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पोल कैश मामला : कमलनाथ सरकार के तीन तत्कालीन मंत्रियों की भूमिका की सीबीडीटी जांच ! - poll cash issues mp

2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कालेधन के इस्तेमाल मामले में एमपी के 3 बड़े नेता सीबीडीटी (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) के रडार पर हैं. ये तीनों नेता कमलनाथ सरकार में मंत्री थे और अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. CBDT कमलनाथ सरकार के दौरान तीन विभागों के मंत्रियों की भूमिका की जांच करने जा रही है. इसमें इमरती देवी, गोविंद सिंह और प्रदीप जायसवाल शामिल हैं.

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Published : Dec 18, 2020, 8:22 PM IST

भोपाल : पोल कैश मामले में नया मोड़ आया है. कमलनाथ सरकार के दौरान प्रदेश में हुए आयकर छापों की कार्रवाई को लेकर सीबीडीटी की रिपोर्ट में कई खुलासे हुए हैं. कमलनाथ सरकार के तीन तत्कालीन मंत्रियों पर भी गाज गिर सकती है.

सीबीडीटी (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) कमलनाथ सरकार के कार्यकाल के दौरान तीन विभागों के कामकाज और मंत्रियों की भूमिका की जांच करने की बात कही है. महिला एवं बाल विकास विभाग की तत्कालीन मंत्री इमरती देवी, परिवहन विभाग के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और खनिज विभाग के मंत्री प्रदीप जायसवाल इसमें शामिल हैं.

हालांकि अब इमरती देवी और गोविंद सिंह कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए हैं. प्रदीप जायसवाल बीजेपी को समर्थन दे रहे हैं. जिसके बदले उन्हें खनिज विकास निगम का अध्यक्ष बनाकर मंत्री स्तर का दर्जा दिया गया है.

पोल कैश मामला

तीन तत्कालीन मंत्रियों पर गिर सकती है गाज

कमलनाथ सरकार के दौरान तीन तत्कालीन मंत्रियों भी इसके लपेटे में हैं और उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं. सीबीडीटी (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) ने जो रिपोर्ट चुनाव आयोग को भेजा है उसमें साफ तौर पर महिला एवं बाल विकास विभाग, खनिज विभाग और परिवहन विभाग के तत्कालीन मंत्रियों की भूमिका की जांच की बात कही गई है. लिहाजा आने वाले दिनों में इन विभागों के मंत्री रहे गोविंद सिंह राजपूत, प्रदीप जायसवाल और इमरती देवी पर जांच की तलवाक लटक रही है. जांच के बाद इन तीनों के खिलाफ ईओडब्ल्यू कार्रवाई भी कर सकता है.

कांग्रेस का दामन छोड़ चुके हैं सभी नेता

मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में इमरती देवी चुनाव हार गईं. जीत के बाद गोविंद सिंह राजपूत मंत्री पद के दावेदार हैं. उपचुनाव से पहले बीजेपी ने गोविंद सिंह राजपूत को मंत्रिमंडल में शामिल किया था. यानी जिन तीन तत्कालीन मंत्रियों की भूमिका की जांच की बात कही जा रही है. अब वह तीनों ही बीजेपी में हैं और प्रदेश में बीजेपी की सरकार है.

चार पुलिस अधिकारियों पर होगा मामला दर्ज

सीबीडीटी की रिपोर्ट के आधार पर मध्यप्रदेश कैडर के तीन आईपीएस और एक राज्य पुलिस सेवा अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं. जिन पर साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान काला धन ले जाने के आरोप लगे थे. आईपीएस अधिकारी सुशोभन बनर्जी, संजय माने और वीमधु कुमार इसमें शामिल हैं. वहीं राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा पर भी आरोप लगे हैं और उन पर भी मामला दर्ज होगा.

क्या है पोल कैश मामला?

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की दिल्ली विंग ने अप्रैल 2019 में एमपी में कुल 52 ठिकानों पर एक साथ छापेमार कार्रवाई की थी. ये कार्रवाई पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के ओएसडी प्रवीण कक्कड़, सलाहकार राजेंद्र मालानी, कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी और कारोबारी अश्विन शर्मा के ठिकानों पर हुई थी.

पढ़ें :- कमलनाथ के करीबियों से बरामद कैश मामले में EC ने FIR दर्ज करने को कहा

आयकर विभाग ने 14 करोड रुपए की बेहिसाब नकदी, डायरियां, कंप्यूटर और फाइलें जब्त की थीं. इन्ही दस्तावेजों में करोड़ों रुपए के लेनदेन का हिसाब दर्ज था. दस्तावेजों में यह प्रमाण भी मिला कि 20 करोड़ रुपये की राशि एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के दिल्ली स्थित मुख्यालय भेजी गई.

इन छापों में कुल 281 करोड़ रुपए के लेनदेन का पुख्ता प्रमाण आयकर विभाग को मिला है. यह रुपए अलग-अलग कारोबारी नौकरशाहों और राजनीतिज्ञों से एकत्र किया गया था और हवाला के जरिए दिल्ली तुगलक रोड स्थित राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी के मुख्यालय भेजा गया.

भोपाल : पोल कैश मामले में नया मोड़ आया है. कमलनाथ सरकार के दौरान प्रदेश में हुए आयकर छापों की कार्रवाई को लेकर सीबीडीटी की रिपोर्ट में कई खुलासे हुए हैं. कमलनाथ सरकार के तीन तत्कालीन मंत्रियों पर भी गाज गिर सकती है.

सीबीडीटी (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) कमलनाथ सरकार के कार्यकाल के दौरान तीन विभागों के कामकाज और मंत्रियों की भूमिका की जांच करने की बात कही है. महिला एवं बाल विकास विभाग की तत्कालीन मंत्री इमरती देवी, परिवहन विभाग के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और खनिज विभाग के मंत्री प्रदीप जायसवाल इसमें शामिल हैं.

हालांकि अब इमरती देवी और गोविंद सिंह कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए हैं. प्रदीप जायसवाल बीजेपी को समर्थन दे रहे हैं. जिसके बदले उन्हें खनिज विकास निगम का अध्यक्ष बनाकर मंत्री स्तर का दर्जा दिया गया है.

पोल कैश मामला

तीन तत्कालीन मंत्रियों पर गिर सकती है गाज

कमलनाथ सरकार के दौरान तीन तत्कालीन मंत्रियों भी इसके लपेटे में हैं और उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं. सीबीडीटी (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) ने जो रिपोर्ट चुनाव आयोग को भेजा है उसमें साफ तौर पर महिला एवं बाल विकास विभाग, खनिज विभाग और परिवहन विभाग के तत्कालीन मंत्रियों की भूमिका की जांच की बात कही गई है. लिहाजा आने वाले दिनों में इन विभागों के मंत्री रहे गोविंद सिंह राजपूत, प्रदीप जायसवाल और इमरती देवी पर जांच की तलवाक लटक रही है. जांच के बाद इन तीनों के खिलाफ ईओडब्ल्यू कार्रवाई भी कर सकता है.

कांग्रेस का दामन छोड़ चुके हैं सभी नेता

मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में इमरती देवी चुनाव हार गईं. जीत के बाद गोविंद सिंह राजपूत मंत्री पद के दावेदार हैं. उपचुनाव से पहले बीजेपी ने गोविंद सिंह राजपूत को मंत्रिमंडल में शामिल किया था. यानी जिन तीन तत्कालीन मंत्रियों की भूमिका की जांच की बात कही जा रही है. अब वह तीनों ही बीजेपी में हैं और प्रदेश में बीजेपी की सरकार है.

चार पुलिस अधिकारियों पर होगा मामला दर्ज

सीबीडीटी की रिपोर्ट के आधार पर मध्यप्रदेश कैडर के तीन आईपीएस और एक राज्य पुलिस सेवा अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं. जिन पर साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान काला धन ले जाने के आरोप लगे थे. आईपीएस अधिकारी सुशोभन बनर्जी, संजय माने और वीमधु कुमार इसमें शामिल हैं. वहीं राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा पर भी आरोप लगे हैं और उन पर भी मामला दर्ज होगा.

क्या है पोल कैश मामला?

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की दिल्ली विंग ने अप्रैल 2019 में एमपी में कुल 52 ठिकानों पर एक साथ छापेमार कार्रवाई की थी. ये कार्रवाई पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के ओएसडी प्रवीण कक्कड़, सलाहकार राजेंद्र मालानी, कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी और कारोबारी अश्विन शर्मा के ठिकानों पर हुई थी.

पढ़ें :- कमलनाथ के करीबियों से बरामद कैश मामले में EC ने FIR दर्ज करने को कहा

आयकर विभाग ने 14 करोड रुपए की बेहिसाब नकदी, डायरियां, कंप्यूटर और फाइलें जब्त की थीं. इन्ही दस्तावेजों में करोड़ों रुपए के लेनदेन का हिसाब दर्ज था. दस्तावेजों में यह प्रमाण भी मिला कि 20 करोड़ रुपये की राशि एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के दिल्ली स्थित मुख्यालय भेजी गई.

इन छापों में कुल 281 करोड़ रुपए के लेनदेन का पुख्ता प्रमाण आयकर विभाग को मिला है. यह रुपए अलग-अलग कारोबारी नौकरशाहों और राजनीतिज्ञों से एकत्र किया गया था और हवाला के जरिए दिल्ली तुगलक रोड स्थित राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी के मुख्यालय भेजा गया.

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