नई दिल्ली: 1984 सिखों के खिलाफ हुए दंगों के मामले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ पर एसआईटी जांच की जाएगी. जानकारी के अनुसार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ के कथित निर्देश पर 1984 में सिख नरसंहार के दौरान गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब में 2 सिखों की हत्या कर दी गई थी.
इस मामले में संसद मार्ग पुलिस थाने में एफआईआर नंबर 601/84 दर्ज किया गया था. लेकिन कमलनाथ का नाम शामिल नहीं किया गया था. पुलिस ने अन्य आरोपियों को तो आरोपित किया लेकिन बाद में सबूतों के अभाव में उन्हें छोड़ दिया गया.
1984 के सिख नरसंहार के मामलों की जांच के लिए एनडीए सरकार द्वारा एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था. लेकिन मामलों की जांच या फिर से छानबीन नहीं हो पाई. क्योंकि जिन पर आरोप पत्र दायर किया गया था या आरोपियों को छुट्टी दे दी गई थी, उन पर जांच करने का आधिकार नहीं था.
24 दिसंबर 2018 को, डीएसजीएमसी के तत्कालीन महासचिव मनजिंदर सिंह सिरसा के प्रतिनिधित्व में एसआईटी को उन मामलों की जांच के लिए गृह मंत्रालय (एमएचए) से मांग की गई थी.
9 अप्रैल 2019 को, गृह मंत्रालय ने सिरसा के प्रतिनिधित्व में की गई मांग अनुसार एसआईटी के अधिकार क्षेत्र के विषय में एक नई अधिसूचना जारी की. इस अधिसूचना में उन सभी मामलों की फिर से जांच करने की अनुमति दी गई.
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20 जून 2019 को डीएसजीएमसी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने एसआईटी के चेयरमैन को एक पत्र सौंपा जिसमें 84 दंगा मामले में कमलनाथ के खिलाफ एफआईआर 601/84 जांच को फिर से शुरू करने की मांग की गई.
एसआईटी ने 8 सितंबर 2019 को समाचार पत्रों में एक विज्ञापन जारी किया जिसमें जनता को एफआईआर संख्या 601/84 और 1984 के सिख नरसंहार से जुड़े कुछ अन्य मामलों को फिर से खोलने के विषय में जानकारी दी गई है.