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कोरोना का प्रभाव, भविष्य में तेजी से बदल सकती है दुनिया

दुनियाभर में कोरोना महामारी फैली हुई है. इस महामारी से निबटने के लिए दुनियाभर में लॉकडाउन लगाया गया. इस वजह से दुनियाभर में तेजी से बदलाव आ रहा है, जो काम आने वाले दशक में होने वाले थे, वह धीरे-धीरे अभी दुनियाभर में शुरू हो गए हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण चीनी कंपनियां हैं. इसके साथ ही भारतीय कंपनियां भी तेजी से बदलाव ला रही हैं. देश में भी वर्क फ्रॉम होम, होम डिलवरी जैसी चीजों पर जोर दिया जा रहा है. आने वाले समय इन सब चीजों को लेकर दुनिया में तेजी से बदलाव होने की संभावना है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : May 13, 2020, 4:46 PM IST

हैदराबाद : दुनियाभर में कोरोना महामारी को रोकने के लिए लॉकडाउन है. इस दौरान तरह-तरह के परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं. कहा जाता है कि परिवर्तन एक सतत प्रक्रिया है. हालांकि परिवर्तन एक ऐसी चीज है, जिसे अपने आप या अचानक घटित होने की उम्मीद नहीं की जा सकती है, लेकिन कोरोना वायरस से इन दिनों दुनिया में बहुत सारे बदलाव आए हैं, जो बदलाव अगले दशक में होने हैं. वह वर्तमान दशक में ही संभव हो गए हैं.

यह विशेष रूप से कई निगमों और कॉर्पोरेट्स द्वारा अपने संचालन में किए जा रहे उन्नयन और नवीनीकरण के तरीकों को देखा जा रहा है. चीन इस तरह के विकास का एक आदर्श उदाहरण है. अधिकांश व्यावसायिक गतिविधियां चीन में शुरू हो चुकी हैं. वर्तमान में चीन द्वारा किए गए उपायों के अनुरूप और प्रक्रियाओं को अपनाने के लिए अन्य देशों की आवश्यकता है.

कार्यालयों के वातावरण में बदलाव

चीनी कंपनियों ने युद्धस्तर पर अधिकांश कार्य शुरू कर दिए हैं. वह संचालन शुरू करने के बाद कार्यलयों में छह फीट की दूरी बनाए रखने के लिए एजेंडे लाए हैं. इस पद्धति में कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों के बैठने के बीच कम से कम छह फीट की दूरी होनी चाहिए. आंतरिक भाग को छह फीट की सामाजिक दूरी के मानदंडों की आवश्यकताओं के अनुरूप संशोधित किया गया है. भारत में भी कुछ कार्यालयों में पहले ही ऐसा करने के लिए कदम उठाए गए हैं. इस तरह से कर्मचारियों को विश्वास है कि वह स्वस्थ वातावरण में काम कर रहे हैं.

इस नई दुनिया में डेस्कों के बीच कम से कम छह फीट की दूरी रखी जा रही है. इस तरीके को कंपनियां अगले कुछ महीनों में इस दृष्टिकोण को अपना सकती हैं, क्योंकि इससे कोरोना संक्रमण का खतरा कम हो जाता है.

पढ़ें : प्रधानमंत्री मोदी ने दी देश को 20 लाख करोड़ के विशेष आर्थिक पैकेज की सौगात

कर्मचारी कार्यालयों में किसी भी टच-पैड या स्वाइपिंग मशीनरी पास का उपयोग किए बिना ही वह अपने फोन में क्यूआर कोड का उपयोग करके या चेहरे की पहचान सॉफ्टवेयर का उपयोग करके प्रवेश कर सकते हैं. इसके साथ ही कंपनियां वर्कप्लेस एयर-प्यूरीफिकेशन सिस्टम में निवेश बढ़ा सकती हैं.

नए अविष्कार

वर्तमान परिस्थितियों में और निकट भविष्य में भी लोग कंपनियों में शारीरिक रूप से उत्पाद खरीदने के लिए आना चाहते हैं. यह बिक्री में गिरावट के संबंध में चिंता का विषय है. इस तरह के मामलों का सामना करने के लिए कंपनियां अपने ग्राहकों तक पहुंचने का प्रयास कर रही हैं. ज्यादातर कंपनियां इसी तरह की तर्ज पर सोच रही हैं.

'घर पर बाजार का अनुभव'- यह कंपनियों का नया नारा है. यह लोगों की खरीदारी की आदतों में बदलाव लाने के लिए बाध्य है. वर्चुअल रियलिटी ऐप्स को घर पर ही होने के दौरान लोगों को एक शोरूम में अपनी उपस्थिति का एहसास कराने के लिए लाया जा सकता है. इससे उपभोक्ता प्रभावित होंगे. ऐसी कंपनियां भी हैं, जो ऑनलाइन बिक्री के लिए नए उत्पादों को पेश कर सकती हैं. नाइकी ने पहले ही चीन में एयर जॉर्डन के नाम से सीमित संस्करण स्नीकर्स को ऑनलाइन बेच दिया है.

पढ़ें : मालदीव से 202 भारतीयों को लेकर कोच्चि पहुंचा आईएनएस मगर

भारत में कुछ ऑटोमोबाइल कंपनियां भी ऑनलाइन बिक्री पर जोर दे रही हैं. वॉल्वो जैसी कंपनियों ने घर से नई कारों को बुक करने के लिए 'संपर्क रहित प्रोग्राम' शुरू किए हैं. सुपरमार्केट कंपनियों ने सामानों की मुफ्त होम डिलीवरी शुरू कर दी है. यहां तक कि भविष्य में लॉकडाउन मानदंडों के छूट से लोगों को अपने किराने के सामान के लिए सुपरमार्केट जाने के लिए प्रोत्साहित करने की संभावना नहीं है. यही कारण है कि यह कंपनियां भविष्य में भी इन होम डिलीवरी को जारी रख सकती हैं. ऑनलाइन सामान वितरण एप जैसे कि अमेजॉन, पेंट्री और बिगबास्केट, जो पहले से ही सफल हैं, का उपयोग भी भारी मात्रा में बढ़ने की संभावना है.

अब तक अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, स्वीगी, जोमेटो, और बिगबास्केट जैसी कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स की होम डिलीवरी अभियान का ख्याल रखने के लिए डिलीवरी ब्वॉय को हायर कर रही हैं. निकट भविष्य में इस प्रकार के संचालन में वृद्धि हो सकती है और कई और कंपनियों द्वारा इस पद्धति को अनुकूलित करने की संभावना है. यह एक तरह से भविष्य में बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाएगा.

घर से काम (वर्क फ्रॉम होम) - सबसे बड़ी क्रांति

वर्क फ्रॉम होम का अवसर, जिसे कम से कम अगले पांच वर्ष में लागू करने के लिए असंभव माना जाता था, कोरोना महामारी के कारण उठने वाली वर्तमान मांग के कारण यह आदर्श बन गया है. टीसीएस ने घोषणा की है कि भविष्य में, उसके अधिकांश कर्मचारी 'वर्क फ्रॉम होम' (डब्ल्यूएफएच) तक सीमित रहेंगे. अन्य आईटी कंपनियों के भी ऐसा करने की संभावना है.

न केवल आईटी कंपनियां बल्कि अधिकांश स्टार्ट-अप भी प्राथमिकता वाली कार्यप्रणाली के रूप में 'वर्क फ्रॉम होम' चुनने की संभावना रखती हैं. इस तरह से काम करने से लागत में भारी कमी आने की भी संभावना है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि स्टार्ट-अप कंपनी के लिए कार्यालय संचालन लागत एक भारी बोझ है.

अन्य पारंपरिक कंपनियां भी इस तरह से सोच रही हैं. बड़े कर्मचारियों वाले जगहों को छोटे जगहों में बदला जा सकता है. लैपटॉप जैसी सुविधाएं देकर कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है.

कंपनियां विभिन्न स्थानों से कर्मचारियों को काम करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए भी तैयार हो सकती हैं. पारंपरिक कंपनियां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और ऑनलाइन अनुमति जैसी तकनीक भी पेश कर सकती हैं.

पढ़ें : कोरोना : उपचार के नए विकल्पों को लेकर एफडीए ने दिशा-निर्देश जारी किए

आमतौर पर निजी संगठनों में जब आप एक विचार के साथ आते हैं, तो आप इस विचार को आगे बढ़ाने के लिए अपने सहयोगियों और वरिष्ठों के साथ चर्चा करते हैं. हालांकि घर से काम करने पर इस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता हैं. वहीं भविष्य का रुझान भी यही है. कई कंपनियां जो उन महिलाओं के कौशल का उपयोग करने में असमर्थ हैं, जो अपने कौशल को प्रसव के बाद और अन्य कारणों से पेश करने में सक्षम नहीं हैं. अब उन्हें अपने घरों से आराम से काम करने का अवसर प्रदान करने के माध्यम से उनके कौशल को बढ़ा सकते हैं.

कंपनियां एक्ट पॉज एसेज एंटीसिपेट एक्ट (ACT PAUSE ASSESS ANTICIPATEACT ) की नीति अपना सकती हैं. वर्तमान में वायरस जैसे कई संकटों का सामना करने के बावजूद, उत्पादकता को प्रभावित करने और संबंधित कंपनियों को उपभोक्ताओं को अलग किए बिना इन उपायों को लागू किया जाएगा.

घरेलू स्तर पर आपूर्ति प्रणाली

अब तक हम विदेशों से आयात किए जाने वाले कुछ कच्चे माल और अन्य आवश्यकताओं पर भरोसा करते रहे हैं. ऑटोमोबाइल कंपनियां विशेष रूप से चीन पर बहुत अधिक निर्भर हैं. अब कंपनियां दृढ़ता से मानती हैं कि इस निर्भरता सिद्धांत को कम किया जाना चाहिए.

टाटा स्टील के एक प्रवक्ता का कहना है कि कोरोना के पतन के बाद स्थानीय आपूर्ति प्रणाली में वृद्धि होने की संभावना है. इस संबंध में, घरेलू रूप से पड़ोसी राज्यों का पक्ष लेने की प्रवृत्ति भी बढ़ेगी.

पढ़ें : जानें क्या है श्रम कानून और उससे जुड़े विवाद

विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में भी सबसे ज्यादा अप्रत्याशित परिवर्तन होने की संभावना है. आमतौर पर इस तरह के नवाचार और विचार एक बड़े संकट का सामना करने के बाद सीखे गए पाठों के कारण सामने आते हैं. इसलिए यह कहना उचित नहीं है कि कोविड-19 के आने से दुनियाभर में 10 वर्ष पहले ही बदलाव आ गए हैं.

हैदराबाद : दुनियाभर में कोरोना महामारी को रोकने के लिए लॉकडाउन है. इस दौरान तरह-तरह के परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं. कहा जाता है कि परिवर्तन एक सतत प्रक्रिया है. हालांकि परिवर्तन एक ऐसी चीज है, जिसे अपने आप या अचानक घटित होने की उम्मीद नहीं की जा सकती है, लेकिन कोरोना वायरस से इन दिनों दुनिया में बहुत सारे बदलाव आए हैं, जो बदलाव अगले दशक में होने हैं. वह वर्तमान दशक में ही संभव हो गए हैं.

यह विशेष रूप से कई निगमों और कॉर्पोरेट्स द्वारा अपने संचालन में किए जा रहे उन्नयन और नवीनीकरण के तरीकों को देखा जा रहा है. चीन इस तरह के विकास का एक आदर्श उदाहरण है. अधिकांश व्यावसायिक गतिविधियां चीन में शुरू हो चुकी हैं. वर्तमान में चीन द्वारा किए गए उपायों के अनुरूप और प्रक्रियाओं को अपनाने के लिए अन्य देशों की आवश्यकता है.

कार्यालयों के वातावरण में बदलाव

चीनी कंपनियों ने युद्धस्तर पर अधिकांश कार्य शुरू कर दिए हैं. वह संचालन शुरू करने के बाद कार्यलयों में छह फीट की दूरी बनाए रखने के लिए एजेंडे लाए हैं. इस पद्धति में कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों के बैठने के बीच कम से कम छह फीट की दूरी होनी चाहिए. आंतरिक भाग को छह फीट की सामाजिक दूरी के मानदंडों की आवश्यकताओं के अनुरूप संशोधित किया गया है. भारत में भी कुछ कार्यालयों में पहले ही ऐसा करने के लिए कदम उठाए गए हैं. इस तरह से कर्मचारियों को विश्वास है कि वह स्वस्थ वातावरण में काम कर रहे हैं.

इस नई दुनिया में डेस्कों के बीच कम से कम छह फीट की दूरी रखी जा रही है. इस तरीके को कंपनियां अगले कुछ महीनों में इस दृष्टिकोण को अपना सकती हैं, क्योंकि इससे कोरोना संक्रमण का खतरा कम हो जाता है.

पढ़ें : प्रधानमंत्री मोदी ने दी देश को 20 लाख करोड़ के विशेष आर्थिक पैकेज की सौगात

कर्मचारी कार्यालयों में किसी भी टच-पैड या स्वाइपिंग मशीनरी पास का उपयोग किए बिना ही वह अपने फोन में क्यूआर कोड का उपयोग करके या चेहरे की पहचान सॉफ्टवेयर का उपयोग करके प्रवेश कर सकते हैं. इसके साथ ही कंपनियां वर्कप्लेस एयर-प्यूरीफिकेशन सिस्टम में निवेश बढ़ा सकती हैं.

नए अविष्कार

वर्तमान परिस्थितियों में और निकट भविष्य में भी लोग कंपनियों में शारीरिक रूप से उत्पाद खरीदने के लिए आना चाहते हैं. यह बिक्री में गिरावट के संबंध में चिंता का विषय है. इस तरह के मामलों का सामना करने के लिए कंपनियां अपने ग्राहकों तक पहुंचने का प्रयास कर रही हैं. ज्यादातर कंपनियां इसी तरह की तर्ज पर सोच रही हैं.

'घर पर बाजार का अनुभव'- यह कंपनियों का नया नारा है. यह लोगों की खरीदारी की आदतों में बदलाव लाने के लिए बाध्य है. वर्चुअल रियलिटी ऐप्स को घर पर ही होने के दौरान लोगों को एक शोरूम में अपनी उपस्थिति का एहसास कराने के लिए लाया जा सकता है. इससे उपभोक्ता प्रभावित होंगे. ऐसी कंपनियां भी हैं, जो ऑनलाइन बिक्री के लिए नए उत्पादों को पेश कर सकती हैं. नाइकी ने पहले ही चीन में एयर जॉर्डन के नाम से सीमित संस्करण स्नीकर्स को ऑनलाइन बेच दिया है.

पढ़ें : मालदीव से 202 भारतीयों को लेकर कोच्चि पहुंचा आईएनएस मगर

भारत में कुछ ऑटोमोबाइल कंपनियां भी ऑनलाइन बिक्री पर जोर दे रही हैं. वॉल्वो जैसी कंपनियों ने घर से नई कारों को बुक करने के लिए 'संपर्क रहित प्रोग्राम' शुरू किए हैं. सुपरमार्केट कंपनियों ने सामानों की मुफ्त होम डिलीवरी शुरू कर दी है. यहां तक कि भविष्य में लॉकडाउन मानदंडों के छूट से लोगों को अपने किराने के सामान के लिए सुपरमार्केट जाने के लिए प्रोत्साहित करने की संभावना नहीं है. यही कारण है कि यह कंपनियां भविष्य में भी इन होम डिलीवरी को जारी रख सकती हैं. ऑनलाइन सामान वितरण एप जैसे कि अमेजॉन, पेंट्री और बिगबास्केट, जो पहले से ही सफल हैं, का उपयोग भी भारी मात्रा में बढ़ने की संभावना है.

अब तक अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, स्वीगी, जोमेटो, और बिगबास्केट जैसी कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स की होम डिलीवरी अभियान का ख्याल रखने के लिए डिलीवरी ब्वॉय को हायर कर रही हैं. निकट भविष्य में इस प्रकार के संचालन में वृद्धि हो सकती है और कई और कंपनियों द्वारा इस पद्धति को अनुकूलित करने की संभावना है. यह एक तरह से भविष्य में बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाएगा.

घर से काम (वर्क फ्रॉम होम) - सबसे बड़ी क्रांति

वर्क फ्रॉम होम का अवसर, जिसे कम से कम अगले पांच वर्ष में लागू करने के लिए असंभव माना जाता था, कोरोना महामारी के कारण उठने वाली वर्तमान मांग के कारण यह आदर्श बन गया है. टीसीएस ने घोषणा की है कि भविष्य में, उसके अधिकांश कर्मचारी 'वर्क फ्रॉम होम' (डब्ल्यूएफएच) तक सीमित रहेंगे. अन्य आईटी कंपनियों के भी ऐसा करने की संभावना है.

न केवल आईटी कंपनियां बल्कि अधिकांश स्टार्ट-अप भी प्राथमिकता वाली कार्यप्रणाली के रूप में 'वर्क फ्रॉम होम' चुनने की संभावना रखती हैं. इस तरह से काम करने से लागत में भारी कमी आने की भी संभावना है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि स्टार्ट-अप कंपनी के लिए कार्यालय संचालन लागत एक भारी बोझ है.

अन्य पारंपरिक कंपनियां भी इस तरह से सोच रही हैं. बड़े कर्मचारियों वाले जगहों को छोटे जगहों में बदला जा सकता है. लैपटॉप जैसी सुविधाएं देकर कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है.

कंपनियां विभिन्न स्थानों से कर्मचारियों को काम करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए भी तैयार हो सकती हैं. पारंपरिक कंपनियां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और ऑनलाइन अनुमति जैसी तकनीक भी पेश कर सकती हैं.

पढ़ें : कोरोना : उपचार के नए विकल्पों को लेकर एफडीए ने दिशा-निर्देश जारी किए

आमतौर पर निजी संगठनों में जब आप एक विचार के साथ आते हैं, तो आप इस विचार को आगे बढ़ाने के लिए अपने सहयोगियों और वरिष्ठों के साथ चर्चा करते हैं. हालांकि घर से काम करने पर इस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता हैं. वहीं भविष्य का रुझान भी यही है. कई कंपनियां जो उन महिलाओं के कौशल का उपयोग करने में असमर्थ हैं, जो अपने कौशल को प्रसव के बाद और अन्य कारणों से पेश करने में सक्षम नहीं हैं. अब उन्हें अपने घरों से आराम से काम करने का अवसर प्रदान करने के माध्यम से उनके कौशल को बढ़ा सकते हैं.

कंपनियां एक्ट पॉज एसेज एंटीसिपेट एक्ट (ACT PAUSE ASSESS ANTICIPATEACT ) की नीति अपना सकती हैं. वर्तमान में वायरस जैसे कई संकटों का सामना करने के बावजूद, उत्पादकता को प्रभावित करने और संबंधित कंपनियों को उपभोक्ताओं को अलग किए बिना इन उपायों को लागू किया जाएगा.

घरेलू स्तर पर आपूर्ति प्रणाली

अब तक हम विदेशों से आयात किए जाने वाले कुछ कच्चे माल और अन्य आवश्यकताओं पर भरोसा करते रहे हैं. ऑटोमोबाइल कंपनियां विशेष रूप से चीन पर बहुत अधिक निर्भर हैं. अब कंपनियां दृढ़ता से मानती हैं कि इस निर्भरता सिद्धांत को कम किया जाना चाहिए.

टाटा स्टील के एक प्रवक्ता का कहना है कि कोरोना के पतन के बाद स्थानीय आपूर्ति प्रणाली में वृद्धि होने की संभावना है. इस संबंध में, घरेलू रूप से पड़ोसी राज्यों का पक्ष लेने की प्रवृत्ति भी बढ़ेगी.

पढ़ें : जानें क्या है श्रम कानून और उससे जुड़े विवाद

विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में भी सबसे ज्यादा अप्रत्याशित परिवर्तन होने की संभावना है. आमतौर पर इस तरह के नवाचार और विचार एक बड़े संकट का सामना करने के बाद सीखे गए पाठों के कारण सामने आते हैं. इसलिए यह कहना उचित नहीं है कि कोविड-19 के आने से दुनियाभर में 10 वर्ष पहले ही बदलाव आ गए हैं.

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