हैदराबाद : 'सलामी स्लाइसिंग रणनीति' चीन द्वारा जमीन हड़पने की योजना है. इसके तहत लक्षित देशों के विकल्पों को सीमित करता है. दुश्मन देश के जवाबी योजनाओं को भ्रमित किया जा सके, ताकि आनुपातिक या प्रभावी काउंटर तैयार करना मुश्किल हो जाए.
इसके रणनीति के तहत आधुनिक चीन पड़ोसी देश में अस्थिरता के सारे तरीके अपनाता है. इसकी बानगी यह है कि चीन आश्चर्यचकित करता है और अपने व्यापक सैन्य जोखिमों को कम करना सुनिश्चित करता है.
सैन्य भाषा में 'सलामी स्लाइसिंग' शब्द को एक रणनीति के रूप में वर्णित किया जाता है. इसके तहत नए क्षेत्रों को प्राप्त करने के लिए विभाजित करना और जीतना शामिल है.
चीन की सलामी स्लाइसिंग रणनीति
चीन एकमात्र ऐसा देश है जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अपने पड़ोसियों की कीमत पर अपने क्षेत्राधिकार का विस्तार कर रहा है. यह विस्तार क्षेत्रीय और समुद्री दोनों क्षेत्रों में हुआ है. तिब्बत का अधिग्रहण, अक्साई चिन पर कब्जा और पेरासेल द्वीपों को अपने में जोड़ना, चीनी की विस्तारवादी नीति के कुछ शानदार उदाहरण हैं.
चीन अपने पड़ोस में एक क्षेत्र का अधिग्रहण करने में एक विशेष खाके का अनुसरण करता है. चीन पहले एक क्षेत्र पर दावा करता है lतथा सभी प्लेटफार्मों पर और सभी संभावित अवसरों पर अपना दावा दोहराता रहता है. यह अपने पक्ष के दावे को इस हद तक प्रचारित करता है कि विवादास्पद क्षेत्र को दूसरे देशों द्वारा विवाद के रूप में मान्यता दे दी जाती है. विवाद को हल करने में, चीन अपने सैन्य और राजनयिक शक्तियों का उपयोग करता है. इसका एक हिस्सा हासिल करता है. चीन द्वारा क्षेत्रीय विस्तार की यह रणनीति सलामी स्लाइसिंग के रूप में संदर्भित की जाती है, एक शब्द जो वाक्यांश, सलामी रणनीति का संशोधन है.
यह 1940 के दौरान हंगरी के कम्युनिस्ट राजनेता माटिया राकोसी द्वारा गैर-कम्युनिस्ट पार्टियों को 'सलामी के स्लाइस की तरह काटकर' रणनीति का वर्णन करने के लिए बनाया गया था. सलामी स्लाइसिंग को सैन्य टुकड़ी में 'गोभी रणनीति' के रूप में भी जाना जाता है.
चीन ने कैसे इसकी शुरुआत की
1948 में जब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) ने मुख्य भूमि चीन में कुओमितांग शासन आया, तब तिब्बत बौद्ध भिक्षुओं के समूह द्वारा शासित एक स्वतंत्र देश था. चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने तिब्बत पर आक्रमण किया और पूरे राज्य पर सैन्य रूप से कब्जा कर लिया. चीन ने दावा किया कि यह प्राचीन काल में देश का हिस्सा था. तिब्बत के साथ चीन ने तिब्बत पठार के पश्चिमी छोर पर लद्दाख के पूर्व में स्थित शिनजियांग को भी बंद कर दिया. इन दो स्लाइसों ने चीनी क्षेत्र को दोगुना कर दिया. सलामी स्लाइसिंग करने की रणनीति का सबसे पहला रूप 1954 और 1962 के बीच में देखा गया. जम्मू-कश्मीर की मूल रियासत के स्विट्जरलैंड-आकार अक्साई चिन पठार पर चीनी नेतृत्व ने नियंत्रण हासिल किया. तब से सलामी स्लाइसिंग भारत के लिए काम कर रहा है.
भारत-चीन सीमाओं के साथ अरुणाचल प्रदेश के 90,000 वर्ग किमी पर बीजिंग के दावे के अनुसार इसे दक्षिण तिब्बत कहता है. चीन उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर के छोटे क्षेत्रों पर भी अपना दावा करता है और अब पूरी गलवान घाटी पर उसका दावा है. चीन पहले ही पाकिस्तान से जम्मू और कश्मीर में काराकोरम के उत्तर में लगभग 6,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का अधिग्रहण कर चुका है.
चीन का पूर्वी विस्तार तिब्बत और भारत की कीमत पर हिमालय में सफलता का है. चीन ने अपनी पूर्वी सीमाओं पर सलामी रणनीति को दोहराया है.
चीन ने वियतनाम से 1974 में पैरासेल द्वीपों को जब्त किया था. चीन ने अपने अवैध दावे को वैध बनाने के लिए द्वीप पर साशा सिटी का निर्माण किया. पैरासेल द्वीप समूह का अधिग्रहण 1988 में वियतनाम से जॉनसन रीफ पर कब्जा, 1995 में मिसचीफ रीफ और 2012 में स्कारबोरो शोल - दोनों दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस से कब्जा किया. चीन अभी भी अपने पड़ोसियों के साथ लगा हुआ है और उनके द्वारा शासित प्रदेशों पर अपना दावा ठोक रहा है. इन दावों में सबसे खास है जापान के सेनकाकू द्वीप. चीन इसे डियाओयू कहता है. जापान और अमेरिका द्वारा चीन के दावे को खारिज करने के बावजूद, उसने अपने आक्रामक प्रचार से सेनकाकू द्वीप को एक 'विवादित क्षेत्र' बनाने में कामयाबी हासिल की है.
कोविड-19 के दौरान चीन का सलामी स्लाइसिंग रणनीति
दुनिया भर में एक गंभीर संकट के समय चीन ने न केवल दक्षिण चीन सागर में, बल्कि उससे भी आगे बढ़कर अपनी बढ़ती सैन्य प्रगति को प्रदर्शित करने के स्थिति में है. अन्य दावेदारों की नाराजगी के कारण, चीन ने स्प्रैटली और पेरासेल द्वीपसमूह के लिए नए प्रशासनिक जिलों की स्थापना की और समुद्र में 80 द्वीपों और अन्य भौगोलिक विशेषताओं का नाम दिया. वियतनाम और फिलीपींस जैसे अन्य राष्ट्र केवल वास्तविक प्रभाव के बिना कूटनीतिक रूप से इन कार्यों को चुनौती दे सकते है.