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जानें, क्या भारत-अमेरिकी रिश्तों के कारण चीन ने बदले अपने तेवर

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Published : Jun 17, 2020, 9:47 PM IST

भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर तनाव बढ़ गया है. गलवान घाटी पर सोमवार शाम को भारतीय सैनिक और चीनी सैनिक के बीच हिंसक झड़प हुई. कुछ दिनों से चीन के तेवर में अचानक बदलाव आया है. कहीं इसका कारण भारत-अमेरिका के बीच बढ़ रहे संबंध तो नहीं है. पढ़ें वरिष्ठ पत्रकार संजीब बरुआ की विशेष रिपोर्ट...

भारत-अमेरिका
भारत-अमेरिका

नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव बढ़ गया है. गलवान घाटी पर सोमवार शाम को अस्थाई ढांचे को लेकर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई. दोनों देशों के बीच यह झड़प घंटों तक चली. इस दौरान भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए. वहीं चीन के 35 सैनिकों के हताहत होने की खबर है. दो परमाणु संपन्न देशों के बीच यह सीमा विवाद अब वैश्विक सुर्खी का रूप ले चुका है.

कयास लगाए जा रहे हैं कि चीन के द्वारा गलवान घाटी में दिखाई गई अचनाक आक्रमता भारत और अमेरिका के बीच बढ़ रहे संबंधों का नतीजा तो नहीं है. 1962 के युद्ध समय दोनों विकासशील देश थे और विश्व में अपनी जगह स्थापित करते का प्रयास कर रहे थे, परन्तु इस समय स्थितियां अलग-अलग हैं. दोनों परमाणु संपन्न देश हैं.

इस समय चीनी तेवर में बदलाव का नया चेहरा सिर्फ भारतीय सीमा पर नहीं है. वरन् इसके उदाहरण वियतनाम, ऑस्ट्रेलिया, ताइवान, हांगकांग भी हैं.

चीन की यह सोची समझी रणनीति है. चीन वन-बेल्ट-वन-रोड (OBOR) और चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के साथ मिलकर एक रास्ता तैयार करना की कोशिश कर रहा है, जिससे वह बंगाल की खाड़ी तक पहुंच सके, भारतीय और प्रशांत महासागरों पर रणनीतिक नियंत्रण और प्रभुत्व हासिल कर सके. यह चीन का एक सपना है. इस पर चीन लगातार काम कर रहा है.

भारत और अमेरिका के किसी भी सहयोगी के खिलाफ आक्रामकता एक संकेत है कि चीन एक निश्चित सीमा से परे बर्दाश्त नहीं करेगा और उस सीमा को चीन द्वारा निर्धारित किया जाएगा.

भारत ने पिछले वर्ष पांच अगस्त को जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधान खत्म कर दिए थे और पाक अधिकृत काश्मीर (पीओके) और अक्साई चीन पर दावे के कारण चीन को समस्या का सामना करना पड़ रहा है. चीन इसलिए भी तेवर दिखा रहा है क्यों कि वह चाहता है कि भारत गिलगिट-बाल्टिस्तान मुद्दे को बढ़ावा न दे और साथ ही चीन, भारत की अमेरिका पर निर्भरता भी देखना चाहता है.

यह भी पढ़ें- दुश्मन चीन की हरकत पर पैनी नजर, सेना ने बढ़ाई मूवमेंट, देखें वीडियो

हाल ही में दोनों देशों के बीच कमांडर स्तर पर बातचीत हुई थी. इस दौरान दोनों देशों ने सीमा विवाद को शांति से निपटाने का फैसला लिया था. इस वजह से भारतीय सैनिकों को यह उम्मीद नहीं थी कि चीनी सैनिक उन पर हमला कर सकते हैं, जबकि चीन पहले से यह हमला करने के लिए तैयार था.

सोमवार को गलवान में हुई झड़प में कितने सैनिकों की मौत हुई, अब तक इसकी आखिरी सूची नहीं आई है, लेकिन इसमें वृद्धि होने की संभावना है. हालांकि भारतीय सेना हताहतों की संख्या, घायल, कार्रवाई में लापता होने या चीनी हिरासत में रहने की अफवाहों को नकार रही है. यह भी खबर है कि कई चीनी सैनिक भी हताहत हुए हैं.

पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग झील पर 4 से 5 मई को, उत्तरी सिक्किम में 10 मई को और फिर 15 जून को गलवान घाटी में हुई झड़प की घटनाओं में जो आश्चर्यजनक बात है कि वह चीनी सैनिकों के तेवर अचानक बदले हुए हैं. चीनी पक्ष ने एकतरफ़ा तरीके से मौजूदा स्थिति को बदलने की कोशिश की, इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है.

गलवान हिंसा के साथ चीन ने वस्तुतः कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता और भारत के साथ चल रही कूटनीतिक वार्ता की प्रासंगिकता को नकार दिया है.

यह भी पढ़ें- भारत-चीन तनाव : तस्वीर ने खोली चीन की पोल, प्रायोजित थी हिंसा

चीन शीर्ष स्तरों पर सीमा मुद्दे का समाधान चाहता है. इतना ही नहीं चीन देखना चाहता है कि भारत के बचाव में अमेरिका कितना आएगा. इसके बाद पीएम मोदी को अमेरिका के साथ-साथ भारत के संबंध पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित करेगा. साथ ही भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के बीच क्वाड ग्रुपिंग को भी बंद करेगा.

नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव बढ़ गया है. गलवान घाटी पर सोमवार शाम को अस्थाई ढांचे को लेकर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई. दोनों देशों के बीच यह झड़प घंटों तक चली. इस दौरान भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए. वहीं चीन के 35 सैनिकों के हताहत होने की खबर है. दो परमाणु संपन्न देशों के बीच यह सीमा विवाद अब वैश्विक सुर्खी का रूप ले चुका है.

कयास लगाए जा रहे हैं कि चीन के द्वारा गलवान घाटी में दिखाई गई अचनाक आक्रमता भारत और अमेरिका के बीच बढ़ रहे संबंधों का नतीजा तो नहीं है. 1962 के युद्ध समय दोनों विकासशील देश थे और विश्व में अपनी जगह स्थापित करते का प्रयास कर रहे थे, परन्तु इस समय स्थितियां अलग-अलग हैं. दोनों परमाणु संपन्न देश हैं.

इस समय चीनी तेवर में बदलाव का नया चेहरा सिर्फ भारतीय सीमा पर नहीं है. वरन् इसके उदाहरण वियतनाम, ऑस्ट्रेलिया, ताइवान, हांगकांग भी हैं.

चीन की यह सोची समझी रणनीति है. चीन वन-बेल्ट-वन-रोड (OBOR) और चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के साथ मिलकर एक रास्ता तैयार करना की कोशिश कर रहा है, जिससे वह बंगाल की खाड़ी तक पहुंच सके, भारतीय और प्रशांत महासागरों पर रणनीतिक नियंत्रण और प्रभुत्व हासिल कर सके. यह चीन का एक सपना है. इस पर चीन लगातार काम कर रहा है.

भारत और अमेरिका के किसी भी सहयोगी के खिलाफ आक्रामकता एक संकेत है कि चीन एक निश्चित सीमा से परे बर्दाश्त नहीं करेगा और उस सीमा को चीन द्वारा निर्धारित किया जाएगा.

भारत ने पिछले वर्ष पांच अगस्त को जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधान खत्म कर दिए थे और पाक अधिकृत काश्मीर (पीओके) और अक्साई चीन पर दावे के कारण चीन को समस्या का सामना करना पड़ रहा है. चीन इसलिए भी तेवर दिखा रहा है क्यों कि वह चाहता है कि भारत गिलगिट-बाल्टिस्तान मुद्दे को बढ़ावा न दे और साथ ही चीन, भारत की अमेरिका पर निर्भरता भी देखना चाहता है.

यह भी पढ़ें- दुश्मन चीन की हरकत पर पैनी नजर, सेना ने बढ़ाई मूवमेंट, देखें वीडियो

हाल ही में दोनों देशों के बीच कमांडर स्तर पर बातचीत हुई थी. इस दौरान दोनों देशों ने सीमा विवाद को शांति से निपटाने का फैसला लिया था. इस वजह से भारतीय सैनिकों को यह उम्मीद नहीं थी कि चीनी सैनिक उन पर हमला कर सकते हैं, जबकि चीन पहले से यह हमला करने के लिए तैयार था.

सोमवार को गलवान में हुई झड़प में कितने सैनिकों की मौत हुई, अब तक इसकी आखिरी सूची नहीं आई है, लेकिन इसमें वृद्धि होने की संभावना है. हालांकि भारतीय सेना हताहतों की संख्या, घायल, कार्रवाई में लापता होने या चीनी हिरासत में रहने की अफवाहों को नकार रही है. यह भी खबर है कि कई चीनी सैनिक भी हताहत हुए हैं.

पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग झील पर 4 से 5 मई को, उत्तरी सिक्किम में 10 मई को और फिर 15 जून को गलवान घाटी में हुई झड़प की घटनाओं में जो आश्चर्यजनक बात है कि वह चीनी सैनिकों के तेवर अचानक बदले हुए हैं. चीनी पक्ष ने एकतरफ़ा तरीके से मौजूदा स्थिति को बदलने की कोशिश की, इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है.

गलवान हिंसा के साथ चीन ने वस्तुतः कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता और भारत के साथ चल रही कूटनीतिक वार्ता की प्रासंगिकता को नकार दिया है.

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चीन शीर्ष स्तरों पर सीमा मुद्दे का समाधान चाहता है. इतना ही नहीं चीन देखना चाहता है कि भारत के बचाव में अमेरिका कितना आएगा. इसके बाद पीएम मोदी को अमेरिका के साथ-साथ भारत के संबंध पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित करेगा. साथ ही भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के बीच क्वाड ग्रुपिंग को भी बंद करेगा.

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