31 अगस्त को एनआरसी की अंतिम सूची, पुलिस की पूरी तैयारी

गौरतलब है कि अंतिम एनआरसी में दर्ज होने की अंतिम तारीख 31 अगस्त है, और सरकार इसी दिन अंतिम एनआरसी भी जारी करेगी. सरकार की तरफ से पूरी कोशिश की जा रही है कि कोई मूल भारतीय एनआरसी में रजिस्टर होने से न छूटे, लेकिन इसको लेकर कई लोगों के मन में आशंकाएं भी हैं.

अभी हाल ही में असम के राज्यपाल ने कहा था कि एनआरसी को तैयार करते समय कुछ मानवीय गलतियां भी हो सकती है.

नई दिल्ली: असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की अंतिम सूची 31 अगस्त को प्रकाशित होने वाली है. इस पर समाजिक कार्यकर्ता स्वामी ऐश्वर्यानंद ने पर सरकार से अपील की और कहा कि सरकार को अन्तिम एनआरसी जारी करने से पहले लोगों को समय देना चाहिए.

स्वामी ऐश्वर्यानंद ने कहा कि मजदूर लोग पहचान पत्र को बनवाना महत्वपूर्ण नहीं मानते है. इसलिए सरकार को लोगों को समय देना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को उनके पुराने कागजात देखने चाहिए, जनता की बात सुननी चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर एनआरसी जारी होती है तो भारत के कुछ मूल निवासी भी भारत से बाहर हो जाएंगे,

उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा कि सरकार अंतिम एनआरसी जारी करने में जल्दबाजी न करे, साथ ही उन्होंने कहा कि जो लोग सदियों से यहां रह रहे हैं, यदि उन्हें एनआरसी में विदेशी घोषित किया जाएगा, तो वे कहां जाएंगे.

स्वामी ऐश्वर्यानंद एनआरसी पर

बता दें कि स्वामी ऐश्वर्यानंद और उनकी संस्था 'ऐम फॉर सेवा' भारत के ग्रामीण क्षेत्र में आदिवासी लोगों के उत्थान के लिए काम करते है.

पढ़ेंः 31 अगस्त को एनआरसी की अंतिम सूची, पुलिस की पूरी तैयारी

गौरतलब है कि अंतिम एनआरसी में दर्ज होने की अंतिम तारीख 31 अगस्त है, और सरकार इसी दिन अंतिम एनआरसी भी जारी करेगी. सरकार की तरफ से पूरी कोशिश की जा रही है कि कोई मूल भारतीय एनआरसी में रजिस्टर होने से न छूटे, लेकिन इसको लेकर कई लोगों के मन में आशंकाएं भी हैं.

अभी हाल ही में असम के राज्यपाल ने कहा था कि एनआरसी को तैयार करते समय कुछ मानवीय गलतियां भी हो सकती है.

Intro:New Delhi: Being aware of the forthcoming final publication of National Register of Citizen (NRC) in Assam, social activist Swami Aishvaryanand on Wednesday appealed to the Government to handle the issue with caution.


Body:"There could be some genuine Indian also, who might be left out from the final NRC. I appeal to the government to deal the issue very carefully so that no genuine Indians are left out from the NRC list," said Swami Aishvaryanand.

The final NRC will be published in Assam on August 31. Although, government has made fillproof arrangements so that no genuine Indians are left out "but there are other apprehensions too".

In fact, Assam Governor Jagdish Mukhi had recently said that there could be some "human mistakes" too while preparing the NRC.

"There are people who have been living in Assam for several decades. If they're declared as foreigners, where they will go," Swami Aishvaryanand said.

Swami Aishvaryanand and his organisation 'Aim For Seva' works for the upliftment of the tribal people in India's rural area.

Swami Aishvaryanand had recently visited the Bru-Reang refugee camps in Tripura.

"I have seen there situation. it's very payhetic. Government's contribution of 600 gm rice and Rs 5 per day is very minimal. That's why they keep moving to other parts of India for livelihood," said Swami Aishvaryanand.

He said that his organisation would appeal to the Supreme Court as well as Government of India to give a serious look into the fate of Reang refugees.


Conclusion:Government has taken steps to repatriate lakhs of Reang refugees who have taken shelter in Tripura for last several years to Mizoram.

"Along with Bharat Hitraksha Abhijyan members, I will start a 12 days travel and visit Governors of Tripura, Mizroam and urge them for their urgent intervention in this regard," said Swami Aishvaryanand.

end.
Last Updated : Sep 28, 2019, 4:32 PM IST
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