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कर्नाटक के चिकमगलूर में अब एक स्वर्ग सा एहसास - चिकमगलूर

भारत की नैसर्गिक खूबसूरती बेमिसाल है. पिछले दिनों तमिलनाडु के मामल्लापुरम में पीएम मोदी और शी जिनपिंग की यात्रा के दौरान झलक देखने को मिली. आज ईटीवी भारत आपको कर्नाटक से रू-ब-रू कराने का प्रयास करेगा. कर्नाटक के चिकमगलूर जिले में एक ऐसा फूल है, जो 12 साल में एक बार खिलता है. इसे दवाएं बनाने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है. अगर आप प्राकृतिक खूबसूरती देखना चाहते हैं, तो ये जानकारी काफी रोचक है. प्रकृति से प्रेम करने वालों के लिए ईटीवी भारत की खास पेशकश...

करुवंजी फूल
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Published : Oct 17, 2019, 7:53 AM IST

Updated : Oct 23, 2019, 12:11 PM IST

बेंगलुरु : कर्नाटक के चिकमगलूर जिले में पहाड़ियों की श्रृंखला के बीच अब एक बैंगनी स्वर्ग (purple paradise) जैसा नजारा है. इसका कारण इन जगहों पर खिले हुए खूबसूरत कुरुवंजी फूल हैं. कुरुवंजी का वैज्ञानिक नाम स्ट्रॉबिलैंथीस कुंथियाना (Strobilanthes Kunthiana) है.

स्थानीय लोग इस करुवंजी को गुर्गी हुवू (Gurgi Hoovu) भी कहते हैं. ये 12 साल में एक बार खिलता है. अभी इस फूल के खिलने से मालंद जिले के चंद्रद्रोण पहाड़ी श्रृंखला की खूबसूरती में चार चांद लग गए हैं.

चंद्रद्रोण की पहाड़ियों पर आज से पहले हरियाली बिखरी हुई थी. अब गुर्गी कुरुवंजी फूल के खिलने से पहाड़ियां बैंगनी रंग से ढंकने लगी हैं. इस नैसर्गिक खूबसूरती से पर्यटक भी आकर्षित हो रहे हैं.

चिकमगलूर के सौंदर्य पर देखें स्पेशल रिपोर्ट

कुरुवंजी (Kuruvanji) फूल सिर्फ पारिस्थितिक (ecologically) रूप से संवेदनशील पश्चिमी घाट के वन क्षेत्र में पाए जाते हैं. यही कारण है कि कुरुवंजी फूल आम तौर से चंद्रद्रोण (Chandradrona), देवारा माने (Devara Mane), चारमुडी (Charmudi) और अन्य पहाड़ी इलाकों और कॉफी उत्पादक क्षत्रों (Land of Coffee) में पाए जाते हैं.

पश्चिमी घाट एक संरक्षित वन क्षेत्र है, इसलिए कुरुवंजी फूलों के खिलने पर यहां कोई खतरा नहीं मंडरा रहा. हरियाली से आच्छादित मालंद (Maland) में आज ऐसा लगता है, मानो एक बैंगनी स्वर्ग साकार हो उठा हो.

कुरुवंजी (गुर्गी) के फूल की धार्मिक अहमियत भी है. ऐसा माना जाता है कि शादी के दौरान वेल्ली (Velli) ने भगवान सुब्रह्मणय (Subrahmanya) के गले में गुर्गी के फूलों की माला पहनाई थी. इसलिए केरल और तमिलनाडु में इसे प्यार का फूल (Love Flower) भी कहा जाता है. इन राज्यों में जैसे ही कुरुवंजी फूल खिलते हैं, इसे भगवान सुब्रह्मणय (Subrahmanya) को अर्पित किया जाता है.

कुरुवंजी फूल से जुड़ा एक अहम तथ्य है, कि यह तभी खिलते हैं जब बारिश, हवा, पानी, प्रकाश औऱ प्रकृति सभी समानुपात और संतुलित मात्रा में हों.

गुर्गी फूलों की कई प्रजातियां भी हैं. कुछ पांच, कुछ सात, कुछ 12 और कुछ 14 साल में एक बार खिलते हैं.

इन फूलों में औषधीय गुण होते हैं और विभिन्न रोगों के लिए दवा तैयार करने में इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है. आज मलांद जिले में ये फूल सभी को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं.

आइए और कर्नाटक के चिकमगलूर जिले में इस बैंगनी स्वर्ग के जादू की अनुभूति करें.

बेंगलुरु : कर्नाटक के चिकमगलूर जिले में पहाड़ियों की श्रृंखला के बीच अब एक बैंगनी स्वर्ग (purple paradise) जैसा नजारा है. इसका कारण इन जगहों पर खिले हुए खूबसूरत कुरुवंजी फूल हैं. कुरुवंजी का वैज्ञानिक नाम स्ट्रॉबिलैंथीस कुंथियाना (Strobilanthes Kunthiana) है.

स्थानीय लोग इस करुवंजी को गुर्गी हुवू (Gurgi Hoovu) भी कहते हैं. ये 12 साल में एक बार खिलता है. अभी इस फूल के खिलने से मालंद जिले के चंद्रद्रोण पहाड़ी श्रृंखला की खूबसूरती में चार चांद लग गए हैं.

चंद्रद्रोण की पहाड़ियों पर आज से पहले हरियाली बिखरी हुई थी. अब गुर्गी कुरुवंजी फूल के खिलने से पहाड़ियां बैंगनी रंग से ढंकने लगी हैं. इस नैसर्गिक खूबसूरती से पर्यटक भी आकर्षित हो रहे हैं.

चिकमगलूर के सौंदर्य पर देखें स्पेशल रिपोर्ट

कुरुवंजी (Kuruvanji) फूल सिर्फ पारिस्थितिक (ecologically) रूप से संवेदनशील पश्चिमी घाट के वन क्षेत्र में पाए जाते हैं. यही कारण है कि कुरुवंजी फूल आम तौर से चंद्रद्रोण (Chandradrona), देवारा माने (Devara Mane), चारमुडी (Charmudi) और अन्य पहाड़ी इलाकों और कॉफी उत्पादक क्षत्रों (Land of Coffee) में पाए जाते हैं.

पश्चिमी घाट एक संरक्षित वन क्षेत्र है, इसलिए कुरुवंजी फूलों के खिलने पर यहां कोई खतरा नहीं मंडरा रहा. हरियाली से आच्छादित मालंद (Maland) में आज ऐसा लगता है, मानो एक बैंगनी स्वर्ग साकार हो उठा हो.

कुरुवंजी (गुर्गी) के फूल की धार्मिक अहमियत भी है. ऐसा माना जाता है कि शादी के दौरान वेल्ली (Velli) ने भगवान सुब्रह्मणय (Subrahmanya) के गले में गुर्गी के फूलों की माला पहनाई थी. इसलिए केरल और तमिलनाडु में इसे प्यार का फूल (Love Flower) भी कहा जाता है. इन राज्यों में जैसे ही कुरुवंजी फूल खिलते हैं, इसे भगवान सुब्रह्मणय (Subrahmanya) को अर्पित किया जाता है.

कुरुवंजी फूल से जुड़ा एक अहम तथ्य है, कि यह तभी खिलते हैं जब बारिश, हवा, पानी, प्रकाश औऱ प्रकृति सभी समानुपात और संतुलित मात्रा में हों.

गुर्गी फूलों की कई प्रजातियां भी हैं. कुछ पांच, कुछ सात, कुछ 12 और कुछ 14 साल में एक बार खिलते हैं.

इन फूलों में औषधीय गुण होते हैं और विभिन्न रोगों के लिए दवा तैयार करने में इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है. आज मलांद जिले में ये फूल सभी को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं.

आइए और कर्नाटक के चिकमगलूर जिले में इस बैंगनी स्वर्ग के जादू की अनुभूति करें.


Sir, 

Please find the attached document of Purple Paradise here. 


Regards,
S N Deepak,
96069 12149
Last Updated : Oct 23, 2019, 12:11 PM IST
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