उड़ान के लगभग 16वें मिनट में 375 करोड़ रुपये का जीएसएलवी-मार्क तृतीय रॉकेट 603 करोड़ रुपये के चंद्रयान-2 विमान को अपनी 170 गुणा 39, 120 किलोमीटर लंबी कक्षा में उतार देगा.
'चंद्रयान-2' इसरो का सबसे जटिल और अब तक का सबसे प्रतिष्ठित मिशन माना जा रहा है. इसरो प्रमुख के सिवन के मुताबिक वैज्ञानिक चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में चन्द्रयान-2 के लैंडर को उतारेंगे. यहां अब तक कोई देश नहीं गया है.
इस मिशन के बाद भारत चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बनेगा. इससे पहले रूस, अमेरिका और चीन चांद की सतह पर पहुंच चुके हैं.
स्वदेशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड हैं. आठ ऑर्बिटर में, तीन पेलोड लैंडर 'विक्रम' और दो पेलोड रोवर 'प्रज्ञान' में हैं.
लैंडर 'विक्रम' का नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है. दूसरी ओर, 27 किलोग्राम वजनी 'प्रज्ञान' का मतलब संस्कृत में 'बुद्धिमता' है.