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वायु सेना दिवस विशेष : अद्भुत है वायु सेना की ताकत, जानें कैसे कश्मीर व लद्दाख को दुश्मनों से बचाया

वायु सेना दिवस के मौके पर रिटायर्ड सैन्य अधिकारी ब्रिगेडियर केजी बहल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने भारतीय वायु सेना के पराक्रम के बारे में बताया कि कैसे वायुसेना की मदद से कश्मीर और लद्दाख को दुश्मनों से बचाया गया.

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Published : Oct 8, 2019, 9:50 PM IST

वायु सेना दिवस विशेष

देहरादून : आज वायु सेना के बेड़े में फ्रांसीसी राफेल विमान शामिल हो गया है, जिसके बाद माना जा रहा है कि वायु सेना की ताकत कई गुना बढ़ गई है. वहीं अगर इतिहास के पन्ने पलटकर देखें तो वायुसेना ने समय-समय पर बेहद खास भूमिका निभाई है. आज पूरी दुनिया में भारतीय वायु सेना के पराक्रम का डंका बज रहा है. इस पराक्रम की शुरुआत देश की आजादी के साथ ही शुरू हो गई थी, जो बदस्तूर जारी है. इसी मौके पर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में रिटायर्ड सैन्य अधिकारी ब्रिगेडियर केजी बहल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

ब्रिगेडियर केजी बहल बताते हैं कि देश की आजादी के बाद से ही भारतीय वायु सेना का महत्वपूर्ण योगदान रहा है.

वायु सेना दिवस के मौके पर अवकाशप्राप्त सैन्य अधिकारी केजी बहल ने ईटीवी भारत से की बातचीत, देखें वीडियो...

बहल ने कहा कि देश की आजादी के बाद जब 1947-48 में जम्मू कश्मीर रियासत पर कव्वालियों ने हमला किया था. इस दौरान सड़क मार्ग से जम्मू-कश्मीर का सम्पर्क पूरी तरह टूट चुका था. लेकिन महाराजा हरि सिंह के भारत में विलय की मंजूरी के तत्काल बाद भारतीय वायु सेना हरकत में आई और भारतीय वायु विमानों ने श्रीनगर के लिए उड़ान भरी.

पढ़ें- भारतीय वायुसेना दिवस: केदारनाथ आपदा के दौरान जांबाजों ने निभाई थी अहम भूमिका, बचाई थी लाखों जान

वायुसेना की मदद से श्रीनगर में सेना के साथ-साथ अन्य मदद भी पहुंचाई गई.

ब्रिगेडियर बहल कहते हैं कि अगर उस दौरान भारतीय वायु सेना नहीं होती तो श्रीनगर पर भी आज दुश्मन मुल्क अपना कब्जा किए बैठा होता.

उन्होंने बताया कि इसी तरह से लद्दाख पर भी उस समय दुश्मनों द्वारा हमला किया गया था. लद्दाख को लेकर दुश्मन देश बिल्कुल आश्वस्त थे कि लद्दाख उनके कब्जे में आ चुका है. लेकिन यहां पर भी भारतीय वायु सेना के विमानों ने अपनी दस्तक दी और लद्दाख में पराक्रमी भारतीय सेना के जवानों को उतारा गया.

बहल ने बताया कि लद्दाख में उस समय एक बहुत पुराना एयरपोर्ट डेकोटा मौजूद था. लेकिन वह विमान उतारने के लिए तैयार नहीं था, जिसे लद्दाखियों द्वारा उतरने लायक बनाया गया और फिर भारतीय वायुसेना के विंग कमांडेंट मेहर सिंह ने डेकोटा एयरपोर्ट पर बिना किसी सिग्नल, बिना किसी संचार के विषम परिस्थितियों में लैंड करवाया. इसके बाद भारतीय सेना को वहां ड्रॉप किया गया, जिसके बाद एक बड़ी लड़ाई लद्दाख में लड़ी गई और लद्दाख को खोते-खोते बचा लिया गया.

देहरादून : आज वायु सेना के बेड़े में फ्रांसीसी राफेल विमान शामिल हो गया है, जिसके बाद माना जा रहा है कि वायु सेना की ताकत कई गुना बढ़ गई है. वहीं अगर इतिहास के पन्ने पलटकर देखें तो वायुसेना ने समय-समय पर बेहद खास भूमिका निभाई है. आज पूरी दुनिया में भारतीय वायु सेना के पराक्रम का डंका बज रहा है. इस पराक्रम की शुरुआत देश की आजादी के साथ ही शुरू हो गई थी, जो बदस्तूर जारी है. इसी मौके पर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में रिटायर्ड सैन्य अधिकारी ब्रिगेडियर केजी बहल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

ब्रिगेडियर केजी बहल बताते हैं कि देश की आजादी के बाद से ही भारतीय वायु सेना का महत्वपूर्ण योगदान रहा है.

वायु सेना दिवस के मौके पर अवकाशप्राप्त सैन्य अधिकारी केजी बहल ने ईटीवी भारत से की बातचीत, देखें वीडियो...

बहल ने कहा कि देश की आजादी के बाद जब 1947-48 में जम्मू कश्मीर रियासत पर कव्वालियों ने हमला किया था. इस दौरान सड़क मार्ग से जम्मू-कश्मीर का सम्पर्क पूरी तरह टूट चुका था. लेकिन महाराजा हरि सिंह के भारत में विलय की मंजूरी के तत्काल बाद भारतीय वायु सेना हरकत में आई और भारतीय वायु विमानों ने श्रीनगर के लिए उड़ान भरी.

पढ़ें- भारतीय वायुसेना दिवस: केदारनाथ आपदा के दौरान जांबाजों ने निभाई थी अहम भूमिका, बचाई थी लाखों जान

वायुसेना की मदद से श्रीनगर में सेना के साथ-साथ अन्य मदद भी पहुंचाई गई.

ब्रिगेडियर बहल कहते हैं कि अगर उस दौरान भारतीय वायु सेना नहीं होती तो श्रीनगर पर भी आज दुश्मन मुल्क अपना कब्जा किए बैठा होता.

उन्होंने बताया कि इसी तरह से लद्दाख पर भी उस समय दुश्मनों द्वारा हमला किया गया था. लद्दाख को लेकर दुश्मन देश बिल्कुल आश्वस्त थे कि लद्दाख उनके कब्जे में आ चुका है. लेकिन यहां पर भी भारतीय वायु सेना के विमानों ने अपनी दस्तक दी और लद्दाख में पराक्रमी भारतीय सेना के जवानों को उतारा गया.

बहल ने बताया कि लद्दाख में उस समय एक बहुत पुराना एयरपोर्ट डेकोटा मौजूद था. लेकिन वह विमान उतारने के लिए तैयार नहीं था, जिसे लद्दाखियों द्वारा उतरने लायक बनाया गया और फिर भारतीय वायुसेना के विंग कमांडेंट मेहर सिंह ने डेकोटा एयरपोर्ट पर बिना किसी सिग्नल, बिना किसी संचार के विषम परिस्थितियों में लैंड करवाया. इसके बाद भारतीय सेना को वहां ड्रॉप किया गया, जिसके बाद एक बड़ी लड़ाई लद्दाख में लड़ी गई और लद्दाख को खोते-खोते बचा लिया गया.

Intro:एंकर- आज वायु सेना का वर्चस्व सातवें आसमान पर है। बालाकोट स्ट्राइक और अभिनंदन एपिसोड के बाद वायु सेना ट्रेंड में है। युवा जो कि आसमान में उड़ने का सपना पालता है उसके लिए आज वायुसेना उस सपने के साकार होने जैसा ही है। लेकिन अगर इतिहास के पन्ने पलट कर देखे जाएं तो वायुसेना ने समय-समय पर वह भूमिका निभाई है जिसने देश की दिशा और दशा बदली है। आइए आपको कुछ ऐसे ही किस्से कहानियों से रूबरू कराते हैं जो आज भी एहसास कराते हैं कि अगर वायुसेना ना होती तो क्या होता।


Body:वीओ- वायु सेना भारतीय सेना का एक महत्वपूर्ण अंग है। सेना में वायु सेना को आर्मी और नेवी जैसी ही एक तीसरी शाखा के रूप में देखा जाता है, लेकिन आज जनमानस और खासतौर से युवा वर्ग में वायु सेना का कुछ ज्यादा ही क्रेज है। जेहन में आसमान छूने की चाहत रखने वाले हर एक युवा के लिए वायु सेना व्यावहारिक रूप से भी उस सपने के साकार होने जैसा ही है और यह इसलिए भी स्वाभाविक है क्योंकि भारतीय वायु सेना का पराक्रम आज पूरी दुनिया में डंका बजा रहा है लेकिन इस पराक्रम और इस वर्चस्व की शुरुआत देश की आजादी के साथ ही शुरू हो चुका था हालांकि तब वायुसेना के प्रति लोगों का आज जैसा क्रेज नहीं देखने को मिलता था।

रिटायर्ड सैन्य अधिकारी ब्रिगेडियर की जी बहल बताते हैं कि देश की आजादी के बाद से ही भारतीय वायु सेना का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ब्रिगेडियर केजी बहल बताते हैं कि देश की आजादी के बाद जब 1947-48 में जब जम्मू कश्मीर रियासत पर कव्वालियों ने हमला किया था तो सबसे पहले भारत से जम्मू कश्मीर का संपर्क तोड़ा गया और उसके बाद जम्मू कश्मीर रियासत पर हमला किया गया। केजी बहल बताते हैं कि सड़क मार्ग से जम्मू कश्मीर का सम्पर्क पूरी तरह टूट चुका था। लेकिन महाराजा हरि सिंह के भारत में विलय की मंजूरी के तत्काल बाद भारतीय वायु सेना हरकत में आ गयी और भारतीय वायु भारतीय विमानों ने श्रीनगर के लिए उड़ान भरी जिसके बाद श्रीनगर में सेना के लोगों के साथ-साथ तमाम अन्य मदद भी पहुंचाई गई। रिटायर्ड ब्रिगेडियर केजी बहल का कहना है कि भारतीय वायु सेना नहीं होती या फिर उस समय इतनी सक्षम नहीं होती तो श्रीनगर पर भी आज दुश्मन मुल्क अपना कब्जा करें बैठा होता।

इसी तरह से लद्दाख पर भी उस वक्त हमला किया गया और लद्दाख को लेकर दुश्मन देश बिल्कुल अस्वस्थ था कि लद्दाख जैसे उनके ही कब्जे में आ चुका है। लेकिन यहां पर भी भारतीय वायु सेना के विमानों ने अपनी दस्तक दी और लद्दाख में पराक्रमी भारतीय सेना के जवानों को उतारा गया। ब्रिगेडियर के जी बहल ने बताया कि लद्दाख में उस वक्त एक बहुत पुराना एयरपोर्ट डेकोटा मौजूद था लेकिन वह विमान उतारने के लिए तैयार नहीं था जिसे लद्दाखियों द्वारा उतरने लायक बनाया गया और फिर भारतीय वायुसेना के विंग कमांडेंट मेहर सिंह ने डेकोटा एयरपोर्ट पर बिना किसी सिग्नल बिना किसी संचार के पहली दफा विषम परिस्थितियों की बड़ी चुनौती के बीच लेंड किया और भारतीय सेना को वहां ड्राप किया जिसके बाद एक बड़ी लड़ाई लद्दाख में लड़ी गई और भारत देश लद्दाख को खोते खोते अपनी एयरफोर्स की मदद से बचा ले गया।

बाइट- ब्रिगेडियर केजी बहल, रिटायर्ड सैन्य अधिकारी




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