नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया प्रोफाइल को आधार से जोड़ने संबंधी याचिकाएं शीर्ष अदालत में है. सुप्रीम कोर्ट ने फेसबुक की याचिका पर केंद्र सरकार गूगल, टि्वटर, यूट्यूब और अन्य से मंगलवार को जवाब तलब किया है.
सोशल मीडिया प्रोफाइल को आधार से जोड़ना कितना सही है, यह जानने के लिए ईटीवी भारत ने साइबर एक्सपर्ट्स पवन दुग्गल और अनुज अग्रवाल से बात की है.
एक्सपर्ट्स ने इस फैसले का विरोध किया और कहा की सरकार के इस कदम से लोगों की निजता का हनन होगा.
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पवन दुग्गल ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि फेसबुक, व्हाट्सएप जैसी सोशल मीडिया साइट्स विदेशी हैं. हम इनको अपनी आधार से जुड़ी जानकारियां दे देंगे तो वह इसका इस्तेमाल अपने देश के सरवर पर करेंगे. इससे सीधा-सीधा असर हमारे देश की प्रभुता, अखंडता और सुरक्षा पर पड़ेगा.
पवन दुग्गल ने कहा कि सोशल मीडिया प्रोफाइल्स को आधार से जोड़ना सरकार को भले ही आसान लग रहा है, लेकिन अभी इस फैसले का गंभीरता से और पूरी गहनता से विचार करना चाहिए. इसके बाद ही कोई फैसला लेना चाहिए.
सेंटर फॉर रिसर्च ऑन साइबर क्राइम एंड साइबर लॉ के चेयरमैन अनुज अग्रवाल का कहना है की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए ही देश के कई बड़े-बड़े भ्रष्टाचार के मामलों का भंडाफोड़ हुआ है. यदि सरकार सोशल मीडिया प्रोफाइल्स को आधार से लिंक कर देगी तो सरकार के विरोध में बोलने वालों पर सरकार अपनी पहरेदारी कड़ी कर देगी. उनको बोलने नहीं देगी जोकि लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है.
अनुज अग्रवाल ने बीते दिनों गृह मंत्रालय के साथ व्हाट्सएप, फेसबुक एवं टि्वटर के अधिकारियों के साथ फेक न्यूज़ एवं पोर्नोग्राफिक कंटेंट पर रोकथाम लगाने के लिए हुई बैठकों में कोई बेहतर तरीका ना निकलने पर कहा कि मंत्रालय द्वारा लोगों को दी गई जानकारी और सोशल मीडिया कंपनियों के साथ हुई सांठगांठ में फर्क़ होता है.
अनुज अग्रवाल ने मंत्रालय के फैसले पर संदेह जताते हुए कहा कि ऐसे मामलों में सरकार को सोशल मीडिया यूजर्स का भी मत जाना चाहिए और इसके बाद ही किसी ठोस नतीजे पर पहुंचना चाहिए.