हैदराबाद : लिथुएनियाई और कुर्द वैज्ञानिकों के एक समूह के अनुसार खसरा, कण्ठमाला और रूबेला (एमएमआर) वेक्सीन बच्चों को कोविड-19 से बचा सकती है. इसकी परिकल्पना कथिर तौर पर सार्स-कोव 2, खसरा और रूबेला वायरस के 30 अमीनो एसिड अवशेषों के अनुक्रम समानता पर आधारित है.
कोरोना वायरस महामारी से अब तक कुल 96,99,562 से अधिक लोग संक्रमित है. दुनियाभर में लगभग 4.91 लाख लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं 52,51,109 से अधिक लोग इस महामारी से ठीक हो चुके हैं.
चीन, इटली और दक्षिण कोरिया में कोविड-19 से संक्रमित मरीजों के विस्तृत आंकड़ों के अनुसार 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में यह बीमारी के लक्षण सामान्य और मामूली है.
शोधकर्ताओं का दावा है कि एमएमआर वैक्सीन के कारण बच्चों को शरीर में कोविड-19 से लड़ने में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है. यह एंटीबॉडी कोशिकाओं में वायरस के प्रवेश को रोकते हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, एस प्रोटीन सार्स-कोव 2 का एक महत्वपूर्ण इम्युनोजेनिक प्रोटीन है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रेरित करता है. यह प्रोटीन मानव शरीर में प्रवेश करने वाले बाह्य कणों से लड़ता है.
मनुष्य बचपन से ही वायरल बीमारियों के खिलाफ नियमित रूप से प्रतिरक्षित होता है, जो आमतौर पर वायरल कणों के खिलाफ व्यापक प्रतिरक्षा उत्पन्न करता है.
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वैज्ञानिकों के अनुसार, हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि एमएमआर टीकाकरण के खिलाफ एंटीबॉडी का स्तर 15-20 वर्षों तक बना रह सकता है. इससे 15-20 साल तक कोविड-19 से सुरक्षित रह सकते हैं. हालांकि, उपर्युक्त परिकल्पना का समर्थन करने के लिए एक प्रयोगात्मक विश्लेषण आवश्यक है.