चमोली: बदरीनाथ धाम में होने वाली आरती पर फिर से विवाद हो गया है. इसकी वजह है आरती को किसने लिखा. राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि इसे धन सिंह बर्तवाल नाम के एक शख्स ने लिखा है. बतर्वाल के परपोते ने दावा किया है कि उन्होंने संबंधित पांडुलिपि प्रशासन को सौंपी है. इसके ठीक उलट आम श्रद्धालुओं में मान्यता है कि इसे मुस्लिम समुदाय के एक व्यक्ति ने लिखा है. पिछले सौ सालों से उनके द्वारा लिखी गई आरती ही गाई जा रही है.
इस मान्यता के मुताबिक नंदप्रयाग के एक पोस्टमास्टर फकरुद्दीन सिद्दिकी ऊर्फ बदरुद्दीन ने भगवान बदरीविशाल की आरती लिखी थी. वह भगवान बदरीविशाल के भक्त थे. उन्हें हारमोनियम वादन का भी अच्छा ज्ञान था. 1860 के दशक में उन्होंने इसे लिखा था.
इनके पक्ष में दलील देने वालों का कहना है कि साल 1889 में छपी एक किताब में भी यह आरती लिखी गई है. जिसमें बदरीनाथ आरती का संरक्षक बदरुदीन के रिश्तेदारों को बताया गया है. इनके अनुसार यह किताब अल्मोड़ा के एक संग्रहालय में आज भी मौजूद है.
इस दावे से ठीक उलट महेन्द्र सिंह बर्तवाल का कहना है कि आरती उनके पूर्वजों ने लिखी है. महेन्द्र सिंह धन सिंह बर्तवाल के परपोते हैं.
महेन्द्र सिंह का कहना है कि वह संबंधित पांडुलिपि लेकर प्रशासन के पास गए. उनके अनुसार प्रशासन ने इस पांडुलिपि की कार्बन डेटिंग करवाई है. इसमें इसे लिखने का समय 1881 बताया गया है. कार्बन डेटिंग करने वाले उत्तराखंड स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के निदेशक एमपीएस बिष्ट का कहना है कि पांडुलिपियों के टेस्ट के नतीजे बिल्कुल सही हैं.
बर्तवाल के परिवार वालों का ये भी कहना है कि बदरुद्दीन के परिवार के पास कोई दस्तावेज नहीं हैं. इसके बाद ही राज्य सरकार ने अपना रूख जाहिर किया है.
इस पूरे मामले पर बदरीकेदार मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने कहा है कि बदरीविशाल की आरती धन सिंह बर्तवाल ने ही लिखी है.
बदरूद्दीन के पक्ष में क्या हैं तर्क
कई विशेषज्ञों ने कार्बन डेटिंग पर सवाल उठाए हैं. आईआईटी रुड़की के एक एसोसिएट प्रोफेसर एएस मौर्या का कहना है कि कार्बन डेटिंग से सटीक वर्ष का पता नहीं लगाया जा सकता. उनका कहना है कि टेस्ट के नतीजे सटीक साल से आगे पीछे भी हो सकते हैं.
बदरीनाथ की आरती पर उठे विवाद के बाद अब बदरुद्दीन के पोते ने सरकार से जांच की मांग उठाई है. अयाजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा उनसे आरती को लेकर अब तक किसी ने भी कोई दस्तावेज नही मांगे हैं. आरती विवाद मामले में बदरुद्दीन के पोते अयाजुद्दीन सिद्दकी ने ETV Bharat से बातचीत की.
अजाजुद्दीन सिद्दीकी ने सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार के प्रतिनिधियों या मामले की जांच कर रहे लोगों द्वारा न तो उनसे कोई संपर्क किया गया और न ही उनसे आरती की रचना को लेकर कोई दस्तावेज मांगे गए. ऐसे में सरकार के प्रतिनिधियों द्वारा कहा जा रहा कि उनके द्वारा दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए, यह पूरी तरह से झूठ है.
आपको बता दें कि अभी भी नंदप्रयाग में आयोजित होने वाली रामलीला में हिन्दू-मुस्लिम मिलकर अभिनय करते है. जो अपने आप में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है.