हैदराबाद : कश्मीर के केरन सेक्टर में पांच अप्रैल को आंतकवादियों से मुकाबला करते हुए हमारे स्पेशल फोर्स के पांच पैरा कमांडो शहीद हो गए थे. इस घटना के बाद एक बार फिर प्रभावी तरीके से घुसपैठ से निपटने के लिए सवाल उठने शुरू हो गए हैं.
बता दें कि क्रेक कमाडोंज को हेलीकॉप्टर से उस क्षेत्र में उतारा गया, जहां आंतकवादियों के पैरों के निशान देखे गए थे. लेकिन गलती से हमारे जवान एक बर्फ से ढकी हुई दरार में गिर गए, जहां आतंकवादी छिपे हुए थे. इसके बाद सेना और आतंकवादियों के बीच गोलीबारी हुई.
नियंत्रण रेखा (एलओसी) की बाड़ घुसपैठियों को रोकने में उतनी कारगर साबित नहीं हो पाई है. घुसपैठियों को रोकने में हथियारबंद मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) से सेना को काफी मदद मिल सकती है.
कश्मीर संघर्ष पर देश के सबसे अनुभवी सैन्य कमांडरों में से एक लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा (सेवानिवृत्त) ने ईटीवी भारत को बताया कि अब तक हमारे पास सशस्त्र यूएवी नहीं है. जबकि अमेरिकियों ने अफगानिस्तान में सशस्त्र यूएवी का उपयोग बहुत सटीक लक्ष्यीकरण के साथ किया, जो बहुत प्रभावी रहा है.
डीएस हुड्डा ने कहा कि इराक और अफगानिस्तान में विनाशकारी प्रभाव के लिए इस्तेमाल किए गए हेलीकॉप्टर भी एलओसी पर प्रभावी हो सकते हैं. लेकिन दुखद वास्तविकता यह है कि हमारे पास फिलहाल ऐसे दोनों हथियार मौजूद नहीं है.
उन्होंने कहा कि घुसपैठ को रोकने के लिए भारत की अब पहली प्राथमिकता अत्याधुनिक सशस्त्र यूएवी और अटैक हेलीकॉप्टर को खरीदने की होनी चाहिए.
हालांकि, आने वाले दिनों में इजराइल और संयुक्त राज्य अमेरिका भारत को सशस्त्र यूएवी की आपूर्ति कर सकते हैं. वहीं भारत ने छह एएच-64ई अपाचे हेलीकॉप्टर का ऑर्डर पहले से ही दे दिया है, जो साल 2023 तक भारत को मिल जाएगा. अपाचे में यूएवी को भी नियंत्रित करने की क्षमता है, जो काफी मददगार साबित होगी.
गौरतलब है कि आमतौर पर आतंकवादी रात में नियंत्रण रेखा को पार करते हैं. इनकी मदद पाक सेना कवर फायर देकर करती है. घुसपैठ की कोशिशें अक्सर मार्च-अप्रैल में सर्दियों की बर्फ पिघलने के बाद शुरू होती है.
इस समय एलओसी पर घुसपैठ रोकना कई वजहों के कारण काफी महत्वपूर्ण है. अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू और कश्मीर में यह पहली गर्मी होगी.
मुस्लिम धर्म के मानने वालों के लिए रमजान का महीना 23 अप्रैल से शुरू होने वाला है, ऐसे में कई कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवादी आत्मघाती मिशनों को अंजाम देने के लिए उत्सुक होंगे.
इस्लामिक स्टेट और अल कायदा जैसे कई इस्लामिक आतंकवादी संगठनों ने पहले से ही कश्मीर में भारत के मुसलमानों के कथित उत्पीड़न का बदला लेने के लिए जिहाद का आह्वान किया है.
बता दें कि 90 के दशक में 740 किमी लंबी एलओसी के 550 किमी के क्षेत्र में आठ से 12 फीट की ऊंची बाड़ बनाई गई थी. सरकार ने इस क्षेत्र में करीब 40 घुसपैठ के स्थलों की पहचान की है. इसमें से कई स्थलों में नदियों आदी के कारण बाड़े लगाना लगभग नामुमकिन है.