ETV Bharat / bharat

चमोली:  जानें, बदरीनाथ धाम में होने वाली आरती पर क्यों उठा है विवाद - हिंदी न्यूज

पिछले 100 सालों से गाई जाने वाली आरती पर फिर एक बार से विवाद शुरू हो गया है. कुछ लोगों का मानना है कि आरती को किसी मुस्लिम व्यक्ति ने लिखा है. जबकि कई लोग मानते हैं कि इसकी रचना हिंदू शख्स ने की है. इसे लेकर दावे-प्रतिदावे किए जा रहे हैं. इस बीच उत्तराखंड सरकार ने भी इस पर स्टैंड लिया है. इससे दोनों पक्षों के बीच तनाव जैसी स्थिति बन गई है.

बदरीनाथ धाम.
author img

By

Published : Jun 17, 2019, 4:57 PM IST

Updated : Jun 17, 2019, 7:37 PM IST

चमोली: बदरीनाथ धाम में होने वाली आरती पर फिर से विवाद हो गया है. इसकी वजह है आरती को किसने लिखा. राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि इसे धन सिंह बर्तवाल नाम के एक शख्स ने लिखा है. बतर्वाल के परपोते ने दावा किया है कि उन्होंने संबंधित पांडुलिपि प्रशासन को सौंपी है. इसके ठीक उलट आम श्रद्धालुओं में मान्यता है कि इसे मुस्लिम समुदाय के एक व्यक्ति ने लिखा है. पिछले सौ सालों से उनके द्वारा लिखी गई आरती ही गाई जा रही है.

इस मान्यता के मुताबिक नंदप्रयाग के एक पोस्टमास्टर फकरुद्दीन सिद्दिकी ऊर्फ बदरुद्दीन ने भगवान बदरीविशाल की आरती लिखी थी. वह भगवान बदरीविशाल के भक्त थे. उन्हें हारमोनियम वादन का भी अच्छा ज्ञान था. 1860 के दशक में उन्होंने इसे लिखा था.

इनके पक्ष में दलील देने वालों का कहना है कि साल 1889 में छपी एक किताब में भी यह आरती लिखी गई है. जिसमें बदरीनाथ आरती का संरक्षक बदरुदीन के रिश्तेदारों को बताया गया है. इनके अनुसार यह किताब अल्मोड़ा के एक संग्रहालय में आज भी मौजूद है.

बदरीनाथ का दृष्य.

इस दावे से ठीक उलट महेन्द्र सिंह बर्तवाल का कहना है कि आरती उनके पूर्वजों ने लिखी है. महेन्द्र सिंह धन सिंह बर्तवाल के परपोते हैं.

महेन्द्र सिंह का कहना है कि वह संबंधित पांडुलिपि लेकर प्रशासन के पास गए. उनके अनुसार प्रशासन ने इस पांडुलिपि की कार्बन डेटिंग करवाई है. इसमें इसे लिखने का समय 1881 बताया गया है. कार्बन डेटिंग करने वाले उत्तराखंड स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के निदेशक एमपीएस बिष्ट का कहना है कि पांडुलिपियों के टेस्ट के नतीजे बिल्कुल सही हैं.

बर्तवाल के परिवार वालों का ये भी कहना है कि बदरुद्दीन के परिवार के पास कोई दस्तावेज नहीं हैं. इसके बाद ही राज्य सरकार ने अपना रूख जाहिर किया है.

इस पूरे मामले पर बदरीकेदार मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने कहा है कि बदरीविशाल की आरती धन सिंह बर्तवाल ने ही लिखी है.

अजाजुद्दीन सिद्दीकी के पोते का बयान.

बदरूद्दीन के पक्ष में क्या हैं तर्क

कई विशेषज्ञों ने कार्बन डेटिंग पर सवाल उठाए हैं. आईआईटी रुड़की के एक एसोसिएट प्रोफेसर एएस मौर्या का कहना है कि कार्बन डेटिंग से सटीक वर्ष का पता नहीं लगाया जा सकता. उनका कहना है कि टेस्ट के नतीजे सटीक साल से आगे पीछे भी हो सकते हैं.

बदरीनाथ की आरती पर उठे विवाद के बाद अब बदरुद्दीन के पोते ने सरकार से जांच की मांग उठाई है. अयाजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा उनसे आरती को लेकर अब तक किसी ने भी कोई दस्तावेज नही मांगे हैं. आरती विवाद मामले में बदरुद्दीन के पोते अयाजुद्दीन सिद्दकी ने ETV Bharat से बातचीत की.

अजाजुद्दीन सिद्दीकी ने सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार के प्रतिनिधियों या मामले की जांच कर रहे लोगों द्वारा न तो उनसे कोई संपर्क किया गया और न ही उनसे आरती की रचना को लेकर कोई दस्तावेज मांगे गए. ऐसे में सरकार के प्रतिनिधियों द्वारा कहा जा रहा कि उनके द्वारा दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए, यह पूरी तरह से झूठ है.

आपको बता दें कि अभी भी नंदप्रयाग में आयोजित होने वाली रामलीला में हिन्दू-मुस्लिम मिलकर अभिनय करते है. जो अपने आप में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है.

चमोली: बदरीनाथ धाम में होने वाली आरती पर फिर से विवाद हो गया है. इसकी वजह है आरती को किसने लिखा. राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि इसे धन सिंह बर्तवाल नाम के एक शख्स ने लिखा है. बतर्वाल के परपोते ने दावा किया है कि उन्होंने संबंधित पांडुलिपि प्रशासन को सौंपी है. इसके ठीक उलट आम श्रद्धालुओं में मान्यता है कि इसे मुस्लिम समुदाय के एक व्यक्ति ने लिखा है. पिछले सौ सालों से उनके द्वारा लिखी गई आरती ही गाई जा रही है.

इस मान्यता के मुताबिक नंदप्रयाग के एक पोस्टमास्टर फकरुद्दीन सिद्दिकी ऊर्फ बदरुद्दीन ने भगवान बदरीविशाल की आरती लिखी थी. वह भगवान बदरीविशाल के भक्त थे. उन्हें हारमोनियम वादन का भी अच्छा ज्ञान था. 1860 के दशक में उन्होंने इसे लिखा था.

इनके पक्ष में दलील देने वालों का कहना है कि साल 1889 में छपी एक किताब में भी यह आरती लिखी गई है. जिसमें बदरीनाथ आरती का संरक्षक बदरुदीन के रिश्तेदारों को बताया गया है. इनके अनुसार यह किताब अल्मोड़ा के एक संग्रहालय में आज भी मौजूद है.

बदरीनाथ का दृष्य.

इस दावे से ठीक उलट महेन्द्र सिंह बर्तवाल का कहना है कि आरती उनके पूर्वजों ने लिखी है. महेन्द्र सिंह धन सिंह बर्तवाल के परपोते हैं.

महेन्द्र सिंह का कहना है कि वह संबंधित पांडुलिपि लेकर प्रशासन के पास गए. उनके अनुसार प्रशासन ने इस पांडुलिपि की कार्बन डेटिंग करवाई है. इसमें इसे लिखने का समय 1881 बताया गया है. कार्बन डेटिंग करने वाले उत्तराखंड स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के निदेशक एमपीएस बिष्ट का कहना है कि पांडुलिपियों के टेस्ट के नतीजे बिल्कुल सही हैं.

बर्तवाल के परिवार वालों का ये भी कहना है कि बदरुद्दीन के परिवार के पास कोई दस्तावेज नहीं हैं. इसके बाद ही राज्य सरकार ने अपना रूख जाहिर किया है.

इस पूरे मामले पर बदरीकेदार मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने कहा है कि बदरीविशाल की आरती धन सिंह बर्तवाल ने ही लिखी है.

अजाजुद्दीन सिद्दीकी के पोते का बयान.

बदरूद्दीन के पक्ष में क्या हैं तर्क

कई विशेषज्ञों ने कार्बन डेटिंग पर सवाल उठाए हैं. आईआईटी रुड़की के एक एसोसिएट प्रोफेसर एएस मौर्या का कहना है कि कार्बन डेटिंग से सटीक वर्ष का पता नहीं लगाया जा सकता. उनका कहना है कि टेस्ट के नतीजे सटीक साल से आगे पीछे भी हो सकते हैं.

बदरीनाथ की आरती पर उठे विवाद के बाद अब बदरुद्दीन के पोते ने सरकार से जांच की मांग उठाई है. अयाजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा उनसे आरती को लेकर अब तक किसी ने भी कोई दस्तावेज नही मांगे हैं. आरती विवाद मामले में बदरुद्दीन के पोते अयाजुद्दीन सिद्दकी ने ETV Bharat से बातचीत की.

अजाजुद्दीन सिद्दीकी ने सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार के प्रतिनिधियों या मामले की जांच कर रहे लोगों द्वारा न तो उनसे कोई संपर्क किया गया और न ही उनसे आरती की रचना को लेकर कोई दस्तावेज मांगे गए. ऐसे में सरकार के प्रतिनिधियों द्वारा कहा जा रहा कि उनके द्वारा दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए, यह पूरी तरह से झूठ है.

आपको बता दें कि अभी भी नंदप्रयाग में आयोजित होने वाली रामलीला में हिन्दू-मुस्लिम मिलकर अभिनय करते है. जो अपने आप में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है.

Intro:बदरीनाथ धाम में पिछले 100 सालों से गायी जाने वाली आरती पर फिर एक बार से बबाल शुरू हो गया है ।और बबाल की बजह है कि आखिर बदरीनाथ धाम में गायी जाने वाली आरती पवन मंद सुगंध शीतल लिखी किसने है ।पुराने समय से यही कहा जाता रहा है कि बदरीनाथ में गायी जाने वाली आरती चमोली जनपद के ही नंदप्रयाग नगर निवासी किसी मुस्लिम व्यक्ति द्वारा लिखी गई है।लेकिन पूर्व में भाजपा सरकार ने आरती को लेकर नये रचियता के नाम की घोषणा कर गहमागहमी की स्थति उतपन्न कर दी है।सरकार का कहना है कि भगवान बद्रीविशाल की आरती रुद्रप्रयाग जनपद में स्थित स्योसी निवासी धन सिंह बर्तवाल बे लिखी है ,जिसमे कि आरती से सम्बंधित प्रमाण के रूप में पांडुलिपियां भी प्राप्त हुई है।

नॉट-विस्वल बाईट मेल से भेजी है ।


Body:गौर करे कि सालो से यह मान्यता चली आ रही है कि चमोली में स्थित नंदप्रयाग के एक पोस्टमास्टर फकरुद्दीन सिद्दिकी उर्फ बदरुदीन ने भगवान बद्रीविशाल की आरती लिखी थी।बदरुदीन भगवान बद्रीविशाल के भक्त थे ,और संगीत प्रेमी थे,साथ ही हारमोनियम वादन का भी उनको अच्छा अनुभव था।और कहा तो यंहा तक जाता है कि 1860 के दशक में भगवान बदरीनाथ की आरती की रचना बदरुदीन ने बद्रीनाथ धाम में ही की थी।

बीओ 2-बदरीनाथ आरती को लेकर धन सिंह बर्तवाल के परपोते महेंद्र सिंह बर्तवाल आरती से जुड़ी हुई पांडुलिपियां लेकर प्रशासन के पास लेकर गए थे ।उनका दावा था कि उनके पूर्वजों के द्वारा बदरीनाथ में गायी जाने वाली आरती लिखी है।जिसके परिमाणस्वरूप उनके पास पुरानी पांडुलिपि मौजूद है।जिसके बाद प्रशासन के द्वारा पांडुलिपियों की कार्बन डेटिंग की गई ,जिसमें कि पांडुलिपिया को लिखने का समय वर्ष 1881 ही निकला।साथ ही बदरुदीन के वंशज आरती को लेकर कोई भी सटीक प्रमाण नही दे पाये।जिसके बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के द्वारा धन सिंह बर्तवाल के परिजनों के दावों को सच मानते हुए बदरीनाथ की आरती का धन सिंह बर्तवाल को रचयिता घोषित किया गया।


Conclusion:विशेषज्ञों ने कार्बन डेटिंग को ही प्रमाण मानने पर सवाल उठाया है।आईआईटी रुड़की एक असोसिएट प्रोफेसर ए.एस मौर्या का कहना है कि कार्बन डेटिंग से सटीक वर्ष का पता नही लग पाता।उनका कहना है कि टेस्ट के नतीजे सटीक साल से आगे पीछे भी हो सकते है।जबकि कार्बन डेटिंग करने वाले उत्तराखण्ड स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के निदेशक एमपीएस बिष्ट का कहना है कि पांडुलिपियो के टेस्ट के नतीजे बिल्कुल सही है।
अब 1889 में छपी एक किताब में यह आरती लिखी गई है,जिसमे कि आरती का संरक्षक बदरुदीन के रिस्तेदारो को बताया गया है।यह किताब अल्मोड़ा के किसी संग्रहालय में आज भी मौजूद है।

पूरे मामले पर बदरीकेदार मंदिर समिति के अध्य्क्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने कहा है कि बद्रीविशाल की आरती धन सिंह बर्तवाल ने ही लिखी है ,जो कि कार्बन डेटिंग से सपष्ट हो चुका है।

बाईट-मोहन प्रसाद थपलियाल-अध्य्क्ष बदरीकेदार मंदिर समिति।


फाइनल बीओ-बदरीनाथ की आरती के रचयिता को लेकर अभी स्थित स्पष्ठ न हो पाई हो ,लेकिन नंदप्रयाग नगर पुराने समय से ही हिन्दू मुश्लिम भाईचारे और एकता की मिशाल कायम करता रहा है ।अभी भी नंदप्रयाग में आयोजित होने वाली रामलीला में हिन्दू मुश्लिम मिलकर अभिनय करते है ।जो कि सौहार्द की मिशाल है ।

Last Updated : Jun 17, 2019, 7:37 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.