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लॉकडाउन : पारिवारिक रिश्तों को संवाद कर मजबूत करने का बेहतरीन समय

एक रिश्ते में कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि जरा सी गलतफहमी के कारण आपसी संबंधों में दरार पड़ जाती है और परिवार के रिश्तों में दूरियां बढ़ने लगती हैं. आज की इस भाग-दौड़ भरी जिंदगीं में पति-पत्नी एक दूसरे से बातचीत ही नहीं कर पाते हैं. ऐसे में एक दूसरे से बातचीत करना बहुत जरूरी हो जाता है. कोरोना वायरस महामारी के चलते देशभर में लॉकडाउन लागू कर दिया गया है जोकि आपसी रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए एक बेहतरीन समय है. पढ़ें विस्तार से...

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परिवार
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Published : May 3, 2020, 5:20 PM IST

Updated : May 3, 2020, 5:29 PM IST

हैदराबाद : संवाद एक अच्छे रिश्ते की कुंजी होती है, लेकिन इस आधुनिक जीवनशैली में जहां पति-पत्नी दोनों नौकरीपेशा हैं, इसके चलते दोनों के बीच संवाद होना ना के बराबर हो जाता है. वहीं कोरोना वायरस महामारी के चलते देशभर में लॉकडाउन लागू कर दिया गया है, जिसके बाद अब सभी घर से काम कर रहे हैं.

अब जब दोनों पति-पत्नी घर से काम कर रहे हैं, तो कैसे इस परेशानी का हल निकाला जा सकता है? इस पर हैदाराबाद में स्थित यशोदा अस्पताल के एमडी पीएचडी सलाहकार और मनोचिकित्सक प्रशांत कोचरलकोटा का कहना है कि पति और पत्नी दोनों का साझा लक्ष्य होना जरूरी है. क्योंकि अब जब दोनों नौकरीपेशा हैं तो ऐसे में दोनों एक दूसरे से संवाद नहीं कर पाते हैं. लेकिन, इस लॉकडाउन के दौरान, इस समस्या का निदान किया जा सकता है.

सुखमय जीवन के लिए डॉ प्रशांत द्वारा सुझाए गए कुछ सुझाव इस प्रकार हैं:

कुछ समय एक साथ बिताएं

परिवार के सभी लोगों को कम से कम कुछ समय एक साथ बिताना आवश्यक है, यह सिर्फ 15 मिनट या एक घंटा होना चाहिए. आप अपने परिवार के साथ लूडो, अंताक्षरी खेल समय बिता सकते हैं. परिवार के साथ यह अच्छा समय बिताना महत्वपूर्ण है. यह सभी को एक साथ लाता है.

काम बांटे

घर के काम की जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं की ही नहीं होनी चाहिए. बल्कि पुरुषों को भी घर के काम में हाथ बंटाना चाहिए. दोनों को घर का काम समान रूप से करना चाहिए. इससे अकेले घर के काम का भार सिर्फ महिलाओं पर ही नहीं पड़ेगा.

एक दूसरे की बातों को सुनना भी एक कला

हर रिश्ते में, दूसरे व्यक्ति को सुनना बहुत महत्वपूर्ण है. एक दूसरे से जैसे कि पति, पत्नी या आपके बच्चे हों, उनसे बात करें और उनकी बातों को सुनें. धैर्य रखें, बस उन्हें चुप मत कराइए. जब भी आप उनकी बात सुनते हैं, तो कभी-कभी आप उनकी बातों से स्वयं के समाधान निकाल सकते हैं.

निश्चित दिनचर्या अपनांए

अपने हर दिन का एक दिनचर्या बनाइए. यह सुनिश्चित कर लें कि चीजों को पूरा करने के लिए एक दिन का समय पर्याप्त है. अगर आप किसी चीज से चूक जाते हैं, तो उसके लिए भी समय निकालने की कोशिश करें.

रोज व्यायाम करें

हर दिन व्यायाम करने से मन और शरीर को तनावमुक्त और तरोताजा रखने में मदद मिलती है. व्यायाम करने के लिए कुछ समय निकालें. इसके लिए घंटे की आवश्यकता नहीं है, लेकिन सिर्फ 15 मिनट पर्याप्त हैं. क्योंकि अब आप टहलने नहीं जा सकते, इसलिए घर पर रस्सी कूद खेलने की कोशिश करें, योग का अभ्यास करें. एक फिट बॉडी ही फिट दिमाग की कुंजी है.

साथ मिलकर रहें

अपने जीवनसाथी और बच्चों को दिनभर की गतिविधियों में शामिल करें. एक निश्चित समय पर अपना भोजन सब साथ में करें. साथ में व्यायाम करें और एक दूसरे से कुछ नया सीखने की कोशिश करें. जैंसे कि आज की इस भागती दौड़ती जिंदगी में बहुत सी चीजें लिप्त हो चुकी हैं जैसे कि, लूडो, सांप-सीढ़ी, एक साथ फिल्म देखना.

प्राणायाम करें

दिमाग को स्थिर करने के लिए और आराम के लिए प्राणायाम करें. इसके लिए घंटों बैठना जरूरी नहीं है. आप योग पांच मिनट से शुरू करके धीरे-धीरे इसे बढ़ा सकते हैं.

कहने से पहले सोचें

आप अपने साथी से जो भी कहें, उसे कहने से पहले सोचें. आप जो कुछ भी कहते हैं, वह आपका ही प्रतिबिंब होता है कि आप कैसे इंसान हैं. यह ध्यान में रखें कि आपका बर्ताव अन्य लोगों को भी प्रभावित कर सकता है. आपकी अभद्रता, आक्रामकता या गुस्सा पारिवारिक विवादों को जन्म दे सकता है. इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में समय के अभाव के कारण वैवाहिक जीवन को हल्के में लिया जा रहा है और बच्चों की अनदेखी की जा रही है, इसलिए यह समय एक दूसरे से बातचीत करने का उत्तम समय है.

हैदराबाद : संवाद एक अच्छे रिश्ते की कुंजी होती है, लेकिन इस आधुनिक जीवनशैली में जहां पति-पत्नी दोनों नौकरीपेशा हैं, इसके चलते दोनों के बीच संवाद होना ना के बराबर हो जाता है. वहीं कोरोना वायरस महामारी के चलते देशभर में लॉकडाउन लागू कर दिया गया है, जिसके बाद अब सभी घर से काम कर रहे हैं.

अब जब दोनों पति-पत्नी घर से काम कर रहे हैं, तो कैसे इस परेशानी का हल निकाला जा सकता है? इस पर हैदाराबाद में स्थित यशोदा अस्पताल के एमडी पीएचडी सलाहकार और मनोचिकित्सक प्रशांत कोचरलकोटा का कहना है कि पति और पत्नी दोनों का साझा लक्ष्य होना जरूरी है. क्योंकि अब जब दोनों नौकरीपेशा हैं तो ऐसे में दोनों एक दूसरे से संवाद नहीं कर पाते हैं. लेकिन, इस लॉकडाउन के दौरान, इस समस्या का निदान किया जा सकता है.

सुखमय जीवन के लिए डॉ प्रशांत द्वारा सुझाए गए कुछ सुझाव इस प्रकार हैं:

कुछ समय एक साथ बिताएं

परिवार के सभी लोगों को कम से कम कुछ समय एक साथ बिताना आवश्यक है, यह सिर्फ 15 मिनट या एक घंटा होना चाहिए. आप अपने परिवार के साथ लूडो, अंताक्षरी खेल समय बिता सकते हैं. परिवार के साथ यह अच्छा समय बिताना महत्वपूर्ण है. यह सभी को एक साथ लाता है.

काम बांटे

घर के काम की जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं की ही नहीं होनी चाहिए. बल्कि पुरुषों को भी घर के काम में हाथ बंटाना चाहिए. दोनों को घर का काम समान रूप से करना चाहिए. इससे अकेले घर के काम का भार सिर्फ महिलाओं पर ही नहीं पड़ेगा.

एक दूसरे की बातों को सुनना भी एक कला

हर रिश्ते में, दूसरे व्यक्ति को सुनना बहुत महत्वपूर्ण है. एक दूसरे से जैसे कि पति, पत्नी या आपके बच्चे हों, उनसे बात करें और उनकी बातों को सुनें. धैर्य रखें, बस उन्हें चुप मत कराइए. जब भी आप उनकी बात सुनते हैं, तो कभी-कभी आप उनकी बातों से स्वयं के समाधान निकाल सकते हैं.

निश्चित दिनचर्या अपनांए

अपने हर दिन का एक दिनचर्या बनाइए. यह सुनिश्चित कर लें कि चीजों को पूरा करने के लिए एक दिन का समय पर्याप्त है. अगर आप किसी चीज से चूक जाते हैं, तो उसके लिए भी समय निकालने की कोशिश करें.

रोज व्यायाम करें

हर दिन व्यायाम करने से मन और शरीर को तनावमुक्त और तरोताजा रखने में मदद मिलती है. व्यायाम करने के लिए कुछ समय निकालें. इसके लिए घंटे की आवश्यकता नहीं है, लेकिन सिर्फ 15 मिनट पर्याप्त हैं. क्योंकि अब आप टहलने नहीं जा सकते, इसलिए घर पर रस्सी कूद खेलने की कोशिश करें, योग का अभ्यास करें. एक फिट बॉडी ही फिट दिमाग की कुंजी है.

साथ मिलकर रहें

अपने जीवनसाथी और बच्चों को दिनभर की गतिविधियों में शामिल करें. एक निश्चित समय पर अपना भोजन सब साथ में करें. साथ में व्यायाम करें और एक दूसरे से कुछ नया सीखने की कोशिश करें. जैंसे कि आज की इस भागती दौड़ती जिंदगी में बहुत सी चीजें लिप्त हो चुकी हैं जैसे कि, लूडो, सांप-सीढ़ी, एक साथ फिल्म देखना.

प्राणायाम करें

दिमाग को स्थिर करने के लिए और आराम के लिए प्राणायाम करें. इसके लिए घंटों बैठना जरूरी नहीं है. आप योग पांच मिनट से शुरू करके धीरे-धीरे इसे बढ़ा सकते हैं.

कहने से पहले सोचें

आप अपने साथी से जो भी कहें, उसे कहने से पहले सोचें. आप जो कुछ भी कहते हैं, वह आपका ही प्रतिबिंब होता है कि आप कैसे इंसान हैं. यह ध्यान में रखें कि आपका बर्ताव अन्य लोगों को भी प्रभावित कर सकता है. आपकी अभद्रता, आक्रामकता या गुस्सा पारिवारिक विवादों को जन्म दे सकता है. इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में समय के अभाव के कारण वैवाहिक जीवन को हल्के में लिया जा रहा है और बच्चों की अनदेखी की जा रही है, इसलिए यह समय एक दूसरे से बातचीत करने का उत्तम समय है.

Last Updated : May 3, 2020, 5:29 PM IST
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