नई दिल्ली: ट्विटर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) आज संसदीय समिति के सामने पेश नहीं हुए. सूत्रों के मुताबिक उन्हें आगामी 25 फरवरी को समिति के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया गया है. हालांकि, सूत्रों के मुताबिक CEO की बजाय ट्विटर इंडिया की पॉलिसी हेड महिमा कौल संसदीय समिति के समक्ष पेश हो सकती हैं.
बता दें कि इससे पहले समिति ने 11 फरवरी को पेश होने को कहा था. समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर हैं.
हालांकि, ट्विटर CRO ने समिति के समक्ष पेश होने से इनकार कर दिया था. उनका कहना था कि उन्हें पर्याप्त समय नहीं दिया गया, लिहाजा जवाब देने में समर्थ नहीं हैं.
गत शनिवार को केन्द्रीय वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि अंतिम फैसला लोकसभा के स्पीकर और राज्यसभा चेयरमैन को लेना है. वे इस मामले में उचित कार्रवाई करेंगे.
Piyush Goel on 'Twitter CEO&senior officials refusing to appear before Parliamentary Committee on IT:Chairman of RS&Speaker of LS will decide on what will be the action in such cases when somebody refuses to submit before parliamentary committee,govt doesn’t take decisions on it. pic.twitter.com/tYcn0rNVlK
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— ANI (@ANI) February 9, 2019
समिति ने एक फरवरी को आधिकारिक पत्र के माध्यम से ट्विटर CEO को सोशल मीडिया के उपयोग से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बुलाया था. ट्विटर पर खबरों के साथ राजनीतिक भेदभाव बरतने का आरोप है.
सात फरवरी को होनी थी बैठक
संसदीय समिति की बैठक पहले सात फरवरी को होनी थी, लेकिन ट्विटर के CEO और अन्य अधिकारियों को अधिक समय देने के लिए बैठक को 11 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दिया गया था.
सूत्रों ने बताया कि यात्रा के लिए 10 दिन का समय दिये जाने के बावजूद ट्विटर ने ‘कम समय में सुनवाई नोटिस देने’ को वजह बताते हुए समिति के समक्ष पेश होने से इनकार कर दिया.
क्या कहा पत्र में
सूचना-प्रौद्योगिकी से जुड़ी संसदीय समिति की ओर से ट्विटर को एक फरवरी को भेजे गए पत्र में स्पष्ट तौर पर कंपनी के प्रमुख को समिति के समक्ष पेश होने को कहा गया है. पत्र में साथ ही कहा गया है, वह अन्य प्रतिनिधियों के साथ आ सकते हैं. इसके बाद संसदीय समिति को सात फरवरी को ट्विटर के कानूनी, नीतिगत, विश्वास और सुरक्षा विभाग की वैश्विक प्रमुख विजया गड्डे की ओर से एक पत्र मिला.
कोई प्रभावी फैसला नहीं
उस पत्र में कहा गया था कि ट्विटर इंडिया के लिए काम करने वाला कोई भी व्यक्ति भारत में सामग्री और खाते से जुड़े हमारे नियमों के संबंध में कोई प्रभावी फैसला नहीं करता है.
निर्णय लेने का कोई अधिकारी नहीं
विजया गड्डे के पत्र में कहा गया है कि भारतीय संसदीय समिति के समक्ष ट्विटर के प्रतिनिधित्व के लिए किसी कनिष्ठ कर्मचारी को भेजना भारतीय नीति निर्माताओं को अच्छा नहीं लगा, खासकर ऐसे में जब उनके पास निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है. यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब देश में लोगों की डेटा सुरक्षा और सोशल मीडिया मंचों के जरिए चुनावों में हस्तक्षेप को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं.
राजनीतिक विचारों के आधार पर कार्रवाई नहीं
इससे पहले शुक्रवार को ट्विटर ने एक बयान में कहा कि कंपनी राजनीतिक विचारों के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं करती और न ही राजनीतिक विचारधारा के हिसाब से कोई कदम उठाती है. भारत को ट्विटर अपने सबसे बड़े बाजारों में मानती है.
सुरक्षा का मुद्दा
कंपनी का यह बयान ऐसे समय आया है कि जबकि सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय समिति ने ट्विटर के अधिकारियों को 11 फरवरी को उसके समक्ष पेश होने को कहा है. नागरिकों के सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अधिकारों की सुरक्षा के मुद्दे पर ट्विटर के अधिकरियों को बुलाया गया है.
ट्विटर का बयान
ट्विटर ने बयान में कहा, 'हाल के सप्ताहों में ट्विटर और राजनीतिक विचारधारा को लेकर काफी बहस हुई है. हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि ट्विटर ऐसा मंच है जहां विभिन्न क्षेत्रों की आवाजे देखी सुनी जा सकती हैं. हम मुक्ततउा, पारदर्शिता तथा किसी तरह का भेदभाव नहीं करने वाले सिद्धान्तों को लेकर प्रतिबद्ध हैं.'
ट्विटर कार्यालय के बाहर प्रदर्शन
दक्षिणपंथी संगठन ‘यूथ फॉर सोशल मीडिया डेमोक्रेसी’ ने हाल में ट्विटर के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया था और आरोप लगाया था कि उसका रुख दक्षिणपंथी विरोध का है और वह उनके खातों को बंद कर रही है.
किसी तरह का भेदभाव नहीं
शुक्रवार को जारी बयान में सोशल मीडिया प्लेटफार्म ने कहा कि कंपनी अपनी नीतियां बिना किसी पक्षपात के लागू करती है और वह किसी तरह का भेदभाव नहीं करने और जनहित को लेकर प्रतिबद्ध है.