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ऐतिहासिक असम समझौता : HM को सौंपी जाएगी खंड 6 पर आधारित PCC की रिपोर्ट - न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बिप्लब सरमा

पब्लिक कंसल्टेटिव कमेटी की बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट गृह मंत्रालय को जल्द ही सौंपी जाएगी. यह रिपोर्ट ऐतिहासिक असम समझौते के खंड 6 पर आधारित है. इस बाबत न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सरमा ने ईटीवी भारत को साक्षात्कार दिया है. जानें इस दौरान रिपोर्ट को लेकर वह क्या बोले...

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न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सरमा की ईटीवी भारत से बातचीत
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Published : Jan 14, 2020, 12:00 AM IST

नई दिल्ली : ऐतिहासिक असम समझौते के खंड 6 पर पब्लिक कंसल्टेटिव कमेटी की बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट इस महीने के अंत तक गृह मंत्रालय को सौंप दी जाएगी.

गौरतलब है कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बिप्लब सरमा की अध्यक्षता वाली समिति रिपोर्ट के संकलन के अपने अंतिम चरण में है.

ईटीवी भारत को दिए एक विशेष साक्षात्कार में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सरमा ने कहा कि समिति के सदस्यों ने पूरे असम का दौरा किया है और अपने हितधारकों के साथ बातचीत की है.

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सरमा से ईटीवी भारत की बातचीत.

गृह मंत्रालय से मांगे सुझाव
सरमा ने कहा, 'हमने पूरे असम का दौरा किया और विभिन्न लोगों के साथ बातचीत की. पिछले छह महीनों के दौरान, हमने राजनीतिक दलों, नागरिकों, शिक्षाविदों और सभी हितधारकों के साथ चर्चा की और उनकी राय ली. हम गृह मंत्रालय से कुछ और सुझाव लेने आए हैं.'

उन्होंने बताया, 'हालांकि, मैं अभी मीडिया के साथ निष्कर्षों का खुलासा नहीं कर सकता, लेकिन हम रिपोर्ट के अंतिम चरण में हैं.'

महत्वपूर्व है रिपोर्ट
गौरतलब है कि इस समिति की रिपोर्ट नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर चल रहे विरोध की पृष्ठभूमि में बहुत अधिक महत्व रखती है. वास्तव में सीएए के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संगठन सरकार को सीएए लाने से पहले समिति की रिपोर्ट को लागू करने की मांग कर रहे हैं.

पढ़ें : CAA के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों से असम के पर्यटन को एक हजार करोड़ रुपये का नुकसान

उन्होंने बताया, 'हमने गृह मंत्री के साथ कुछ कानूनी बिंदुओं पर चर्चा की. हमें रिपोर्ट सौंपने से पहले अपने समिति के सदस्यों से कुछ और इनपुट लेने की जरूरत है.'

क्या कहता है खंड 6
असम समझौते के खंड 6 में असम के अविभाज्य लोगों के लिए संवैधानिक, विधायी और प्रशासनिक सुरक्षा उपायों के बारे में बात की गई है.

समिति का हुआ पुनर्गठन
आपको बता दें केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा पिछले साल जुलाई में 13 सदस्यीय समिति का पुनर्गठन किया गया था. पैनल पिछले साल जनवरी में सेटअप किया गया था. हालांकि, पैनल के अध्यक्ष सांसद बेज बरुआ (पूर्व केंद्रीय पर्यटन सचिव) ने पैनल का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया.

नई दिल्ली : ऐतिहासिक असम समझौते के खंड 6 पर पब्लिक कंसल्टेटिव कमेटी की बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट इस महीने के अंत तक गृह मंत्रालय को सौंप दी जाएगी.

गौरतलब है कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बिप्लब सरमा की अध्यक्षता वाली समिति रिपोर्ट के संकलन के अपने अंतिम चरण में है.

ईटीवी भारत को दिए एक विशेष साक्षात्कार में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सरमा ने कहा कि समिति के सदस्यों ने पूरे असम का दौरा किया है और अपने हितधारकों के साथ बातचीत की है.

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सरमा से ईटीवी भारत की बातचीत.

गृह मंत्रालय से मांगे सुझाव
सरमा ने कहा, 'हमने पूरे असम का दौरा किया और विभिन्न लोगों के साथ बातचीत की. पिछले छह महीनों के दौरान, हमने राजनीतिक दलों, नागरिकों, शिक्षाविदों और सभी हितधारकों के साथ चर्चा की और उनकी राय ली. हम गृह मंत्रालय से कुछ और सुझाव लेने आए हैं.'

उन्होंने बताया, 'हालांकि, मैं अभी मीडिया के साथ निष्कर्षों का खुलासा नहीं कर सकता, लेकिन हम रिपोर्ट के अंतिम चरण में हैं.'

महत्वपूर्व है रिपोर्ट
गौरतलब है कि इस समिति की रिपोर्ट नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर चल रहे विरोध की पृष्ठभूमि में बहुत अधिक महत्व रखती है. वास्तव में सीएए के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संगठन सरकार को सीएए लाने से पहले समिति की रिपोर्ट को लागू करने की मांग कर रहे हैं.

पढ़ें : CAA के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों से असम के पर्यटन को एक हजार करोड़ रुपये का नुकसान

उन्होंने बताया, 'हमने गृह मंत्री के साथ कुछ कानूनी बिंदुओं पर चर्चा की. हमें रिपोर्ट सौंपने से पहले अपने समिति के सदस्यों से कुछ और इनपुट लेने की जरूरत है.'

क्या कहता है खंड 6
असम समझौते के खंड 6 में असम के अविभाज्य लोगों के लिए संवैधानिक, विधायी और प्रशासनिक सुरक्षा उपायों के बारे में बात की गई है.

समिति का हुआ पुनर्गठन
आपको बता दें केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा पिछले साल जुलाई में 13 सदस्यीय समिति का पुनर्गठन किया गया था. पैनल पिछले साल जनवरी में सेटअप किया गया था. हालांकि, पैनल के अध्यक्ष सांसद बेज बरुआ (पूर्व केंद्रीय पर्यटन सचिव) ने पैनल का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया.

Intro:New Delhi: The much hyped report of the public consultative committee on Clause 6 of the historic Assam Accord will be submitted to the Home Ministry by the end of this month.

The committee headed by Justice (retd) Biplab Sarma is at the final stage of compilation of the report.


Body:In an exclusive interview to ETV Bharat, Justice (retd) Sarma said that the committee members have visited across Assam and talked with all stakeholders.

"We have visited across Assam and talked with different people. During the last six months, we had discussion with political parties, citizens, academicians and all stakeholders and took their opinion...we have come today to take some more suggestions from the Home Ministry," said Sarma.

Sarma and a few other members of the committee had a meeting with Home Minister Amit Shah at his residence in New Delhi on Monday and discussed on the findings of the report.

"Although, I can't disclose the findings with the media right now, but we are at the final stage of the report," Sarma said.

The report of this committee assumes much more significance against the backdrop of the ongoing protest over Citizenship Amendment Act (CAA). In fact, organisations spearheading the movement against CAA, have been demanding implementation of the committee report before the government bring the CAA.

"We had some legal points discussed with the Home Minister. We need to take some more inputs from our committee members before we submit out report," said Sarma.

The Clause 6 of the Assam Accord talks about constitutional, legislative and administrative safeguards to the indeginious people of Assam.

The 13 member committee was reconstituted by the Union Cabinet in July last year. The panel was earlier setup in January last year. However, chairman of the panel MP Bezbarua (former Union Tourism Secretary) refused to be part of the panel.

The committee was assigned to submit a report in six months on the measures to protect, preserve and promote the cultural, social, linguistic identity and heritage of the Assamese people.

"It was not necessary that people who can speak Assamese are indeginious people...we have sorted out the definition of indeginious people and pointed out who are indeginious in Assam," said Sarma.

The committee was assigned to examine the effectiveness of actions since 1985 (when Assam Accord was signed) to implement Clause 6 of the Assam Accord.

The committee was assigned to hold discussions with all stakeholders and assess the required quantum of reservation of seats in Assam Legislative Assembly and local bodies for Assamese people.

The committee was also asked to assess the requirement of measures to be taken to protect Assamese and other indeginious languages of Assam, quantum of reservation in employment under government of Assam.



Conclusion:"We are likely to submit the report by the end of this month," said Sarma.

When asked whether this report will remove apprehension amongst the people of Assam over Citizenship Amendment Act (CAA), Justice (retd) Sarma said that their task was to compile report on the measure for the protection of identity and culture of the people of Assam.

"CAA is totally different and we did not worked onto," added Sarma.

The committee has members like All Assam Students Union (AASU) leaders Samujjal Bhattacharya, Lurinjyoti Gogoi, Dipanka Kumar Nath, Assam advocate general among others.

Joint Secretary (Northeast) in the Home Ministry Satyendra Garg is the member secretary of the committee.

Interestingly, Home Minister Amit Shah had earlier said that once the committee submit its report, Government will implement it.

end.
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