नई दिल्ली : आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में एससी-एसटी आरक्षण का मुद्दा जोर-शोर से उठने की उम्मीद है. बिहार के सभी राजनीतिक दलों के दलित विधायकों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर अनुसूचित जाति और जनजाति आरक्षण के प्रावधान के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में दिए गए फैसले पर चिंता जताई है.
भारतीय जनता पार्टी भी आरक्षण के मुद्दे पर सक्रिय हो गई है. बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए केंद्र और राज्य में सत्ताधारी भाजपा ने साफ कर दिया है कि मोदी सरकार आरक्षण को लेकर प्रतिबद्ध है. भाजपा ने इस मुद्दे पर देशभर में अनुसूचित जाति व जनजाति के विधायकों और सांसदों से संपर्क करने का कार्यक्रम बनाया है. पार्टी सभी अनुसूचित जाति व जनजाति के भाजपा सांसदों से संपर्क कर आगे की रणनीति तय करेगी.
एससी-एसटी आरक्षण के मुद्दे पर अनुसूचित जाति-जनजाति बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री ने कहा, 'हमारे देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो आरक्षण को गंभीरता से लेने का प्रयास नहीं कर रहे हैं. आरक्षण एक सामाजिक न्याय की व्यवस्था है और भाजपा सामाजिक न्याय में भरोसा रखती है. इसलिए वह आरक्षण की पक्षधर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जी ने व्यापक दृष्टि से आरक्षण को देखने की कोशिश की है.'
विजय सोनकर ने आगे कहा कि डॉ. आंबेडकर के चश्मे से आरक्षण को देखना चाहिए. डॉ. आंबेडकर का स्पष्ट मानना था कि आरक्षण योग्यता या अयोग्यता का विषय नहीं है बल्कि यह सामाजिक प्रतिनिधत्व का विषय है. वैसे ही जैसे संसद में 552 सीटें होती हैं और पूरे देश के विभिन्न भागों से चयनित करके लाया जाता है. सांसदों का चयन योग्यता या अयोग्यता के विषय पर नहीं होते है. इसीलिए आरक्षण को योग्यता या अयोग्यता के विषय से नहीं जोड़ता चाहिए.
उन्होंने कहा कि संविधान सभा में जब आरक्षण पर चर्चा हो रही थी, तब उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने डॉ आंबेडकर से कहा था कि डॉक्टर साहब आरक्षण की वजह से सत्ता और प्रशासन में अयोग्य लोगों की भर्ती हो सकती है. इस पर डॉ आंबेडकर ने जवाब दिया था कि आरक्षण योग्यता या अयोग्यता का विषय नहीं बल्कि यह सामाजिक न्याय और सामाजिक प्रतिनिधित्व का विषय है.