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नो सिंगल यूज प्लास्टिक : कचरे से निपटने के लिए नन्हें हाथ बना रहे रोबोट

सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के लिए देश में अभियान चल रहा है. ईटीवी भारत भी इस मुहिम का एक अहम हिस्सा बना है. इसकी थीम 'नो प्लास्टिक, लाइफ फैंटास्टिक' रखी गई है. देखें इस मुहिम की तीसरी कड़ी पर विशेष रिपोर्ट...

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कचरे का इस्तेमाल करने वाले बच्चे
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Published : Dec 14, 2019, 7:04 AM IST

Updated : Dec 14, 2019, 7:16 AM IST

भुवनेश्वर : सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन के लिए देशभर में अलग-अलग मुहिम के माध्यम से जानकारी दी जा रही है. ओडिशा भी इसमें पीछे नहीं है. खंडगिरी की झुग्गियों में रहने वाले बच्चे भी दुनियाभर में बढ़ रहे प्लास्टिक कचरे से निपटने में अपना योगदान दे रहे हैं.

यह बच्चे कचरे से निपटने के लिए एक नए और उत्पादक विचार के साथ आगे आए हैं. दरअसल इन बच्चों की बस्ती में आसपास के इलाकों का कचरा जमा हो जाता है. किसी के लिए भी यह मानना ​​मुश्किल है कि यह युवा दिमाग प्लास्टिक कचरे के ढेर का इस्तेमाल करते हैं.

इन बच्चों ने प्लास्टिक बोतलों और अन्य अपशिष्ट पदार्थों से रोबोट बनाए हैं, जो छोटे बच्चों की तरह दिखते हैं. इसके अलावा बच्चों ने कचरे से वैक्यूम क्लीनर बनाए हैं, जो फर्श की सफाई करते हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बच्चों का ये दृष्टिकोण प्लास्टिक कचरे को एक नया जीवन देने और पर्यावरण को बचाने का काम कर रहा है.

आपको जानकर हैरानी होगी कि यह बच्चे न तो इंजीनियर हैं, न इलेक्ट्रीशियन और न ही बेहतर पृष्ठभूमि से आते हैं, जिससे उन्हें प्रौद्योगिकी का अच्छी तरह से ज्ञान हो, लेकिन उनमें अपने हाथों से नई चीजों को बनाने का हमेशा से एक जुनून रहा है.

यह बच्चे अक्सर रोबोट, लाइट या वैक्यूम क्लीनर बनाने में व्यस्त पाए जाते हैं. इसके अलावा कुछ बच्चों ने एक वैकल्पिक मॉडल बनाया है, जो स्वचालित रूप से दरवाजे खोल सकता है.

बच्चों का मकसद है कि उनके क्षेत्र के कचरे से निपटने के लिए ज्यादा से ज्यादा रोबोट का निर्माण किया जाए. इन बच्चों ने तकनीकी शिक्षा हासिल करने और आगे बढ़ने की इच्छा जाहिर की है, लेकिन वित्तीय सहायता न मिल पाने के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है.

हालांकि, भुवनेश्वर स्थित उन्मुक्त फाउंडेशन ने इन बच्चों की मदद की पहल की है. फाउंडेशन इन प्रतिभाशाली बच्चों को उनके कौशल में सुधार के लिए मुफ्त प्रशिक्षण दे रहा है.

भुवनेश्वर : सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन के लिए देशभर में अलग-अलग मुहिम के माध्यम से जानकारी दी जा रही है. ओडिशा भी इसमें पीछे नहीं है. खंडगिरी की झुग्गियों में रहने वाले बच्चे भी दुनियाभर में बढ़ रहे प्लास्टिक कचरे से निपटने में अपना योगदान दे रहे हैं.

यह बच्चे कचरे से निपटने के लिए एक नए और उत्पादक विचार के साथ आगे आए हैं. दरअसल इन बच्चों की बस्ती में आसपास के इलाकों का कचरा जमा हो जाता है. किसी के लिए भी यह मानना ​​मुश्किल है कि यह युवा दिमाग प्लास्टिक कचरे के ढेर का इस्तेमाल करते हैं.

इन बच्चों ने प्लास्टिक बोतलों और अन्य अपशिष्ट पदार्थों से रोबोट बनाए हैं, जो छोटे बच्चों की तरह दिखते हैं. इसके अलावा बच्चों ने कचरे से वैक्यूम क्लीनर बनाए हैं, जो फर्श की सफाई करते हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बच्चों का ये दृष्टिकोण प्लास्टिक कचरे को एक नया जीवन देने और पर्यावरण को बचाने का काम कर रहा है.

आपको जानकर हैरानी होगी कि यह बच्चे न तो इंजीनियर हैं, न इलेक्ट्रीशियन और न ही बेहतर पृष्ठभूमि से आते हैं, जिससे उन्हें प्रौद्योगिकी का अच्छी तरह से ज्ञान हो, लेकिन उनमें अपने हाथों से नई चीजों को बनाने का हमेशा से एक जुनून रहा है.

यह बच्चे अक्सर रोबोट, लाइट या वैक्यूम क्लीनर बनाने में व्यस्त पाए जाते हैं. इसके अलावा कुछ बच्चों ने एक वैकल्पिक मॉडल बनाया है, जो स्वचालित रूप से दरवाजे खोल सकता है.

बच्चों का मकसद है कि उनके क्षेत्र के कचरे से निपटने के लिए ज्यादा से ज्यादा रोबोट का निर्माण किया जाए. इन बच्चों ने तकनीकी शिक्षा हासिल करने और आगे बढ़ने की इच्छा जाहिर की है, लेकिन वित्तीय सहायता न मिल पाने के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है.

हालांकि, भुवनेश्वर स्थित उन्मुक्त फाउंडेशन ने इन बच्चों की मदद की पहल की है. फाउंडेशन इन प्रतिभाशाली बच्चों को उनके कौशल में सुधार के लिए मुफ्त प्रशिक्षण दे रहा है.

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Last Updated : Dec 14, 2019, 7:16 AM IST
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