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सीबीआई ने 332 करोड़ के गबन मामले में मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री से की पूछताछ - former manipur cm ibobi singh

मणिपुर में राजनीतिक संकट जारी है. इसी बीच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को 332 करोड़ रुपये के गबन मामले में पूर्व मुख्यमंत्री ओ. इबोबी सिंह से पूछताछ की. पढ़ें पूरी खबर..

former manipur cm ibobi
ओ. इबोबी सिंह
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Published : Jun 24, 2020, 8:47 PM IST

नई दिल्ली : मणिपुर में राजनीतिक संकट के बीच, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को 332 करोड़ रुपये के गबन मामले में पूर्व मुख्यमंत्री ओ. इबोबी सिंह से इंफाल में पूछताछ की. इसके साथ ही एजेंसी ने मणिपुर विकास सोसाइटी (एमडीएस) के पूर्व अध्यक्ष ओ. नबाकिशोर को भी पूछताछ के लिए तलब किया. सुबह करीब 11.30 बजे शुरू हुई पूछताछ के दौरान सीबीआई टीम ने पूर्व मुख्यमंत्री से 2009 से 2017 के बीच भारी संपत्ति अर्जित करने के बारे में पूछा, जब वह एमडीएस के अध्यक्ष थे.

सीबीआई के एक सूत्र ने बताया, एजेंसी ने गुरुवार को इंफाल में तत्कालीन एमडीएस चेयरमैन को भी पूछताछ के लिए बुलाया है.

अधिकारियों के मुताबिक ऐसा आरोप है कि सिंह ने जून 2009 से जुलाई 2017 के बीच सोसाइटी का अध्यक्ष रहने के दौरान विकास कार्यों के लिए मिले 518 करोड़ रुपयों में से करीब 332 करोड़ रुपये की हेराफेरी की.

सीबीआई ने सिंह के अलावा एमडीएस के तीन पूर्व अध्यक्षों डी. एस. पूनिया, पी. सी. लॉमुकंगा और ओ. नाबाकिशोर को भी मामले में आरोपी बनाया है. ये तीनों पूर्व आईएएस अधिकारी हैं. एफआईआर में सोसाइटी के पूर्व परियोजना निदेशक वाई. निंगथेम सिंह और उनके प्रशासनिक अधिकारी एस. रंजीत सिंह का भी नाम है.

सीबीआई ने पिछले साल 20 नवंबर को इस मामले की जांच प्रदेश की भाजपा सरकार के अनुरोध पर शुरू की थी.

इस बीच, पिछले सप्ताह भाजपा-नीत सरकार से समर्थन वापस लेने वाले नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के चार विधायक मंगलवार को गुवाहाटी रवाना हुए. इनके समर्थन वापस लेने के बाद प्रदेश में राजनीतिक संकट पैदा हो गया है. माना जा रहा है कि यह चारों विधायक भाजपा नेतृत्व से मिलने दिल्ली जाएंगे.

गोगोई ने कहा ने कहा कि एनपीए गठबंधन में शामिल होने के लिए एनपीपी विधायकों को राजी करने के लिए मणिपुर के वित्त मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दो दिन पहले मणिपुर का दौरा किया था. यह तथ्य है कि वह पहली बार असफल साबित हुए. इसके बाद भी वह फिर यहां आए और विधायकों को दिल्ली ले जाने की भरपूर कोशिश की. यह घटना एनपीपी द्वारा सरकार में विश्वास की कमी और भाजपा पार्टी के अंदर अंतरकलह की तरफ इशारा करती है.

यह भी पढ़ें- सीमा पर तनाव कम करने के लिए भारत-चीन के बीच कूटनीतिक वार्ता

नवगठित कांग्रेस के नेतृत्व वाले सेक्युलर प्रोग्रेसिव(एसपीएफ) ने राज्यपाल को एक आवेदन सौंपकर विशेष विधानसभा सत्र बुलाने का अनुरोध किया है. इतना ही नहीं यह भी दावा किया है कि सरकार ने सदन में बहुमत खो दिया है और बहुमत साबित करने की मांग की है.

अजय माकन के साथ गौरव गोगोई, जिन्हें मणिपुर राजनीतिक संकट के पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया जा रहा था, लगातार राज्य कांग्रेस इकाई को सलाह दे रहे हैं.

नई दिल्ली : मणिपुर में राजनीतिक संकट के बीच, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को 332 करोड़ रुपये के गबन मामले में पूर्व मुख्यमंत्री ओ. इबोबी सिंह से इंफाल में पूछताछ की. इसके साथ ही एजेंसी ने मणिपुर विकास सोसाइटी (एमडीएस) के पूर्व अध्यक्ष ओ. नबाकिशोर को भी पूछताछ के लिए तलब किया. सुबह करीब 11.30 बजे शुरू हुई पूछताछ के दौरान सीबीआई टीम ने पूर्व मुख्यमंत्री से 2009 से 2017 के बीच भारी संपत्ति अर्जित करने के बारे में पूछा, जब वह एमडीएस के अध्यक्ष थे.

सीबीआई के एक सूत्र ने बताया, एजेंसी ने गुरुवार को इंफाल में तत्कालीन एमडीएस चेयरमैन को भी पूछताछ के लिए बुलाया है.

अधिकारियों के मुताबिक ऐसा आरोप है कि सिंह ने जून 2009 से जुलाई 2017 के बीच सोसाइटी का अध्यक्ष रहने के दौरान विकास कार्यों के लिए मिले 518 करोड़ रुपयों में से करीब 332 करोड़ रुपये की हेराफेरी की.

सीबीआई ने सिंह के अलावा एमडीएस के तीन पूर्व अध्यक्षों डी. एस. पूनिया, पी. सी. लॉमुकंगा और ओ. नाबाकिशोर को भी मामले में आरोपी बनाया है. ये तीनों पूर्व आईएएस अधिकारी हैं. एफआईआर में सोसाइटी के पूर्व परियोजना निदेशक वाई. निंगथेम सिंह और उनके प्रशासनिक अधिकारी एस. रंजीत सिंह का भी नाम है.

सीबीआई ने पिछले साल 20 नवंबर को इस मामले की जांच प्रदेश की भाजपा सरकार के अनुरोध पर शुरू की थी.

इस बीच, पिछले सप्ताह भाजपा-नीत सरकार से समर्थन वापस लेने वाले नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के चार विधायक मंगलवार को गुवाहाटी रवाना हुए. इनके समर्थन वापस लेने के बाद प्रदेश में राजनीतिक संकट पैदा हो गया है. माना जा रहा है कि यह चारों विधायक भाजपा नेतृत्व से मिलने दिल्ली जाएंगे.

गोगोई ने कहा ने कहा कि एनपीए गठबंधन में शामिल होने के लिए एनपीपी विधायकों को राजी करने के लिए मणिपुर के वित्त मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दो दिन पहले मणिपुर का दौरा किया था. यह तथ्य है कि वह पहली बार असफल साबित हुए. इसके बाद भी वह फिर यहां आए और विधायकों को दिल्ली ले जाने की भरपूर कोशिश की. यह घटना एनपीपी द्वारा सरकार में विश्वास की कमी और भाजपा पार्टी के अंदर अंतरकलह की तरफ इशारा करती है.

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नवगठित कांग्रेस के नेतृत्व वाले सेक्युलर प्रोग्रेसिव(एसपीएफ) ने राज्यपाल को एक आवेदन सौंपकर विशेष विधानसभा सत्र बुलाने का अनुरोध किया है. इतना ही नहीं यह भी दावा किया है कि सरकार ने सदन में बहुमत खो दिया है और बहुमत साबित करने की मांग की है.

अजय माकन के साथ गौरव गोगोई, जिन्हें मणिपुर राजनीतिक संकट के पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया जा रहा था, लगातार राज्य कांग्रेस इकाई को सलाह दे रहे हैं.

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