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चीन ने एलएसी पर तैनात किए 60 हजार सैनिक : अमेरिकी विदेश मंत्री

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Published : Oct 10, 2020, 12:51 PM IST

हिंद-प्रशांत, दक्षिणी चीन सागर और पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन के आक्रामक सैन्य रुख के बीच जापान की राजधानी टोक्यो में चारों देशों की बैठक हुई. इस बैठक से लौटने के बाद पोम्पियो ने कहा कि वे जानते हैं कि उनके (क्वाड देशों के) लोग इस बात को समझते हैं कि हम इसे लंबे समय से नजरअंदाज करते आए हैं.

Pompeo
एलएसी पर तैनात किए 60 हजार सैनिक

वॉशिंगटन : अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने 'खराब बर्ताव' और क्वाड समूह के देशों के सामने खतरे पैदा करने के लिए चीन को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि उसने भारत की उत्तरी सीमा पर 60,000 सैनिक तैनात किए हैं.

अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया पर आधारित 'क्वाड' देशों के विदेश मंत्री मंगलवार को टोक्यो में मिले थे. कोरोना वायरस महामारी शुरू होने के बाद से व्यक्तिगत उपस्थिति वाली यह उनकी पहली वार्ता थी. यह बैठक हिंद-प्रशांत क्षेत्र, दक्षिण चीन सागर और पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के आक्रामक सैन्य बर्ताव की पृष्ठभूमि में हुई.

'उत्तरी सीमा पर तैनात 60,000 चीनी सैनिक'
इस बैठक से लौटने के बाद पोम्पियो ने शुक्रवार को गाइ बेनसन शो पर कहा कि भारतीय देख रहे हैं कि उनकी उत्तरी सीमा पर 60,000 चीनी सैनिक तैनात हैं. उन्होंने कहा कि मैं भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के अपने समकक्षों के साथ था, चार बड़े लोकतंत्रों, चार शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाओं, चार राष्ट्रों के इस प्रारूप को क्वाड कहते हैं. इन सभी चारों देशों को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से पेश खतरों से जुड़े वास्तविक जोखिम हैं.

'चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को होना दिया हावी'
पोम्पियो ने मंगलवार को टोक्यो में विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की थी. पोम्पियो ने कहा कि वे जानते हैं कि उनके (क्वाड देशों के) लोग इस बात को समझते हैं कि हम इसे लंबे समय से नजरअंदाज करते आए हैं. पश्चिम ने दशकों तक चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को अपने ऊपर हावी होने दिया. पूर्ववर्ती प्रशासन ने घुटने टेक दिए और चीन को हमारी बैद्धिक संपदा को चुराने और उसके साथ जुड़ी लाखों नौकरियों को कब्जा करने का मौका दिया. वे अपने देश में भी ऐसा होता देख रहे हैं.

'एकजुट होकर करेंगे खतरों का विरोध'
एक अन्य साक्षात्कार में पोम्पियो ने कहा कि क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों के साथ बैठकों में समझ और नीतियां विकसित होना शुरू हुई हैं जिनके जरिए ये देश उनके समक्ष चीन की कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा पेश खतरों का एकजुट होकर विरोध कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस लड़ाई में निश्चित ही उन्हें एक सहयोगी और साझेदार के रूप में अमेरिका की जरूरत है.

'हिमालय में चीन से आमना सामना'
पोम्पियो ने कहा कि उन सभी ने यह देखा है, चाहे वे भारतीय हों जिनका भारत के उत्तरपूर्वी हिस्से में हिमालय में चीन से सीधे आमना सामना हो रहा है. उत्तर में चीन ने भारत के खिलाफ बड़ी संख्या में बलों को तैनात करना शुरू कर दिया है.

पढ़ें: बांग्लादेश के साथ संबंधों को और प्रगाढ़ किया जाएगा : विक्रम दोरईस्वामी

'पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन का विवाद'
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच मई माह की शुरुआत से ही गतिरोध बना हुआ है. दोनों ही पक्षों की ओर से विवाद को हल करने के लिए कई बार कूटनीतिक और सैन्य स्तर की वार्ताएं हो चुकी हैं लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकल सका है.

'चीन की कम्युनिस्ट पार्टी है खतरा'
पोम्पियो ने एक अन्य साक्षात्कार में कहा कि वुहान वायरस जब आया और ऑस्ट्रेलिया ने जब इसकी जांच की बात उठाई तो हम जानते है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने उन्हें भी डराया-धमकाया. उन्होंने कहा कि इनमें से हर देश चीन के ऐसे बर्ताव का सामना कर चुका है और इन देशों के लोग जानते हैं कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी उनके लिए खतरा हैं.

पढ़ें: आर्मीनिया और अजरबैजान संघर्षविराम के लिए सहमत हुए

वॉशिंगटन : अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने 'खराब बर्ताव' और क्वाड समूह के देशों के सामने खतरे पैदा करने के लिए चीन को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि उसने भारत की उत्तरी सीमा पर 60,000 सैनिक तैनात किए हैं.

अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया पर आधारित 'क्वाड' देशों के विदेश मंत्री मंगलवार को टोक्यो में मिले थे. कोरोना वायरस महामारी शुरू होने के बाद से व्यक्तिगत उपस्थिति वाली यह उनकी पहली वार्ता थी. यह बैठक हिंद-प्रशांत क्षेत्र, दक्षिण चीन सागर और पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के आक्रामक सैन्य बर्ताव की पृष्ठभूमि में हुई.

'उत्तरी सीमा पर तैनात 60,000 चीनी सैनिक'
इस बैठक से लौटने के बाद पोम्पियो ने शुक्रवार को गाइ बेनसन शो पर कहा कि भारतीय देख रहे हैं कि उनकी उत्तरी सीमा पर 60,000 चीनी सैनिक तैनात हैं. उन्होंने कहा कि मैं भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के अपने समकक्षों के साथ था, चार बड़े लोकतंत्रों, चार शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाओं, चार राष्ट्रों के इस प्रारूप को क्वाड कहते हैं. इन सभी चारों देशों को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से पेश खतरों से जुड़े वास्तविक जोखिम हैं.

'चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को होना दिया हावी'
पोम्पियो ने मंगलवार को टोक्यो में विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की थी. पोम्पियो ने कहा कि वे जानते हैं कि उनके (क्वाड देशों के) लोग इस बात को समझते हैं कि हम इसे लंबे समय से नजरअंदाज करते आए हैं. पश्चिम ने दशकों तक चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को अपने ऊपर हावी होने दिया. पूर्ववर्ती प्रशासन ने घुटने टेक दिए और चीन को हमारी बैद्धिक संपदा को चुराने और उसके साथ जुड़ी लाखों नौकरियों को कब्जा करने का मौका दिया. वे अपने देश में भी ऐसा होता देख रहे हैं.

'एकजुट होकर करेंगे खतरों का विरोध'
एक अन्य साक्षात्कार में पोम्पियो ने कहा कि क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों के साथ बैठकों में समझ और नीतियां विकसित होना शुरू हुई हैं जिनके जरिए ये देश उनके समक्ष चीन की कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा पेश खतरों का एकजुट होकर विरोध कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस लड़ाई में निश्चित ही उन्हें एक सहयोगी और साझेदार के रूप में अमेरिका की जरूरत है.

'हिमालय में चीन से आमना सामना'
पोम्पियो ने कहा कि उन सभी ने यह देखा है, चाहे वे भारतीय हों जिनका भारत के उत्तरपूर्वी हिस्से में हिमालय में चीन से सीधे आमना सामना हो रहा है. उत्तर में चीन ने भारत के खिलाफ बड़ी संख्या में बलों को तैनात करना शुरू कर दिया है.

पढ़ें: बांग्लादेश के साथ संबंधों को और प्रगाढ़ किया जाएगा : विक्रम दोरईस्वामी

'पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन का विवाद'
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच मई माह की शुरुआत से ही गतिरोध बना हुआ है. दोनों ही पक्षों की ओर से विवाद को हल करने के लिए कई बार कूटनीतिक और सैन्य स्तर की वार्ताएं हो चुकी हैं लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकल सका है.

'चीन की कम्युनिस्ट पार्टी है खतरा'
पोम्पियो ने एक अन्य साक्षात्कार में कहा कि वुहान वायरस जब आया और ऑस्ट्रेलिया ने जब इसकी जांच की बात उठाई तो हम जानते है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने उन्हें भी डराया-धमकाया. उन्होंने कहा कि इनमें से हर देश चीन के ऐसे बर्ताव का सामना कर चुका है और इन देशों के लोग जानते हैं कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी उनके लिए खतरा हैं.

पढ़ें: आर्मीनिया और अजरबैजान संघर्षविराम के लिए सहमत हुए

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